Ghaziabad News : बेशक भाजपा के ही एक विधायक गाजियाबाद के कमिश्नरेट बनने के बाद से अपराधों का ग्राफ बढने और वसूली बढने जैसे आरोप लगाते रहे हैं लेकिन आंकड़े इस व्यवस्था की पैरवी करते दिख रहे हैं। पैरवी करें भी क्यों न, गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस डायल-112 पर कॉल मिलने के बाद रिपोर्टिंग टाइम के मामले में 17 माह से पहले पायदान पर कब्जा बनाए हुए है। बता दें कि नवंबर में गाजियाबाद को कमिश्नरेट बने दो साल होंगे। करीब 22 माह में से 17 माह तक नंबर एक पर बने रहना कम उपलब्धि नहीं मानी जाएगी।
सूबे में सबसे पहले पहुंचती है गाजियाबाद पुलिस
डायल-112 पुलिस कॉलिंग की एक सेंट्रलाइज व्यवस्था है। आप जब 112 पर कॉल करते हैं तो कॉल लखनऊ कंट्रोल रूम में जाती है, वहां से संबंधित थाने को सूचना फॉरवर्ड की जाती है। किसी भी जिला पुलिस के मुकाबले गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचती है। रिपोर्टिंग टाइम या कहें रेस्पांस टाइम गाजियाबाद में सबसे कम है। सितंबर माह में गाजियाबाद पुलिस ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर पांच मिनट में घटनास्थल पर पहुंचने वाली पहली पुलिस बन गई है।
शहरी क्षेत्र में रेस्पांस टाइम 4.59 मिनट
शासन से जारी जिलावार रिस्पांस टाइम के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर माह में गाजियाबाद पुलिस शहरी क्षेत्र में औसतन चार मिनट 59 सेकंड में घटनास्थल पर पहुंची जबकि ग्रामीण क्षेत्र में रेस्पांस टाइम 5.18 मिनट रहा। पूरे जिले की बात करें तो औसतन रेस्पांस टाइम पांच मिनट, चार सेकंड का रहा। रेस्पांस टाइम के मामले में दूसरे पायदान पर फिरोजाबाद, तीसरे पायदान पर मऊ और और चौथे पायदन पर गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस रही।
बड़े मायने रखता है रेस्पांस टाइम
पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने बताया कि गाजियाबाद पुलिस पीड़ितों की सेवा के लिए सदैव तत्पर है। रेस्पांस टाइम में सुधार करने के प्रयास निरंतर जारी हैं। इसके लिए समय- समय पर पुलिस की ट्रेनिंग कराई जाती है और शीघ्र अति शीघ्र पुलिस को मौके पर पहुंचने के लिए प्रेरित किया जाता है। बात क्राइम कंट्रोल की हो या फिर पीड़ित को किसी तरह की मदद पहुंचाने की, दोनों ही मामलों में रेस्पांस टाइम बड़े मायने रखता है।