निवेशकों को बचाने के लिए रेरा की तैयारी : रेड अलर्ट सूची में डाले 400 बिल्डर, 60 फीसदी नोएडा एनसीआर से जुड़े

नोएडा | 3 महीना पहले | Lokesh Chauhan

Tricity Today | Symbolic



Noida News : उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (UP RERA)में पंजीकृत करीब 400 प्रोजेक्ट को अब रेरा की रेड अलर्ट कैटेगिरी में डाले जाने की तैयारी की जा रही है। इस कार्रवाई को करने के लिए रेरा ने सार्वजनिक सूचना जारी कर दी है। ये वह 400 प्रोजेक्ट हैं, जो रेरा में पंजीकृत तो हैं, लेकिन प्रोजेक्ट से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज बिल्डर की तरफ से रेरा की वेबसाइट पर अपडेट नहीं किए गए हैं। इन 400 में से करीब 60 फीसदी प्रोजेक्ट नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम सहित एनसीआर से हैं और बाकी दूसरे शहरों के हैं। रेड अलर्ट की कैटेगिरी में डालने से बायर्स निवेशकों को यह सुविधा मिलेगी कि वह बिल्डर और उसके प्रोजेक्ट के बारे में जान लेंगे और निवेश करने के बाद उनके फंसने की संभावना काफी कम हो जाएगी।

नक्शा व भू-अभिलेख भी नहीं किए अपलोड 
रेरा ने पंजीकृत बिल्डर प्रोजेक्ट की जांच में पाया कि 400 में 160 प्रोजेक्ट के प्रोमोटर्स ने नक्शा व भू-अभिलेख भी अपलोड नहीं किए हैं। इसके लिए रेरा ने इन सभी प्रोमोटर्स को नोटिस जारी किया है और पोर्टल पर जल्द कागजात अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।

सिर्फ 57 ने बताया कारण 
वर्ष 2018 से लेकर अब तक रेरा ने कई बार नोटिस जारी किए हैं, इसके बाद कागजात अपलोड करने के बजाय सिर्फ 57 प्रोजेक्ट के प्रोमोटर्स ने दस्तावेज अपलोड न करने का कारण बताया। इसके चलते ही निर्णय लिया गया कि जिन प्रोजेक्ट के भू-अभिलेख व नक्शा रेरा पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए हैं, उनके लिए पोर्टल पर 'अबेएन्स' यानि रेड अलर्ट की श्रेणी बनाकर इन सभी प्रोजेक्ट को उसमें रखा जाए।

रेरा अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई थी बैठक 
रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में हुई 152वीं बैठक पदाधिकारियों ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि बार-बार नोटिस भेजने के बाद भी रेरा पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड नहीं कर रहे जो प्रोमोटर्स  को अब 'अबेएन्स' की श्रेणी में रखा जाए। साथ ही इन सभी प्रोजेक्ट के बिल्डर व प्रमोटर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।

कम होगी निवेशकों के फंसने की संभावना 
रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्‌डी ने कहा कि ऐसा देखने में आया है कि बायर्स सिर्फ रेरा की साइट पर प्रोमोटर के प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन देखकर ही विश्वास कर लेते हैं। वहीं प्रमोटर्स अपने प्रोजेक्ट से संबंधित दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड न करके अपनी खामियों को छिपा लेते है। अब अबेएन्स की श्रेणी में होने से बायर्स को प्रोजेक्ट को पहचानने में आसानी हो जाएगी। इससे उनको पता चल जाएगा कि कौन प्रोजेक्ट और प्रमोटर ठीक है और कौन धोखाधड़ी कर रहा है।

धोखे से बचाने को लिया गया निर्णय 
रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी का कहना है कि बायर्स के साथ किसी प्रकार का धोखा न हो इसी के चलते यह फैसला लिया गया है। कोई बिल्डर रेरा में पंजीकरण के बाद ही बायर्स की बुकिंग कर सकता है। बायर्स का भी मानना है कि प्रोजेक्ट यदि रेरा में पंजीकृत है तो उनका निवेशक सुरक्षित है और उनके साथ धोखा नहीं होगा। 

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