Ghaziabad News : जिस नोएडा की महिला पत्रकार को गाजियाबाद के गुंडे ने बुरी तरीके से पीटा था, उसको गाजियाबाद पुलिस गिरफ्तार करने में फेल साबित हो गई है। पीड़ित महिला पत्रकार का आरोप है कि पुलिस के द्वारा आरोपी को संरक्षण दिया जा रहा है, क्योंकि आरोपी भाजपा पार्षद का पति है। इस मामले में उन्होंने पुलिस से खूब शिकायत की, लेकिन पुलिस उसको गिरफ्तार नहीं कर पा रही। महिला पत्रकार अवैध निर्माण की कवरेज करने के लिए गाजियाबाद गई थी। इस दौरान उसकी हत्या का प्रयास किया गया। हालांकि, पुलिस का दावा है कि इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
गुंडों ने किस तरीके से किया हत्या का प्रयास
एक नेशनल न्यूज़ चैनल में काम करने वाली प्रिया राणा बतौर पत्रकार के रूप में कार्य करती हैं। प्रिया राणा ने बताया, "मुझको गाजियाबाद मानसरोवर गार्डन में अवैध निर्माण की सूचना मिली थी। जिसके बाद में रिपोर्टिंग करने के लिए अपने न्यूज़ चैनल के कैमरामैन और ड्राइवर के साथ मौके पर पहुंची। वहां पर अवैध निर्माण करने वाले भूमाफिया पहले से मौजूद थे। उन्होंने मेरे साथ मारपीट करना शुरू कर दिया, मेरे कपड़े फाड़ दिए। ड्राइवर और कैमरामैन को बंधक बना लिया। पिस्टल के बल पर मेरे बाल खींचकर मुझे कार से बाहर निकाला। जिसकी वजह से मेरे कपड़े फट गए और कमीज के सारे बटन टूट गए।"
पुलिस से नहीं मिली मदद
प्रिया राणा ने आगे बताया, "कैमरामैन और ड्राइवर को घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। मैं किसी बाइक वाले की मदद से लाल कुआं पुलिस चौकी पहुंची। वहां मैंने चौकी इंचार्ज से कहा कि मैं पत्रकार हूं। मेरी टीम के ऊपर जानलेवा हमला हुआ है, लेकिन चौकी इंचार्ज का ठीक तरीके से जवाब नहीं आया और मैं असुरक्षित महसूस करने लगी। उसके बाद मैं ऑटो में सवार होकर सेक्टर 63 में स्थित अपने ऑफिस पहुंची। वहां मैंने ऑफिस वालों को पूरी कहानी बताई। मेरे ऊपर बीजेपी गाजियाबाद के पार्षद परमोश यादव के पति राजेश यादव और अनिल यादव ने हमला किया।"
गाजियाबाद पुलिस दे रही गुंडों को संरक्षण
कुल मिलाकर साफ है कि गाजियाबाद पुलिस के द्वारा पीड़ित महिला पत्रकार की कोई मदद नहीं की गई। महिला पत्रकार के साथियों को बंधक बनाकर रखा गया। उसके बावजूद गाजियाबाद पुलिस के कान पर जूं तक नहीं चली। प्रिया राणा का आरोप है कि भाजपा सरकार के दबाव में गाजियाबाद की पुलिस कार्य कर रही हैं। वहीं, दूसरी ओर इस मामले के बाद नोएडा के पत्रकारों में गाजियाबाद पुलिस को लेकर काफी रोष है।