गाजियाबाद के शातिर वाहन चोर को पुलिस खोजती रही, वो मजे में सीबीआई का हेड कांस्टेबल बनकर मौज करता रहा

यह कहानी फिल्मी नहीं असली है : गाजियाबाद के शातिर वाहन चोर को पुलिस खोजती रही, वो मजे में सीबीआई का हेड कांस्टेबल बनकर मौज करता रहा

गाजियाबाद के शातिर वाहन चोर को पुलिस खोजती रही, वो मजे में सीबीआई का हेड कांस्टेबल बनकर मौज करता रहा

Tricity Today | Sajid

Ghaziabad News : आपने आंखों में धूल झोंककर अपना काम निकालने के बहुत-सी कहानी सुनी होंगी। यहां जो किस्सा है वो सुनने में काफी हद तक फिल्मी लगता है लेकिन है एकदम हकीकत। जहां एक शख्स ने अपराध किए फिर ऐसे विभाग में नौकरी करने लगा जहां उसे खोजने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है। पसौंडा का रहने वाला साजिद वाहन चोरी के कई मामलों में नामजद होने के बाद भी अपना क्राइम रिकॉर्ड छिपाकर सेना सशरूत्र बल (एसएसबी) में भर्ती हो गया। वहां कई साल नौकरी करने के बाद सीबीआई में हेड कांस्टेबल तक बन गया। साहिबाबाद थाने दर्ज गाडी चोरी के मामले में उसके खिलाफ वारंट हो गए थे लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। 2002 के एक मामले में जेल जाने के कुछ दिन बाद ही जमानत पर बाहर आकर वह एकदम गायब हो गया था। अरसे तक उसका कोई सुराग तक नहीं लगा।

कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
किसी तरह पुलिस को पता चला कि साजिद दिल्ली के आरके पुरम स्थिति सीबीआई कार्यालय में बतौर हेड कांस्टेबल तैनात है। एसीजेएम-5 की अदालत से पुलिस वारंट लेकर पहुंच गई। उसके बाद बृहस्पतिवार को साजिद ने कोर्ट पहुंचकर सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने साजिद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि साजिद बहुत ही शातिर है। कोर्ट ने मामले में सीबीआई और एसएसबी को भी पत्र भेजने के आदेश जारी किए हैं।

साहिबाबाद पुलिस ने चोरी के वाहनों के साथ पकड़ा था
अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि 2002 की बात है, पुलिस ने साहिबाबाद थानाक्षेत्र में पसौंडा गांव में छापा मारा था। छापे के दौरान पुलिस ने चोरी के कई वाहन बरामद किए थे। मामले में साजिद और उसके भाई को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दोनों को कोर्ट पेश किया, कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया, लेकिन कुछ दिन बाद जमानत पर छूटकर बाहर आ गए। उन्होंने बताया कि साजिद के खिलाफ वाहन चोरी के मामले में गाजियाबाद के अलावा दिल्ली, मेरठ और बागपत में भी दर्ज हैं।

12 साल तक मजे में करता रहा नौकरी
मुकदमों में कोर्ट में पेश नहीं होने पर कई अदालतों ने उसके गैर जमानती वारंट जारी कर दिए, लेकिन 2002 के बाद वह कोर्ट की ओर नहीं पलटा और न ही दिए गए पते पर मिला। पुलिस के पास साजिद के चार घरों के पते थे। पुलिस को भी नहीं पता था कि वह CBI में नौकरी कर रहा है। इसलिए हर बार साजिद के चारों घरों पर कोर्ट का वारंट जाता, लेकिन वो हाथ नहीं लगता। इस तरह 12 साल बीत गए। वह पुलिस की नाक तले मजे में नौकरी करता रहा और पुलिस उसे खोजती रही। 

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