धर्म कर्म : परीक्षा की तैयारी करते समय गलती से भी इस दिशा में मुंह करके ना करें पढ़ाई, होगा बड़ा नुकसान

धर्म कर्म | 3 साल पहले | Testing

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बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों के लिए छात्र छात्राओं ने प्रयास शुरू कर दिया है। ऐसे में वास्तु शास्त्र योग का मानना है कि परीक्षाओं की तैयारी करते समय छात्र-छात्राओं को विभिन्न दिशाओं और वास्तु से संबंधित नियमों का भी पालन करना चाहिए। इससे उन्हें पढ़ाई करने और परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने में काफी सहायता मिलेगी।

वास्तु शास्त्री पारस कृष्ण शास्त्री ने जानकारी दी कि धन संचय शिक्षा और व्यापार के लिए वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत अधिक महत्व है। विभिन्न दिखाएं कार्य करने के दौरान विभिन्न तरह की ऊर्जाएं  हमारे मन मस्तिष्क में जगाती हैं। ऐसी स्थिति में जब भविष्य संवारने के लिए परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का ख्याल रखते हुए वास्तु संबंधी नियमों का पालन करना अनिवार्य हो जाता है। इसी तरह तंत्र साधक त्रिलोकी संभव ने जानकारी दी कि बोर्ड परीक्षा या प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही किसी ऐसे कार्य जिससे भविष्य का निर्धारण तय होता है उसे करते समय तंत्र साधना का भी ख्याल रखना जरूरी है। परीक्षा कि तैयारी करने के दौरान यदि छोटे-छोटे तंत्र संबंधी उपाय किए जाएं तो इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने लगती है। नकारात्मक ऊर्जा के खत्म होने से कार्य को असफल करने वाले ग्रह कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में वास्तु के साथ तंत्र संबंधी उपाय किए जाने से परीक्षाओं की तैयारी आसानी से बगैर किसी बाधा के की जा सकेगी।
  1. दक्षिण दिशा से करें बचाव :  परीक्षा की तैयारी करते समय दक्षिण दिशा से पूरी तरह से बचाव करना चाहिए। गरुड़ पुराण में दक्षिण दिशा को जीवन के अंतिम समय के लिए बताई गई है। ऐसे में वास्तु शास्त्र में भी दक्षिण दिशा को नकारात्मक ऊर्जा देने वाली दिशा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसलिए यह जरूरी है परीक्षा की तैयारी करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख कर के पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पढ़ाई करने वाले बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता। नकारात्मक विचार आने के साथ ही भ्रम भय और क्रोध की स्थिति भी पनपती है।
  2. उत्तर या पूर्व दिशा का महत्व :  परीक्षा की तैयारी करते समय पढ़ाई की कुर्सी इस तरह से रखें की पढ़ाई करने वाले बच्चे का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो। वास्तु शास्त्र में यह दोनों देशों ने अत्यंत सकारात्मक प्रभाव देने वाली दिशा मानी जाती हैं। उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख होने से पढ़ाई करने वाले बच्चे को लंबे समय तक पढ़ा हुआ पाठ्यक्रम याद रहेगा। इसके अलावा परीक्षा के दौरान भी बच्चा बेहतर प्रदर्शन कर सकेगा। उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके पढ़ाई करने से बच्चे के भीतर एकाग्रता बढ़ेगी और भ्रम है और क्रोध की स्थिति में कमी आएगी।
  3. खिड़की का महत्व :  बोर्ड परीक्षा के लिए बच्चा बेहतर तैयारी कर सकें इसके लिए बच्चे के पढ़ाई वाले कमरे या स्थान में खिड़की का भी अधिक महत्व होता है। पढ़ाई करते समय अभिभावकों को यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चा बंद कमरे में पढ़ाई ना करें। बंद कमरे में अध्ययन करने से बच्चे के शरीर के भीतर ऊर्जा की कमी आ जाती है। ऊर्जा की कमी के चलते बच्चा बहुत अधिक देर तक पढ़ाई में मन नहीं लगा पाता। यदि खिड़की पूर्व दिशा के उत्तर दिशा की ओर है तो उस खिड़की से आने वाली धूप क्या हवा सकारात्मक ऊर्जा लेकर बच्चे का भविष्य बनाएगी।
  4. एक गिलास जल का महत्व : परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चे के कमरे में यदि किसी तरह का वास्तु दोष है तो उसे दूर करने के लिए कमरे किसान कोड में एक गिलास जल रख देना चाहिए। ईशान कोण में जल रखने की वजह से बच्चे के पढ़ाई वाले स्थान में लगने वाले वास्तु दोष में कमी आएगी। यदि घर या बच्चे के पढ़ाई वाले स्थान में वास्तु दोष का पता नहीं लगा पा रहे हैं तो भी कमरे के उत्तर पूर्व दिशा में जल रख देने से लाभ हासिल होगा।
  5. हल्दी की गांठ का महत्व : हल्दी की गांठ तंत्र शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। परीक्षा में बेहतर परिणाम लाने के लिए मकर संक्रांति वाले दिन बच्चे की किताब रखने वाले स्थान या फिर कलाई में हल्दी की गांठ को बांधने से लाभ हासिल होगा। बहुत अधिक बड़ी हल्दी की गांठ बांधने से बचाव करना चाहिए। गांठ बांधने के लिए सफेद रंग के कपड़े का उपयोग किया जाना चाहिए। दाहिने हाथ में 71 दिन तक हल्दी की गांठ बांधे जाने से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा। इसके अलावा गुरु सूर्य शनि की कृपा से परीक्षाओं के डर से बच्चा बाहर आएगा।

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