Ghaziabad News : उत्तर प्रदेश के कुशीनगर (Kushinagar) जिले का केला अब पूरे उत्तर भारत में अपनी मिठास के लिए प्रसिद्ध हो रहा है। योगी सरकार की 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) योजना के तहत कुशीनगर के लिए चुने गए इस फल ने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है, बल्कि अपनी गुणवत्ता के कारण दूर-दराज के बाजारों में भी अपनी जगह बना ली है।
नेपाल और बिहार के लोग भी इस केले के स्वाद के कायल
गाजियाबाद से लेकर कश्मीर तक, कुशीनगर का केला अब दिल्ली, मेरठ, चंडीगढ़, लुधियाना और भटिंडा जैसे बड़े शहरों में भी पहुंच रहा है। इतना ही नहीं, गोरखपुर मंडल के सभी जिलों और कानपुर में भी इसकी मांग बढ़ रही है। यहां तक कि नेपाल और बिहार के लोग भी इस केले के स्वाद के कायल हो गए हैं। कुशीनगर में लगभग 16,000 हेक्टेयर क्षेत्र में केले की खेती हो रही है, जो 2007 के मुकाबले 32 गुना अधिक है। किसानों को सरकार की ओर से प्रति हेक्टेयर लगभग 31,000 रुपये का अनुदान भी मिल रहा है, जिससे इस क्षेत्र में और अधिक निवेश को प्रोत्साहन मिल रहा है।
फल व्यापारियों ने कुशीनगर के केले की गुणवत्ता
गाजियाबाद, जो दिल्ली-एनसीआर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, कुशीनगर के केले के वितरण में एक प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां से यह फल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्य हिस्सों और उत्तर भारत के अन्य शहरों में पहुंचता है। गाजियाबाद के फल व्यापारियों ने कुशीनगर के केले की गुणवत्ता और स्वाद को पहचाना है, जिससे इसकी मांग में लगातार वृद्धि हो रही है।
रोजगार के अवसर भी पैदा किए
केले की खेती ने स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं। खेती से लेकर परिवहन तक, यह उद्योग कई लोगों को आजीविका प्रदान कर रहा है। इसके अलावा, कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं केले से जूस, चिप्स, आटा, अचार और यहां तक कि केले के तने से रेशा निकालकर चटाई और चप्पल जैसे उत्पाद भी बना रही हैं। कुशीनगर का केला अब सिर्फ एक फल नहीं रह गया है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक बन गया है। गाजियाबाद से कश्मीर तक फैले इसके बाजार ने साबित कर दिया है कि गुणवत्ता और स्वाद की कोई सीमा नहीं होती।