Noida News : नोएडा के गेझा तिलपताबाद में हुआ करीब 100 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले (Compensation Scam) में एसआईटी ने गड़बड़ी से जुड़ी जांच पूरी कर रिपोर्ट तैयार कर ली है। सोमवार को मुआवजा गड़बड़ी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान शासन ने एसआईटी के जरिए दी गई रिपोर्ट को न्यायालय के समक्ष रखा। यह रिपोर्ट करीब 200 पन्नों की है। इन पन्नों में प्राधिकरण के तत्कालीन आला अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। बता दें कि पिछले महीने एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण पर छापेमारी कर जांच की थी। इस छापेमारी का दायरा बढ़ने पर कई और गड़बड़ियां पकड़ी गईं हैं।
सुप्रीम में सुनवाई
नवंबर-2023 में इस मामले में सुनवाई हुई थी। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने केवल इसी मामले की रिपोर्ट पेश की थी। घोटाले के लिए जिम्मेदार अफसरों के नाम नहीं बताए और न ही कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की थी। तब कोर्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों के नाम उजागर करने को कहा था। बीते सोमवार को हुई सुनवाई में एसआईटी ने भ्रष्ट अफसरों की सूची फाइल में अटैच कर सुप्रीम कोर्ट में पेश की है। इन फाइलों में गेझा गांव के 11 प्रकरणों के अलावा कुछ और गांवों में बांटे गए मुआवजों की फाइलों में गड़बड़ी मिली है। साथ ही सैकड़ों करोड़ रुपए का वित्तीय नुकसान प्राधिकरण को होने की बात भी कही गई है।
अगले महीने होगी सुनवाई
बताया गया कि मुआवजा देने की प्रक्रिया में बेशक फाइल सहायक विधि अधिकारी स्तर से चली, लेकिन इस मामले में मंजूरी देते समय आला अधिकारियों ने भी लापरवाही की है। इसको भी एसआईटी ने रिपोर्ट में शामिल किया है। सुनवाई के दौरान पूरी रिपोर्ट हिंदी में होने के कारण इसका अंग्रेजी में ट्रांस्लेशन कराने के लिए न्यायालय से अतिरिक्त समय मांगा गया है। न्यायालय ने शासन को रिपोर्ट को ट्रांसलेट करने के लिए वक्त देने को मंजूरी दी है। अब अगले महीने सुनवाई में न्यायालय एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कोई फैसला दे सकता है।
पिछली सुनवाई पर अदालत ने की थी तल्ख टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर तल्ख टिप्पणी की थी। प्राधिकरण के पूरे सेटअप को भ्रष्ट बताया था। जिस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर सवाल खड़े किए हैं, और उत्तर प्रदेश सरकार को लताड़ लगायी है, वह अपने आप में हैरानी भरा है। इससे साफ पता चलता है कि अथॉरिटी के अफसर कैसे सरकारी खजाने को लूटने में जुटे हुए हैं। जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ रहा है। यही बात सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कही है। नोएडा अथॉरिटी के लॉ ऑफ़िसर सुशील भाटी ने 20 मई-2021 को शहर के थाना सेक्टर-20 में एफआईआर दर्ज कराई थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने इस मामले में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी। वहीं, मुआवजा वितरण गड़बड़ी मामले में तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र नागर और दिनेश सिंह को निलंबित किया जा चुका है।
क्या है पूरा मामला
नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के मामले में शिकायत हुई थी। तत्कालीन सीईओ ऋतु माहेश्वरी के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नोएडा के दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। प्राधिकरण के सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को एफआईआर में नामजद किया गया। नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके राहत की मांग की। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।