Noida Twin Tower Demolition : सुपरटेक ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण भारतीय रियल स्टेट सेक्टर के इतिहास में दर्ज हो गया है। रियल एस्टेट सेक्टर के लिए काला दिन माना जा रहा है। दूसरी ओर जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के नामचीन बिल्डर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, उससे आम आदमी की कानून में आस्था बढ़ी है। इससे पहले आम्रपाली बिल्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जो सख्त रवैया अपनाया था, उससे मनमानी करने वाले बिल्डरों को सबक जरूर मिला होगा। कानून के जानकारों का यह मानना है। सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाले खुश हैं।
बिल्डरों की संस्थाओं ने साधी चुप्पी
आज का दिन भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर के लिए काला दिन माना जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर Tricity Today ने बिल्डरों की संस्था क्रेडाई और दूसरी संस्थाओं से बातचीत की। सबका यह मानना है कि आज का दिन रियल एस्टेट सेक्टर के लिए शर्मनाक है। इसे काला दिन ही कहा जाना चाहिए, लेकिन कोई खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है। एक नामचीन बिल्डर ने कहा, "मैं खुलकर कुछ नहीं बोल सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश बाध्यकारी है। उसका पालन हुआ है। लिहाजा, इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। किंतु यह बात जरूर है कि आज देश में रियल एस्टेट सेक्टर की क्रेडिबिलिटी गिरी है। वाकई हमारी साख को बट्टा लगा है। यह देश के इतिहास में पहली घटना है। आने वाले दिनों में रियल एस्टेट सेक्टर को इस घटना के असर से निकलने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।"
सुप्रीम कोर्ट ने कानून का राज कायम किया है
सीनियर एडवोकेट अलबेल भाटी कहते हैं, "दिल्ली-एनसीआर में पिछले एक डेढ़ दशक के दौरान रियल एस्टेट और बिल्डर लॉबी ने मनमानी यह की हैं। उत्तर प्रदेश में तो योगी आदित्यनाथ से पहले वाली सरकारें बिल्डर चला रहे थे, ऐसा आम आदमी खुलकर बोलता था। बिल्डरों के गैर कानूनी काम भी सरकार रेगुलराइज कर देती थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मिथक को तोड़ा है कि बिल्डर जो चाहेगा, वह कर लेगा। दरअसल, बिल्डर लॉबी के पास पैसे की कमी नहीं होती है। जिसका गैर वाजिब इस्तेमाल कानून को तोड़ने में किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर पर सख्त एक्शन लेकर कानून का राज कायम किया है। इससे हर उस व्यक्ति को सबक लेना चाहिए, जो सोचता है कि वह अपनी ताकत और पैसे के बूते कोई भी गैरकानूनी काम कर सकता है।
अब भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों पर गिरे गाज
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के फ्लैट बायर्स की लंबी लड़ाई लड़ने वालीं और गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की अध्यक्ष रश्मि पांडे कहती हैं, "ट्विन टावर को सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के चलते गिरा दिया गया है। यह कानून की जीत है। उन लोगों की जीत है, जिन्होंने बिल्डर के भ्रष्टाचार को उजागर किया और उसके खिलाफ एक दशक लंबी लड़ाई लड़ी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब तक सरकार ने इस भ्रष्टाचार को प्रश्रय देने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं की है? सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ अब तक सरकार ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया है? नोएडा अथॉरिटी के जिम्मेदार अधिकारियों और सुपरटेक बिल्डर के निदेशक मंडल पर एक्शन होना चाहिए। एक वक्त था जब सुपरटेक और आम्रपाली जैसे बिल्डर उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को बदल दिया करते थे। अब राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार है। यह सरकार कानून और सख्ती के लिए जानी जाती है। उसके बावजूद भ्रष्टाचार के टावर खड़े करने वालों पर अब तक कार्यवाही ना होना संशय पैदा करता है।"