ज्योतिष: असली समझकर कहीं आपने नकली रत्न तो धारण नहीं किया, 5 मिनट में कर सकते हैं पहचान

Google Image | नकली रत्न की 5 मिनट में पहचान कर सकते हैं



- नकली रत्न को धारण किए जाने से ग्रह संबंधी समस्याओं का नहीं होता है समाधान
- रत्न धारण करने के बावजूद यदि जीवन में आ रही है समस्याएं तो जांच करने की है जरूरत


कुंडली में ग्रहों के उपाय या फैशन को देखते हुए बहुत से ऐसे लोग हैं जो रत्नों को धारण करते हैं। कई बार ज्योतिषी के परामर्श के दौरान ग्रहों के उपचार के लिए रत्नों को धारण कराया जाता है। बावजूद उसके जीवन में समस्याएं लगातार बरकरार रहती हैं। रत्नों को धारण या खरीदने से पहले यदि थोड़ी सी सतर्कता बरती जाए तो घर पर ही असली या नकली रत्न की पहचान आसानी से की जा सकती है।

ज्योतिषाचार्य एवं कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित संतोष जी पाधा ने जानकारी दी कि ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का बहुत अधिक महत्व है। इसे देखते हुए कई तरह के वैकल्पिक रत्न भी बाजार में उपलब्ध हो जाते हैं। इसलिए यह जरूरी है की रत्न को खरीदने का धारण करने से पहले उसकी पहचान आसानी से समझा जाए। यदि कुंडली में ग्रहों के उपचार के लिए रत्न को धारण कर रहे हैं तो यह जरूरी हो जाता है कि सही वजन का और असली रत्न धारण किया जाए। कई बार नकली रत्न को धारण किए जाने से उसका नकारात्मक प्रभाव भी जातक को झेलना पड़ता है। ऐसी स्थिति में कई बार असली दिखने वाले नकली रत्न की वजह से जीवन में कई गुना अधिक समस्याएं उठानी पड़ती हैं।

रत्न इस तरह करता है काम : 
ज्योतिष शास्त्र में रत्न को धारण करने के बाद ऐसी मान्यता है कि रत्न कुंडली में मौजूद कमजोर ग्रह को मजबूत करता है। रत्न पूरी तरह से प्राकृतिक तत्व होता है। सात अलग-अलग रंग इसमें पाए जाते हैं। मूल रूप से रत्न बालू मिट्टी या फिर पत्थर का कठोर तत्व होता है। रत्न को धारण करने से सूर्य की ऊर्जा जब रत्न में पड़ती है तो प्राकृतिक होने की वजह से वह रत्न से छूते हुए शरीर में प्रवेश करती है। रत्न से होकर शरीर में जाने वाली ऊर्जा में रत्न का प्रभाव भी आता है। इससे व्यक्ति के मन मस्तिष्क और संचार प्रभावित होने लगता है।

इस तरह कर सकते हैं पहचान : 

- असली और नकली रत्नों को पहचानने के लिए मेथलीन आयोडाइड केक घोल में डालने पर नकली रत्न उसमें टहलने लगता है जबकि असली रत्न सतह पर नहीं आता।

- रेशम या प्रकाशीय प्रभाव केवल प्राकृतिक रत्नों में ही दिखाई देता है नकली रत्नों में यह दिखाई नहीं देता।

- प्राकृतिक रत्नों के कण एक समान ना होकर विभिन्न आकारों में और अनियमित रूप में होते हैं। कृतिम या नकली रत्नों में यह वक्र के रूप में दिखाई देते हैं।

- कृतिम रत्नों में अंदर की धारिया वक्र रूप में होती हैं जबकि प्राकृतिक या नकली रत्नों में यह सीधी होती हैं।

- कृतिम रतन का रंग एक जैसा होता है जबकि प्राकृतिक में यह विभिन्न रंगों में अलग अलग दिखाई देता है।

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