Tricity Today | राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्रित करते हुए
राम मंदिर आंदोलन में हजारों लाखों भक्तों की सहभागिता के बीच सबकी अपनी अलग अलग भूमिका रही है। हर भक्त ने अपने अपने स्तर पर राम मंदिर के लिए योगदान दिया है। प्रदेश के एक महामंडलेश्वर इन्हीं हजारों लाखों भक्तों में से एक है। 14 वर्ष की उम्र से खुद को रामभक्त मानकर लगातार राम मंदिर आंदोलन में समय-समय पर वे अपनी भूमिका निभाते रहे हैं। आज भी वे मंदिर निर्माण के लिए धनराशि एकत्रित करने के लिए रोजाना लोगो के घर घर जाकर सहयोग राशि ले रहे हैं।
कानपुर के पनकी मंदिर के महंत और महामंडलेश्वर जितेंद्र दास रोजाना भक्तों के बीच जाकर धनराशि एकत्रित कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी इस जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य रामलला का मंदिर है। उन्होंने जानकारी दी कि 1986 में जब वे 14 वर्ष की उम्र के थे उस वक्त से ही वे राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए हैं। पूर्व में उन्होंने अपनी उम्र के लिहाज से लोगों के घर घर जाकर रामलला मंदिर के लिए ईंट भी मांगी थी। उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार शुरू से ही हनुमान भक्त रहा है। यही वजह रही की बचपन में राम जी की सेवा करने के लिए उनके परिवार की ओर से कभी भी उन्हें रोका नहीं गया था।
मथुरा में भी किया कार्य :
महामंडलेश्वर जितेंद्र दास ने जानकारी दी कि उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के लिए मथुरा में भी कार्य किया है। उन्होंने बताया कि 1990 में राम मंदिर आंदोलन के समय वहां पर एक अस्थाई जेल बनाई गई थी। उस जेल में कारसेवकों को रखा जाता था। ऐसे में वे सेवा करते हुए मथुरा में लोगों के घर-घर जाकर अस्थाई जेलों में बंद हुए राम भक्तों के लिए रोटिया और भोजन जुटाते थे। उन्होंने बताया कि जब तक अस्थाई जेलों में बंद राम भक्त वहां पर रहे उनकी दिनचर्या में सुबह से लेकर रात तक भोजन जुटाना शामिल रहा। उन्होंने कहा कि वे शुरू से ही राम मंदिर आंदोलन के लिए भक्तों के घर घर जाकर सामग्री जुटाने का कार्य किया करते थे। इसलिए कुछ दिन बाद उनकी जीवनशैली में यह आदत बन गई।
विश्व हिंदू परिषद ने दी बड़ी जिम्मेदारी :
उन्होंने जानकारी दी कि बचपन से उनकी आम लोगों के घरों में जाकर सहयोग लेने की आदत और राम भक्ति को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद ने भी उन्हें उस वक्त बड़ी जिम्मेदारी दी। कहा की विश्व हिंदू परिषद ने उन्हें केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बनाया और इसके बाद उनके कार्यों में लगातार विस्तार होता चला गया। इसके बाद भी उन्होंने आम लोगों के घर जाकर सहयोग लेने की आदत नहीं छोड़ी। आम लोगों के घर जाकर विभिन्न सहयोग लेने को उन्होंने अपने जीवन का हिस्सा बनाया। आज भी वे लगातार किसी न किसी रूप से लोगों के घरों में जाकर सहयोग लेना नहीं भूलते हैं।
वर्ष 2000 में बने महंत :
उन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 2000 में वे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर पनकी धाम के महंत बनाए गए। इसके बाद वर्ष 2016 में वह महामंडलेश्वर बने। राम मंदिर निर्माण के लिए आज भी लोगों के घरों में जाकर विभिन्न सहयोग लेते हैं। महामंडलेश्वर और महंत बनने के बावजूद राम सेवा करने वह बिल्कुल संकोच नहीं करते। किसी भी कार्य के लिए निकलते हुए रास्ते में वह आम लोगों के बीच उनके घरों के दरवाजों पर दस्तक दे देते हैं।