Ghaziabad News : किसी को जब अपने ही घर में रखे हजार - पांच सौ रुपये अचानक मिलते हैं तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। जरूर आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा। और मान लो किसी को 20 करोड़ मिल जाएं तो खुशी के मारे उसका क्या हाल होगा, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के साथ ऐसा ही हुआ है। सही मायने में कहा जाए तो जीडीए की लाटरी लग गई है। लैंड ऑडिट के चलते जीडीए की लाटरी लगने से अधिकारी गदगद हैं। दरअसल ऑडिट के दौरान इंदिरापुरम में जीडीए को 328 वर्गमीटर भूमि मिली है, जिसका नियोजन ही नहीं हुआ और नियोजन नहीं हुआ तो विक्रय भी नहीं हुआ।
जीडीए वीसी की पहल पर शुरू हुआ लैंड ऑडिट
जीडीए वीसी अतुल वत्स की मेहनत और विजन की बात ही कुछ और है। उनके कार्यकाल में जहां अवैध निर्माण के खिलाफ सख्ती देखने का मिल रही है वहीं पुरानी संपत्तियों के निस्तारण में भी तेजी आई है। जीडीए वीसी की पहल पर शुरू की गई “पहले आओ, पहले पाओ” योजना में जीडीए अब तक 30 करोड़ की संपत्तियों का निस्तारण कर चुका है। जीडीए की संपत्तियों का रखरखाव बेहतर तरीके से करने के लिए जीडीए वीसी ने लैंड ऑडिट शुरू कराया, उसी का परिणाम है कि इंदिरापुरम जैसी योजना में लावारिश पड़ी 328 वर्गमीटर भूमि मिल गई। जिसका जीडीए की पत्रावली में कहीं जिक्र ही नहीं था, ज्ञान खंड- थर्ड में मिली इस भूमि की कीमत करीब 20 करोड़ रुपये बजाई जा रही है।
नियोजन के बाद प्लॉट नीलाम करेगा जीडीए
जीडीए के जोन- छह (इंजीरियरिंग अनुभाग) के सहायक अभियंता पीयूष सिंह को लैंड ऑडिट के दौरान नियोजन से छूट गई 328 वर्गमीटर भूमि खोज निकालने में कामयाबी हासिल हुई है। जब उन्हें लगा कि इस भूमि का नियोजन नहीं हुआ तो उन्होंने नियोजन विभाग से रिपोर्ट मांगी तो नियोजन होने की पुष्टि नहीं हुई, उसके बाद संपत्ति अनुभाग ने भी विक्रय न होने की पुष्टि कर दी। जीडीए की लावारिश भूमि को कब्जा मुक्त कराकर नियोजन की तैयारी शुरू कर दी गई है। नियोजन के बाद प्लॉट का नीलामी के जरिए निस्तारण किया जाएगा।