Ghaziabad News : नोटिस दिए जाने के बाद भी पैसा जमा न कराने पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने 290 आवंटन निरस्त कर दिए हैं। डिफॉल्टर घोषित किए गए आवंटियों में से अधिकतर ने धरोहर राशि के बाद एक पाई भी जमा नहीं कराई थी, कुछेक एक-दो किश्त जमा करने के बाद मुंह फेरकर बैठ गए और 11 साल तक पैसा जमा ही नहीं कराया। जीडीए सभी आवंटियों को 22 जून को जारी किए गए पब्लिक नोटिस के माध्यम से निरस्तीकरण की चेतावनी दी थी लेकिन इस चेतावनी का भी कोई असर नहीं हुआ।
कौन से आवंटन हुए हैं निरस्त
जीडीए ने 2013 में शासन के आदेश पर निजी डेवलपर्स ने विभिन्न योजनाओं में गरीबों के लिए सस्ती दरों पर अफोर्डेबल हाऊसिंग स्कीम के तहत एलआईजी और ईडब्ल्यूएस भवनों का निर्माण किया था। आवंटन की पूरी प्रक्रिया जीडीए के द्वारा लाटरी निकालकर संपन्न कराई गई थी। वेव सिटी में इस स्कीम के तहत 410 एलआईजी और 310 ईडब्ल्यूएस लॉटरी के माध्यम से आवंटित किए गए थे। इनमें से 107 एलआईजी और 183 ईडब्ल्यूएस आवंटियों ने पैसा जमा नहीं कराया। जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि तीन बार नोटिस जारी करने क बाद भी पैसा जमा न कराने वाले आवंटियों के आवंटन निरस्त कर दिए गए है।
कम कीमत पर मिले थे फ्लैट
शासनादेश के मुताबिक निजी डेवलपर्स से सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी) के तहत 10 प्रतिशत भवन एफोर्डेबल हाऊसिंग स्कीम के लिए बनाने थे। वेव सिटी में आवंटित एलआईजी फ्लैट के लिए साढ़े सात लाख और ईडब्ल्यूएस फ्लैट के तहत साढ़े चार लाख रुपए का भुगतान करना था। लेकिन कई आवंटियों ने धरोहर राशि के बाद पैसा जमा ही नहीं किया, कुछेक ने एक- दो किश्त के बाद कुछ नहीं दिया।
करीब 24 करोड़ रुपये का बकाया
अफोर्डेबल स्कीम के इन फ्लैट पर करीब 24 करोड़ रुपये बकाया है। जीडीए अब फ्लैटों को नए सिरे से आवंटित करने के तैयारी कर रहा है। इसके लिए जीडीए की ओर से स्कीम की घोषणा की जाएगी। कम बजट में इस स्कीम में फ्लैट लेना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। वेव सिटी एनएच-9 पर स्थित एक बड़ी टाउनशिप है।