Greater Noida West : ग्रेटर नोएडा वेस्ट का शाहबेरी क्षेत्र एक बार फिर चर्चा में है, जहां 155 हेक्टेयर भूमि पर अवैध निर्माण का जाल तेजी से फैल रहा है। यह वही क्षेत्र है जहां चार साल पहले एक इमारत के ढहने से नौ लोगों की जान चली गई थी, लेकिन इस त्रासदी के बावजूद यहां अवैध निर्माण का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह स्थिति न केवल कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रही है, बल्कि हजारों लोगों के जीवन को भी खतरे में डाल रही है।
आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट से नहीं ली सीख
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नियंत्रण से बाहर हो चुकी इस भूमि पर छोटे-छोटे बिल्डर आठ मंजिला इमारतें और व्यावसायिक परिसर बना रहे हैं। आईआईटी दिल्ली की ऑडिट रिपोर्ट में इन इमारतों को असुरक्षित पाए जाने के बाद प्राधिकरण ने कुछ भवनों को सील कर दिया था। लेकिन अब वह सील तोड़ दी गई है और लोग इन खतरनाक इमारतों में रहने लगे हैं। मामले की गंभीरता को दर्शाता एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि शाहबेरी में जिला खेल अधिकारी, एडीएम समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं के प्लॉट पर भी अवैध निर्माण चल रहा है। प्राधिकरण के डिवीजन वन के अधिकारियों का कहना है कि वे इस अवैध निर्माण को रोकने में असमर्थ हैं।
शाहबेरी से हर महीने हो रही मोटी वसूली
स्थिति की विडंबना यह है कि जब प्राधिकरण पुलिस बल की मांग करता है, तो स्थानीय पुलिस चौकी के इंचार्ज द्वारा लोगों को प्राधिकरण के विरुद्ध भड़काया जाता है। एक जेई ने इस संबंध में लिखित शिकायत भी की है कि पुलिस लोगों को प्राधिकरण के अधिकारियों पर पथराव करने के लिए उकसाती है। गंभीर आरोप यह भी है कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारी शाहबेरी से हर महीने मोटी रकम वसूल रहे हैं, जिसके कारण अवैध निर्माण पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। प्राधिकरण का अतिक्रमण विरोधी दस्ता भी मूकदर्शक बना हुआ है।