आईएएस मोहिंदर सिंह पर कसता शिकंजा : विजिलेंस ने फिर भेजा नोटिस, तीन दिन में होना होगा पेश

नोएडा | 1 महीना पहले | Nitin Parashar

Tricity Today | Mohinder Singh



Noida News : उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के शासनकाल के दौरान हुए करीब 1400 करोड़ रुपये के कथित स्मारक घोटाले की जांच में नया मोड़ आ गया है। विजिलेंस विभाग ने इस मामले में रिटायर आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है, जिससे यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। गौरतलब है कि हाल में ईडी की छापेमारी में मोहिंदर सिंह के ठिकानों से करोड़ों के हीरे, नकदी और कीमती संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए हैं। इसके बाद विजिलेंस ने भी अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।

5 अक्टूबर को किया था तलब
उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग ने रिटायर आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह को स्मारक घोटाले में पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। विभाग ने उन्हें नोटिस मिलने के तीन दिन के भीतर पेश होने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके चंडीगढ़ स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। सूत्रों के अनुसार, मोहिंदर सिंह पहले भी विजिलेंस के नोटिस पर पेश नहीं हुए थे। इसी तरह ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर भी वे उपस्थित नहीं हुए थे। ईडी ने उन्हें दोबारा 5 अक्टूबर को तलब किया था, लेकिन वे फिर भी नहीं आए।

घोटाले की जांच जारी
बीएसपी सरकार के दौरान लखनऊ और नोएडा में निर्मित स्मारकों में कथित 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच चल रही है। मोहिंदर सिंह उस समय प्रमुख सचिव आवास के पद पर थे और उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जांच में पाया गया कि जुलाई 2007 में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में स्मारक निर्माण के लिए मिर्जापुर के सैंड स्टोन का उपयोग करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन बाद में हुई एक अन्य बैठक में, जिसमें मोहिंदर सिंह भी शामिल थे, इस निर्णय को बदलकर राजस्थान से सैंड स्टोन मंगवाने का फैसला लिया गया। इस बदलाव से निर्माण लागत में भारी वृद्धि हुई।

रमा रमण का कार्यकाल विवादों से घिरा
जानकारी के अनुसार, रमा रमण के कार्यकाल में कई बिल्डरों को दी गई जमीन आवंटन की प्रक्रिया की गहन जांच की जाएगी। यह कदम मोहिंदर सिंह के बयान के बाद उठाया गया है, जिन्होंने ईडी को बताया था कि वह 2010 में सीईओ पद से हट गए थे और प्रॉजेक्ट से जुड़ी बाकी औपचारिकताएं उनके बाद तैनात रहे अफसरों के कार्यकाल में पूरी हुईं। रमा रमण का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। उनके खिलाफ नोएडा निवासी जितेंद्र कुमार गोयल की याचिका पर कार्रवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई 2016 को उनकी शक्तियां जब्त कर ली थीं। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को रमा रमण को किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

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