गौतमबुद्ध नगर की शान : इशिता किशोर, स्मृति मिश्रा, गौरी प्रभात और कुश मिश्रा कैसे हुए कामयाब, साझा किए कामयाबी के राज

नोएडा | 1 साल पहले | Pankaj Parashar

Tricity Today | इशिता किशोर, स्मृति मिश्रा, गौरी प्रभात और कुश मिश्रा



Noida News : गौतमबुद्ध नगर के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहने वाले चार युवाओं ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Adminitrative Services) में कामयाबी हासिल की है। इनमें ग्रेटर नोएडा जलवायु विहार की इशिता किशोर ने टॉप किया है। उन्हें नंबर वन रैंकिंग मिली है। नोएडा के सेक्टर-41 में स्मृति मिश्रा ने चौथी रैंक हासिल की है। भारत सरकार के कैबिनेट सेक्रेटरी रह चुके प्रभात मिश्रा की बेटी गौरी प्रभात को 47वीं रैंक हासिल की है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सहायक प्रबंधक पीपी मिश्रा के बेटे कुश मिश्रा आईपीएस सेलेक्ट हुए हैं। उन्हें 182वीं रैंक मिली है। इन चरों युवाओं ने ट्राईसिटी टुडे के साथ बातचीत की और अपने अनुभव साझा किए हैं। अपनी सफलता के राज बताए हैं।

इशिता किशोर : खुद पढ़ाई करके बनीं अव्वल
इशिता किशोर ने दिल्ली के एयरफोर्स बाल भारती स्कूल से बारहवीं तक पढ़ाई की है। वह मेधावी छात्रा थीं। उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में प्रवेश मिला। अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद इशिता किशोर ने नामचीन कंपनी के लिए काम किया। इशिता ने तीसरे प्रयास में यह शानदार उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने कहा, "इस कामयाबी के लिए मेरी मां को बड़ा श्रेय जाता है। मेरी मेहनत और सहयोग की बदौलत मैंने आज यह उपलब्धि हासिल हुई है।" इशिता ने आगे कहा, "जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं, उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मनोयोग और मेहनत के साथ लगातार काम करने से सफलता हासिल की जा सकती है। मैंने कोई कोचिंग नहीं की है। स्वाध्याय सबसे कारगर है।"

इशिता किशोर राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खिलाड़ी रह चुकी है। इससे उनके भीतर परिश्रम करने की क्षमता का पता चलता है। इशिता के पिता नहीं है, उनके पिता वायु सेना में काम करते थे। इशिता को अपने पिता की तरह किसी सरकारी सेवा में शामिल होकर देश के लिए काम करने की प्रेरणा मिली। इशिता को आगे बढ़ने के लिए उनकी मां ने प्रेरित किया है। अर्नेस्ट एंड यांग कंपनी के लिए बतौर जोखिम सलाहकार काम किया। इशिता कहती हैं, "एक वक्त आया, जब मुझे लगने लगा कि पिता की तरह देश के लिए कुछ बड़ा करने की जरूरत है। लिहाजा, मैंने नौकरी छोड़ दी। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होने का मन बना लिया। मुझे पहली और दूसरी बार में कामयाबी नहीं मिली। मैं पीछे नहीं हटी। यह मेरा थर्ड अटेम्पट था। इस बार मुझे पूरा भरोसा था कि मैं कामयाब हो जाउंगी। हालांकि, इस बात का कोई अनुमान नहीं था कि मैं आईएएस के लिए टॉप करूंगी।"

स्मृति मिश्रा : घूमने, रिश्तेदारी और मोबाईल से बनाई दूरी
नोएडा के सेक्टर-41 ई-ब्लॉक में रहने वाली स्मृति मिश्रा ने सोशल दुनिया को त्याग कर सफलता पाई है। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए शादी, विवाह में जाना बंद रखा। घूमना-फिरना और तीज-त्योहार से दूरी बना ली। स्मृति बताती हैं, "हम मूलरूप से प्रयागराज के बागबरी गद्दी के रहने वाले हैं। मेरे पिता राजकुमार मिश्रा बरेली में डीएसपी हैं। उनकी पोस्टिंग अलग-अलग जगह होती रहती है। जिसके कारण 10वीं और 12वीं की पढ़ाई आगरा के सेंट क्लेयर स्कूल से की। दसवीं में 10 सीजीपीए और 12वीं में 96.6 प्रतिशत अंक हासिल किए। मैंने आगरा जिले में टॉप-5 मेधावियों में जगह बनाई थी।" वह आगे बताती हैं कि इसके बाद वह अपने भाई लोकेश के साथ नोएडा आ गई। यहीं किराये के घर में रहकर आगे की पढ़ाई शुरू कर दी। उन्होंने 2019 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से बीएससी (लाइफ साइंस) पास किया। विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान पाया। फिलहाल वह दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। स्मृति ने पिता राजकुमार मिश्रा बरेली में डीएसपी हैं और मां अनिता मिश्रा गृहणी हैं। उनकी सफलता से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है।

स्मृति बताती हैं कि उन्होंने ग्रेजुएशन के दौरान ही आईएएस बनने के लिए यूपीएससी परीक्षा देनी शुरू कर दी थी। इसके लिए उन्होंने सोशल दुनिया से मुंह मोड़ लिया। वह मोबाइल और लैपटॉप का प्रयोग केवल ऑनलाइन पढ़ाई के लिए करती थीं। उन्होंने विषयों में मजबूती बनाने के लिए एनसीईआरटी समेत अन्य प्रकाशकों की किताबें पढ़ी हैं। सामान्य ज्ञान के लिए अखबार पढ़े हैं। तीसरी बार में यूपीएससी परीक्षा पास की है। ऑल इंडिया चौथी रैंक हासिल की है। स्मृति आईएएस बनकर महिला सशक्तिकरण और कूड़ा निस्तारण जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को प्राथमिकता देंगी। परीक्षा में सफल न होने वाले अभ्यर्थियों को निरंतर पढ़ाई करने की सलाह दी है। उनके यूपीएससी पास करने के बाद घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। 

गौरी प्रभात : केवल माता-पिता के मार्गदर्शन ने बनाया काबिल
नोएडा के सेक्टर-39 की निवासी गौरी प्रभात ने इस बार यूपीएससी पास कर ली हैं। उन्होंने तीसरे प्रयास में परीक्षा पास करके ऑल इंडिया 47वीं रैंक हासिल की है। गौरी प्रभात ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई नई दिल्ली के सरदार पटेल विद्यालय लोदी एस्टेट से पास की है। दसवीं में 10 सीजीपीए और 12वीं में 97.75 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए इकोनॉमिक्स ऑनर्स की पढ़ाई की। साल 2018 में स्नातक पास करने के साथ उन्होंने कॉलेज और विश्वविद्यालय टॉप किया। गौरी के पिता डॉ.प्रभात कुमार रिटायर आईएएस अधिकारी हैं। वह मेरठ के कमिश्नर रहे हैं। उन्होंने 1985 की यूपीएससी परीक्षा में प्रथम रैंक हासिल की थी। मां हिमालनी कश्यप रिटायर आईआरएस अधिकारी हैं। वह प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल (इनकम टैक्स) रही हैं। गौरी बताती हैं, "एमए इकोनॉमिक्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने किसी से कोचिंग नहीं ली। घर पर मां और पिता उन्हें गाइड करते थे। वह ऑनलाइन किताबों को सर्च करके पढ़ती थीं। अखबरों से सामान्य ज्ञान हासिल करती थीं। यूपीएससी में इस बार उनका तीसरा प्रयास था। उन्होंने ऑल इंडिया 47वीं रैंक हासिल की है।"

गौरी के एक बडे भाई शशांक कुमार अधिवक्ता हैं। वह जेनेवा में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में लॉयर हैं। गौरी बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी। उन्होंने कभी घंटों के हिसाब से पढ़ाई नहीं की। वह जितना पढ़ती थीं, बस ध्यान लगाकर पढ़ती थीं। उनका कहना है कि आईएएस बनने के बाद वह महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा योगदान करेंगी। साथ ही उन्होंने असफल हुए अभ्यर्थियों को निरंतर पढ़ाई का मंत्र दिया है। वह कहती हैं कि निरंतर पढ़ाई करने से लक्ष्य को भेदा जा सकता है।

कुश मिश्रा : लक्ष्य पर अटल रहने की जरूरत
कुश मिश्रा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सहायक प्रबंधक पीपी मिश्रा के बेटे हैं और शहर के सेक्टर डेल्टा दो में रहते हैं। लव और कुश मिश्रा जुड़वा भाई हैं। दोनों लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। इसी सिलसिले में कुश मिश्रा ने पिछले साल उत्तर प्रदेश प्रादेशिक सेवा में कामयाबी हासिल की थी। ट्रेनिंग करने के बाद उन्होंने हाल ही में जॉइनिंग की है। दोनों भाइयों ने यूपीएससी की आईसीएस परीक्षा दी। कुश मिश्रा ने प्री-एग्जाम और मेंस के बाद इंटरव्यू में भाग लिया। उनका परीक्षा परिणाम मंगलवार को घोषित किया गया है। कुश मिश्रा ने बताया कि उन्होंने ग्रेटर नोएडा के समरविले स्कूल से दसवीं की। इसके बाद दिल्ली के सेंट्रल स्कूल से बारहवीं पास की थी। उन्होंने ग्रेटर नोएडा के सर्वोत्तम इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक सिविल इंजीनियरिंग की। इसके बाद सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया। पहले उत्तर प्रदेश प्रादेशिक सिविल सेवा पास की। अब उन्हें बतौर आईपीएस कामयाबी मिल गई है। कुश मिश्रा ने कहा, "मैं शुरू से पुलिस में जाना चाहता था। मैं अपने अनुभव से यह कह सकता हूं कि औसत छात्र भी  हासिल कर सकते हैं। केवल अपने लक्ष्य पर अटल रहने को जरूरत होती है।"

कुश मिश्रा की पत्नी नीलमणि मिश्रा दिल्ली में जज हैं। उन्होंने पिछले साल पहले दिल्ली पीसीएस (जे) में कामयाबी हासिल की थी। जुड़वा भाई लव मिश्रा की पत्नी मालविका मिश्रा आर्कियोलॉजी में पीएचडी कर रही हैं। बेटे की कामयाबी पर सहायक प्रबंधक पीपी मिश्रा का कहना है, "दोनों बेटे बेहद मेहनती हैं। कुश को उसकी मंजिल मिल गई है। शुरू से उसका सपना सिविल सर्विसेज में जाना रहा है। यह उसका चौथा प्रयास था। लव लगातार प्रयासरत है। मुझे पूरा भरोसा है कि अगले साल वह भी सिविल सेवा परीक्षा पास कर लेगा। लव भी पढ़ने में मेधावी है। कुछ शुरू से आईपीएस अफसर बनना चाहता था।"

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