नोएडा मीडिया क्लब में प्रेस वार्ता : किसानों ने आश्रम के नाम पर भूमि हड़पने का गंभीर आरोप लगाया, कहा-फर्जी मुकदमे का डर दिखा रहे संचालक 

नोएडा | 2 दिन पहले | Nitin Parashar

Tricity Today | प्रेस वार्ता



Noida News : सेक्टर-116 के सोरखा गांव में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां ब्रह्मकुमारी संस्था के नाम पर चल रहे एक कथित आश्रम के संचालकों पर गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय किसानों का आरोप है कि आश्रम संचालक न केवल रजिस्ट्री से अधिक भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं, बल्कि बकाया राशि की मांग करने पर उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी भी दे रहे हैं। यह मामला न केवल भूमि विवाद का है, बल्कि यह धार्मिक संस्थाओं के नाम पर चल रहे कथित फर्जीवाड़े की ओर भी इशारा करता है।

 एक बीघा जमीन का सौदा 
नोएडा मीडिया क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में पीड़ित किसान सुखप्रीत सिंह और विकास यादव ने अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कथित ब्रह्मकुमारी आश्रम के संचालक श्रीकांत, ममता, रिचा गर्ग, भीमसेन और कृष्ण गुप्ता ने उनसे आश्रम निर्माण के लिए एक बीघा जमीन का सौदा किया था। सौदे की शर्तों के अनुसार, भूमि का मूल्य 17 हजार  प्रति वर्ग गज के हिसाब से तय किया गया था और इसकी विधिवत रजिस्ट्री भी कर दी गई थी।

दोमंजिला किया भवन खड़ा 
किसानों का कहना है कि आश्रम संचालकों ने उन्हें 85 लाख रुपये का भुगतान किया और शेष राशि बाद में देने का वादा किया। इसके बाद संचालकों ने एक और बीघा जमीन की मांग रखी, जिसका भुगतान वे धीरे-धीरे करने का आश्वासन देते रहे। किसान उनके आश्वासनों में आ गए और अतिरिक्त भूमि देने पर सहमत हो गए। आरोप है कि इस बीच आश्रम संचालकों ने 1,760 वर्ग गज क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू कर दिया और धीरे-धीरे एक दोमंजिला भवन खड़ा कर दिया। जब किसान बकाया राशि की मांग करते, तो उन्हें लगातार टाला जाता रहा।

किसानों की मांग 
किसानों को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उन्होंने गौतमबुद्ध नगर सिविल कोर्ट में आश्रम संचालकों के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें अदालत ने उनके पक्ष में स्थगन आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत आश्रम संचालकों को विवादित भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण या हस्तक्षेप से रोक दिया गया। सुखप्रीत सिंह ने बताया कि जब उन्होंने इस संबंध में ब्रह्माकुमारी के मुख्यालय माउंट आबू से संपर्क किया, तो वहां से उन्हें बताया गया कि ये लोग फर्जी हैं और अब उनका संस्था से कोई लेना-देना नहीं है। किसानों ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मांग की जा रही है कि वे इस मामले की गहन जांच करें और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

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