Ghaziabad News : बरसात के बाद संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं। इसलिए शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग एक अक्टूबर से विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाने की तैयारी कर रहा है। यह अभियान पूरे अक्टूबर माह के दौरान चलेगा, लेकिन गाजियाबाद में इस अभियान की स्थिति क्या रहने वाली इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग की लैब में स्वाइन
स्वाइन फ्लू के बारे में जानें
स्वाइन फ्लू वायरस या H1N1, रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के जरिए कोरोना और टीबी की तरह ही फैलता है। यह एक अति संक्रामक श्वसन रोग है जो आम तौर पर सूअरों को प्रभावित करता है, लेकिन कभी-कभी यह इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है। यह H1N1 वायरस के कारण होता है। बदलते मौसम के दौरान स्वाइन फ्लू संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। निजी चिकित्सक पैथोलॉजी लैबों पर स्वाइन फ्लू की जांच करा रहे हैं। जिला सर्विलांस अधिकारी डा. राकेश गुप्ता ने बताया कि जिले में स्वाइन फ्लू की जांच की व्यवस्था नहीं है। जरूरत होने पर सैंपल मेरठ भेजकर जांच कराई जाती है।
अधिकतर फ्लू डॉपलेट्स के जरिए फैलते हैं
अधिकतर वायरल फ्लू भी रोगी के ड्रॉपलेट के जरिए फैलते हैं। डेंगू और मलेरिया की बात अलग है। डेंगू एडीज मच्छर और मलेरिया एनाफिलीज के काटने से फैलता है। यशोदा अस्पताल, कौशांबी के वरिष्ठ फिजीशियन डा. अंशुमान त्यागी बताते हैं कि डेंगू के भी मामले सामने आ रहे हैं हालांकि ज्यादा मामले वायरल के हैं। वायरल से बचाव के लिए जरूरी है कि आप सार्वजनिक स्थान पर मॉस्क का प्रयोग करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाए रखने के लिए संतुलिक पोषणयुक्त डाइट लें। बुखार होने पर चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। अनावश्यक रूप से भीड़भाड़ वाली जगहों पर जानें से बचें।
निजी लैब पर हो रही स्वाइन फ्लू की जांच
गाजियाबाद के निजी अस्पतालों में डॉक्टर स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों की निजी लैब पर जांच करवा रहे हैं, लेकिन सरकारी लैब में स्वाइन फ्लू की जांच की कोई सुविधा नहीं है। यहां तक कि लैब पर सैंपल भी नहीं लिए जा रहे हैं। शहर की निजी लैबों पर रोजाना 40 से 50 सैंपल स्वाइन फ्लू की जांच के लिए पहुंच रहे हैं। निजी लैब पर स्वाइन फ्लू की जांच 4000 से 5000 रुपये के बीच होती है।
स्वाइन फ्लू से अप्रैल में हो चुकी है मौत
इसी साल अप्रैल में राजनगर एक्सटेंशन में रहने वाले एक कारोबारी की स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है। कारोबारी को बुखार और हाइपरटेंशन के चलते निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था और जांच के बाद (एच1एन1) स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। हालांकि अप्रैल में भी जिले में सरकारी स्तर पर स्वाइन फ्लू की जांच नहीं की जा रही थी। कारोबारी की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू की जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं की।
स्वाइन फ्लू के बारे में ये भी जानें
कोविड, वायरल और डेंगू की ही तरह स्वाइन फ्लू के लक्षणों में खांसी, बुखार, भूख में कमी, सिरदर्द, और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण शामिल हैं। स्वाइन फ्लू से संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो इससे श्वसन नाक और मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट से स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या दूषित सतहों को छूने से भी संक्रमण हो सकता है। स्वाइन फ्लू से बचने के लिए, दूसरों के साथ संपर्क सीमित रखना चाहिए, खासकर जब आपको जब फ्लू के लक्षण हों. खांसते या छींकते समय मुंह को टिशू पेपर से ढकना चाहिए।
डाइट का भी रखें ध्यान
स्वाइनफ्लू समेत तमाम संक्रामक रोगों से वही लोग बच पाते हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां नियमित रूप से अपने भोजन में शामिल करें। घर का पका भोजन संतुलित भोजन करें। प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के लिए साबुत अनाज भी अपनी डाइट में नियमित रूप से शामिल करें। तरल पदार्थ अधिक लेने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है।
स्वाइन फ्लू से बचाव के उपाय
भीड़-भाड़ वाली या बंद जगहों पर मास्क पहनने से वायरस वाले ड्रॉपलेट्स का सांस के जरिए अंदर जाने का खतरा कम हो सकता है। वायरस से बचने के लिए हाथों की सफाई का भी ध्यान रखें। इसके लिए नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोते रहें। इसके अलावा अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हाथ की उचित स्वच्छता बनाए रखने से भी इसे फैलने से रोकने में मदद मिलती है। अपने हाथों से चेहरे, खासकर अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें, क्योंकि ये वायरस के एंट्री प्वाइंट्स होते हैं।
रोजाना आ रहे 400 से अधिक बुखार के मामले
जिले में वायरल का प्रकोपइन दिनों जिले में वायरल का भयंकर प्रकोप है। हर घर में बुखार के मरीज हैं। निजी अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों की बात करें तो रोजाना 400 से ज्यादा बुखार के मरीज परामर्श के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें डेंगू, कोरोना और स्वाइन फ्लू की आशंका भी रहती है, लेकिन सरकारी स्तर पर डॉक्टर डेंगू के अलावा कोई और जांच नहीं कराई जा ही है। निजी अस्पतालों में हो रही जांच निजी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की जांच की जा रही है।