Noida News : भ्रष्टाचार की इमारत को लंबे इंतजार के बाद ध्वस्त कर दिया गया है। ट्विन टावर के 32 मंजिला एपेक्स और 29 मंजिला सियान में 3700 किलो विस्फोटक पदार्थ लगाया गया था। कुल 9 सेकेंड के भीतर इतनी ऊंची इमारत मिट्टी में मिल गई। इस पूरे ध्वस्तीकरण की ब्लैक बॉक्स लगाकर रिकॉर्डिंग की गई है। सेंट्रल बिल्डिंग रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने ट्विन टावर के डिमोलिशन को रिकॉर्ड किया है। इसके लिए संस्थान के वैज्ञानिकों ने रविवार को दोनों बिल्डिंग में 10 ब्लैक बॉक्स लगाए थे। आपको बता दें कि ब्लैक बॉक्स हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर में लगाए जाते हैं। जिसका मुख्य कारण यह है कि अगर कोई हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर क्रैश हो जाए तो इससे पता चल जाता है कि हादसा किन कारणवश हुआ है। संस्थान ने इन ब्लैक बॉक्स को ट्विन टावर के अंदर लगाकर विस्फोट रिकॉर्ड दर्ज किया है।
9 सेकंड में दोनों टावर धूल के गुबार में तब्दील हुए
नोएडा की एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी में सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर बारूद के जरिए जमींदोज कर दिए गए। भ्रष्टाचार के ये रावण पिछले एक दशक से शहर की छाती पर खड़े हुए थे। इनका विनाश देखने के लिए ना केवल नोएडा बल्कि दूर-दराज से भीड़ मौके पर एकत्र हुए थे। नजारा बिल्कुल दशहरा के रावण दहन सरीखा था। करीब 6 महीनों से इन्हें ध्वस्त करने की तैयारियां चल रही थीं। रविवार की दोपहर ठीक 2:30 बजे ब्लास्ट किया गया और बमुश्किल 9 सेकंड में दोनों टावर धूल के गुबार में तब्दील हो गए। इनका अंजाम देख रही भीड़ ने खूब तालियां बजाईं। इनके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों ने तो ढोल-नगाड़े पीटकर भ्रष्टाचार-अन्याय पर कानून की जीत का एलान किया गया था।
दोनों टावर बनाने में आया करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च
सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में एपेक्स और सियान टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च आया है, लेकिन इसके लिए गलत जगह का चयन कर लिया। निवासियों की आपत्तियों के बावजूद पैसे के बल पर लगातार इन टावरों की ऊंचाई बढ़ती रही थी और इन्हें बनाने में करोड़ों रुपए के खनिज और लाखों घंटों की मेहनत की गई थी। अब इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया जा चुका है। जिस कारण इसमें प्रयोग किया गया खनिज और लोगों की मेहनत सब बेकार हो गई है।
इस तरीके से होगा अरबों का नुकसान
सुपरटेक ट्विन्स टावर बनाने में करीब 12.50 टन सरिया लगा था। इसके अलावा 4.5 लाख सीमेंट के बैग लगे थे। सुपरटेक के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि 50 लाख दिवस कामगर में दोनों टावर बनाए गए थे। इन दोनों टावर को बनाने के लिए करीब 26 करोड़ रुपए की दिल्ली का प्रयोग किया गया था। इसके अलावा 25 करोड़ रुपए की कंक्रीट दोनों टावर को बनाने में की गई थी। इसी तरीके से दोनों टावर को तोड़ने में अरबों का नुकसान हुआ है। यह भारत की सबसे ऊंची इमारत है, जिसको तोड़ा गया है।