धर्म कर्म : सैकड़ों वर्ष पुराने महादेव के मंदिर में 38 साल से क्यों हो रहा है परिंदों का संरक्षण, जानिए वजह

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Tricity Today | सैकड़ों वर्ष पुराने महादेव के मंदिर में 38 साल से क्यों हो रहा है परिंदों का संरक्षण



सैकड़ों वर्ष पुराने महादेव के मंदिर में पिछले 38 वर्षों से परिंदों का संरक्षण किया जा रहा है। मंदिर परिसर के समय उन्हें वाली भोर की आरती के दौरान मंदिर में मौजूद यह परिंदे वाद्य यंत्र के साथ कौतूहल करते हैं। इसके अलावा आरती के समय मंदिर की उड़ते हुए परिक्रमा भी लगाते हैं। टीले पर बसे मंदिर में रहने वाले पक्षियों को भी विशेष सुरक्षा दी जाती है। भक्तों की ओर से रोजाना इनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था भी की जाती है।

कानपुर स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है। टीले पर बसे इस मंदिर की प्राचीनता के बारे में जब जांच हुई तो जानकारी हुई कि यह मंदिर 300 वर्ष से भी अधिक पुराना है। मंदिर मैं लगी सीढ़ियों की लखोरी ईट से मंदिर के प्राचीनता के बारे में जानकारी कमेटी के सदस्य जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। श्री जागेश्वर महादेव प्रबंधक सभा के सचिव प्राण श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि मंदिर में पक्षियों का बसेरा कब से है यह कोई नहीं जानता। इलाके के बुजुर्ग बताते हैं कि उन लोगों ने भी बचपन से ही मंदिरों में पक्षियों की पूजन के समय होने वाली गतिविधियों को देखा है।

1982 में गिरी थी मंदिर की दीवार : श्री जागेश्वर महादेव प्रबंधक सभा के सचिव प्राण श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि मंदिर की एक दीवार पुरानी होने के चलते 1982 में गिर गई थी। इस दीवार में पक्षियों ने छेद कर अपने घोसले बना रखे थे। दीवार की मरम्मत का कार्य 3 महीने तक चला। बावजूद इसके पक्षी मंदिर छोड़कर नहीं गए। इसके बाद यह तय किया गया कि दीवार को बनाते समय पक्षियों के घोंसले के स्थान को खाली छोड़ दिया जाए। मंदिर के जीर्णोद्धार के समय भी सभी दीवारों में मौजूद घोंसलों को छोड़कर दीवारों को मजबूत किए जाने का काम किया गया।

विभिन्न प्रजाति के पक्षी : मंदिर के टीले, दीवारों और पेड़ पौधों में सैकड़ों पक्षी विचरण करते हैं। इन पक्षियों की देखरेख मंदिर प्रबंधक सभा की ओर से ही की जाती है। इन सभी पक्षियों को मंदिर का ही सदस्य माना जाता है। इन पक्षियों में अक्सर ऐसी प्रजातियां भी मंदिर परिसर में दिखाई दी जाती है जो हम पक्षियों से बिल्कुल अलग होते हैं। भोर के समय पक्षियों का कौतूहल मंदिर परिसर को भव्यता प्रदान करता है।

पर्व काल पर आता है नाग नागिन का जोड़ा : प्रबंधक सभा के सदस्यों ने जानकारी दी कि मंदिर में ही एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी है। इस पेड़ में लगभग 27 साल पहले एक नाग नागिन का जोड़ा देखा गया था। मंदिर आने वाले कई सदस्यों ने शिवरात्रि या सावन के समय शिव जी के अरघे के पास नाग नागिन के जोड़े को विचरण करते हुए देखा है। ऐसी स्थिति में प्राचीन पीपल के पौधे के इर्द-गिर्द भी ऊंची दीवारों को बनवाया गया है।

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