Supertech Twins Tower Demolition : नोएडा की एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी में अवैध रूप से बनाए गए सुपरटेक बिल्डर के ट्विंस टावर को गिराया जा रहा है। इन दोनों अवैध इमारतों का ध्वस्तीकरण 28 अगस्त की दोपहर 2:30 बजे कर दिया जाएगा। अब शहर का आम और खास आदमी सरकार से एक सवाल पूछ रहा है, यह अवैध इमारतें तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरा दी जाएंगी, लेकिन इन्हें बनाने के लिए जिम्मेदार सुपरटेक बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी के अफसरों पर एक्शन कब होगा? लोगों का कहना है कि इन अवैध इमारतों से दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक तरफ 300 करोड़ रुपए बर्बाद हो जाएंगे। दूसरी तरफ सैकड़ों परिवार एक दशक से घर मिलने का इंतजार कर रहे थे, उनके सपनों को झटका लगा है। बिल्डर ने अब तक सारे आवंटियों को पैसा भी वापस नहीं लौटाया है।
जिन अफसरों की नाक के नीचे इमारत खड़ी हुईं, उन पर कार्यवाही क्यों नहीं : रिचा अनिरुद्ध
जानी-मानी पत्रकार रिचा अनिरुद्ध ने गुरुवार की सुबह एक ट्वीट किया है। उन्होंने सुपरटेक ट्विंस टावर के निर्माण और इसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर सवाल खड़े किए हैं। रिचा अनिरुद्ध ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने ट्वीट में टैग करते हुए प्राधिकरण के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग की है। रिचा ने ट्वीट में लिखा है, "पहले ग़ैरक़ानूनी इमारत बनने देकर गलती की और अब उसे गिरा कर हज़ारों लोगों के स्वास्थ्य, जीवन के साथ खिलवाड़ करके उससे बड़ी गलती की जा रही है। उन अधिकारियों के खिलाफ क्या जिनकी नाक के नीचे ये इमारत खड़ी हुईं? रातोंरात तो हुई नहीं न?" पिछले कई महीनों से यह सवाल केवल रिचा अनिरुद्ध ही नहीं, शहर के आम आदमी के जेहन में भी चल रहा है। लोगों का कहना है कि शहर में अवैध ढंग से बिल्डरों को फलने-फूलने की इजाजत देने वाले अफसर कहां छिपकर बैठे हुए हैं? आखिर उनके खिलाफ सरकार एक्शन क्यों नहीं ले रही है? जब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रोजेक्ट को अवैध करार दे दिया है और डेमोलिशन किया जा रहा है तो अफसरों की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही है?
इमारत गिरने से पहले अफसरों पर गाज गिरनी चाहिए थी : रश्मि पांडे
गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की अध्यक्ष रश्मि पांडे ने भी इस प्रकरण को लेकर सवाल खड़ा किया है। रश्मि पांडे ने कहा, "ट्विंस टावर सुपरटेक बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे अफसरों की अवैध कारगुजारी का प्रतीक है। सही मायने में सरकार को ट्विंस टावर गिराने से पहले इसे बनाने वाले बिल्डर और बनने देने वाले अफसरों पर गाज गिरानी चाहिए थी। यह इन लोगों की अवैध गतिविधियों का जीता जागता प्रतीक है। इसके गिर जाने से केवल नुकसान हो रहा है। सही मायनों में जब इस अवैध काम के लिए जिम्मेदार लोगों पर गाज गिरेगी, तब शहर पर लगा असली कलंक साफ होगा।" वह आगे कहती हैं, "सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े की बदौलत यह कार्रवाई हो रही है। जिस तरह अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है, उससे उत्तर प्रदेश की सख्त सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।"
अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई 1. सुप्रीम कोर्ट में सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ चल रही कार्रवाई के बारे में सही जानकारी नहीं देने पर प्राधिकरण के मैनेजर मुकेश गोयल को मुख्य कार्यपालक अधिकारी की सिफारिश पर निलंबित किया गया है। 2. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले में प्राधिकरण ने एक एफआईआर दर्ज करवाई थी। यह मुकदमा नोएडा में दर्ज करवाया गया है। अब इसकी जांच लखनऊ विजिलेंस डिपार्टमेंट कर रहा है। 3. यूपी के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने पिछले सप्ताह दो चीफ फायर अफसर सस्पेंड किए हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई हैं। इन सीएफओ ने गलत ढंग से सुपरटेक बिल्डर को एनओसी जारी की थीं।
अवैध इमारतों के लिए कौन हैं जिम्मेदार
अवैध ट्विंस टावर के लिए साल 2006, 2009 और 2012 में नक्शे बदले गए। वह गलत ढंग से पास किए गए हैं। इस दौरान प्राधिकरण में तैनात रहे मुख्य कार्यपालक अधिकारी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी, महाप्रबंधक (नियोजन), नियोजक एवं आर्किटेक्ट प्लानर, नियोजन विभाग के प्रबंधक और क्लर्क जिम्मेदार हैं। इनमें से किसी के खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक जांच-पड़ताल करके रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। खास बात यह है कि जिन जिम्मेदार अफसरों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया था, उनमें से ज्यादातर ने प्रोजेक्ट से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।