ऐसे बदली एसिड अटैक सर्वाइवर की जिंदगी : दोस्ती, प्यार फिर शादी, पढ़िए सीमा राजपूत की कहानी   

नोएडा | 1 महीना पहले | Jyoti Karki

Tricity Today | सीमा राजपूत



Noida News : अमीर खुसरो ने लिखा है ये इश्क नहीं आसान बस यूं समझ लीजिए, एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है। प्रेम के इस सूफी रंग को सीमा और राम रूप ने सच कर दिखाया है। शीरोज हैंगआउट पर कार्यरत एसिड अटैक सर्वाइवर सीमा राजपूत हाल ही में विवाह के बंधन में बंधी हैं। एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए शादी करना या समाज में अपनी पहचान फिर से स्थापित करना एक कठिन और दुर्लभ घटना मानी जाती है। एसिड अटैक के बाद सीमा का चेहरा खराब हो गया था, वो खुद से नफरत करने लगी थी। 50 प्रतिशत जल चुकी सीमा का हाथ रूपराम ने थामा है। उन्होंने सीमा को जीवन संगिनी के रुप में अपना हमसफर अपनाया है। 

जिंदगी जीने की उम्मीद दी 
नोएडा के सेक्टर-21ए स्थित शीरोज कैफे में काम करने वाली 25 वर्षीय सीमा राजपूत की कहानी संघर्ष और साहस की एक अद्भुत मिसाल है। जब सीमा महज 16 साल की थीं, तब उन पर एसिड अटैक हुआ, जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। उनके भाई पर तेजाब से हमला हुआ, लेकिन वह बीच में आ गईं और वह 50 प्रतिशत जल गईं। दर्दनाक इलाज और समाज के तिरस्कार के बीच, सीमा ने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन उनकी जिंदगी में रूप राम जैसा दोस्त आएगा, जो उनका सहारा बनेगा और उन्हें जीने की नई उम्मीद देगा। रूप राम ने सीमा को सिर्फ जीने का जज्बा ही नही दिया, बल्कि उनका हाथ थाम कर अपनी जीवन संगिनी के रुप में हमसफर बना लिया है।

एक घटना ने बदल दी जिंदगी
मूलरूप से अकबरपुर की रहने वाली सीमा पिछले दो वर्षों से शीरोज कैफे में काम कर रहीं है। उनके साथ वर्ष 2016 में एक घटना घटित हुई। हमला करने वाला कोई और नही बल्कि उनके भाई का अच्छा दोस्त था। उनके भाई के दोस्त ने मामूली विवाद पर भाई पर एसिड से अटैक कर दिया। लेकिन सामने आने की वजह से उनका चेहरा, खोपड़ी, हाथ और त्वचा जल गए। हादसे के बाद पूरी ताकत से, सीमा किसी तरह खुद को जमीन से उठाकर घर भाग गई, जहां उनके परिवार उनकी हालत देखकर हैरान रह गए। वह 50 प्रतिशत जल गई। उन्हें लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इस दौरान वह कई महीनों तक बेहोशी की हालत में रही। उसके बाद जब उन्हें होश आया तो पूरा शरीर और चेहरा बिगड़ चुका था। करीब एक साल तक उनका इलाज चला। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह पूरी तरह से ठीक भी नहीं हो पाई थी, कि तभी उनकी मुलाकात छांव फाउंडेशन के संस्थापक आलोक दीक्षित से हुई। उनकी बेहतर उपचार के लिए वह उन्हें नोएडा ले आए। यहां पर उनका दो साल में कई बार ऑपरेशन हुआ। इसके बाद वह बोलने और चलने लगी। 

शीरोज कैफे में से जुड़ी 
यहीं पर उनको संस्था की ओर से संचालित शीरोज कैफे में नौकरी मिल गई। साथ ही इस प्रोग्राम ने सीमा को एक ऐसा समुदाय दिया, जहां वह खुद को और उन अन्य लोगों की मदद कर सकें। जो ऐसे ही हमलों का शिकार हुए थे। सीमा ने कैफे के जरिए पढ़ाई भी शुरू की, सीखना भी शुरू किया और अपना इलाज भी कराती रहीं। वह अन्य दृढ़निश्चयी और मेहनती सर्वाइवर्स को देखकर प्रेरित हुई और उसने अपने जीवन को फिर से संवारने का फैसला किया। छांव फाउंडेशन ने सीमा को चिकित्सा प्रदान की और उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया, जहां वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकती है। सीमा अपनी पढ़ाई पूरी करने और खुद को और दूसरों को यह साबित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है कि सर्वाइवर वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं, जो वे ठान लें। समय बीतने के साथ साल दर साल सीमा का आत्मविश्वास बढ़ता गया और आज सीमा कैफे शीरोज हैंगआउट नोएडा में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर काम कर रही हैं। 

दोस्ती, प्यार फिर शादी 
वर्ष 2019 में कैंपेन के दौरान उनकी मुलाकात रूप राम से हुई। दोनों की दोस्ती हो गयी। इस बीच कई बार लेजर सर्जरी के दर्दनाक इलाज और सूरत खराब होने की वजह से उनको खुद से घृणा होने लगी। कई बार तो उनके मन में विचार आया कि वह अपनी जिंदगी को खत्म कर दें। लेकिन इस बीच फरिश्ता बनकर आए रूप राम ने उनके हौसले को बढ़ाया। उनमें जीने की नई उम्मीद जगाई। इलाज के दौरान उनके साथ रहने लगे। सीमा जब अपने शरीर और रंग रूप को लेकर उनसे बात करती तो वह एक अच्छे दोस्त की तरह उनको समझाते। रूप राम सीमा को डिप्रेशन से निकालने के लिए हर कोशिश करते जो एक अच्छे दोस्त को करना चाहिए। उन्हें हमेशा प्रेरित करते रहते। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गयी। रूप राम के घर वालों को जब उनके प्यार के बारे में जानकारी हुई, तो वे लोग सीमा को अपनाने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद भी रूप राम ने सीमा का साथ नहीं छोड़ा और उसके साथ रहा। इस बीच रूप राम ने अपने परिवार को मनाया। करीब दो से तीन साल तक मनाने के बाद परिवार सीमा को अपनाने के लिए राजी हो गए। बीते 9 जुलाई 2024 को सीमा के घर अकबरपुर में वे दोनों परिवार और करीबी लोगों की उपस्थिति में शादी के बंधन में बंध गए।  

भारत में एसिड अटैक के आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल औसतन 250-300 एसिड अटैक के मामले दर्ज होते हैं। लेकिन कई मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। वर्ष 2013 में, भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को एसिड की बिक्री को नियंत्रित करने और पीड़ितों के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, वर्ष 2019 में 240 से अधिक एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है, क्योंकि कई मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं।

छांव फाउंडेशन क्या काम करती है
छांव फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है। जो भारत में एसिड अटैक सर्वाइवर्स के पुनर्वास, सशक्तिकरण और उनके अधिकारों के लिए काम करता है। इस फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2014 में आलोक दीक्षित की ओर से की गई थी और तब से यह संगठन एसिड अटैक से प्रभावित महिलाओं और पुरुषों को न केवल वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहा है। छाँव फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति को सुधारना है। छांव फाउंडेशन न केवल एसिड अटैक सर्वाइवर्स के पुनर्वास और सशक्तिकरण के लिए काम करता है।

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