8 वर्ष की उम्र बच्चे सीख जाते हैं अच्छे और बुरे का अंतर, लेकिन...

ग्रेटर नोएडा में आनंदीबेन पटेल ने कहा- 8 वर्ष की उम्र बच्चे सीख जाते हैं अच्छे और बुरे का अंतर, लेकिन...

8 वर्ष की उम्र बच्चे सीख जाते हैं अच्छे और बुरे का अंतर, लेकिन...

Social Media | ग्रेटर नोएडा में आनंदीबेन पटेल

Greater Noida News : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि बच्चों के संस्कारों का निर्माण घर और स्कूल दोनों जगहों से होता है। इसीलिए बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए स्कूल के साथ-साथ घर का माहौल भी सकारात्मक और शिक्षाप्रद होना चाहिए। उन्होंने यह बातें शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा में स्थित शारदा विश्वविद्यालय में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को संबोधित करते हुए कहीं। 

8 वर्ष की उम्र बच्चे सीख जाते हैं बहुत कुछ
राज्यपाल ने अपने संबोधन में एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर में 7 से 8 वर्ष की उम्र तक 80% बच्चे अच्छे और बुरे का अंतर समझने लगते हैं। जबकि बाकी 20% बच्चे जीवनभर यह सीखते रहते हैं। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि बेहतर भविष्य के लिए घर का वातावरण भी स्कूल जैसा होना चाहिए, जिससे बच्चों को शुरू से ही सही दिशा में मार्गदर्शन मिल सके।

आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका पर जोर
राज्यपाल ने गौतमबुद्ध नगर जैसे जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जहां आर्थिक रूप से कमजोर परिवार अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए इन केंद्रों का सहारा लेते हैं। उन्होंने कहा, "बड़ी इमारतों में पढ़ने वाले बच्चों और आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच की शिक्षा के अंतर को समाप्त करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।" आनंदीबेन पटेल ने सरकार और समाज से आह्वान किया कि वे सबसे पहले आंगनबाड़ी केंद्रों पर ध्यान दें। उन्होंने कहा, "जब हमारी नींव मजबूत होगी, तभी हम एक विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं। विकसित वही देश कहलाता है जहाँ शिक्षा का स्तर उच्च हो और सभी को समान रूप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों।"

कुपोषण पर चिंता, निजी संस्थाओं से सहयोग की अपील
राज्यपाल ने अपने भाषण में कुपोषण के मुद्दे पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बच्चे और गर्भवती महिलाएं कुपोषण का शिकार न हों। इसके लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ निजी संस्थानों को भी आगे आना चाहिए। "आज के बच्चे देश का भविष्य हैं, जो आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर, और राजनेता बनेंगे। इनका सही पोषण बेहद जरूरी है," उन्होंने कहा। राज्यपाल ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सही पोषण की कमी के कारण हर साल 431 बच्चों की गर्भ में ही मृत्यु हो जाती है। इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने सरकार और समाज दोनों से मिलकर काम करने की अपील की।

इन लोगों ने लिया हिस्सा
इस कार्यक्रम में सांसद डॉ. महेश शर्मा, जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा, शारदा विश्वविद्यालय के चेयरमैन पीके गुप्ता और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रविंद्र सिन्हा सहित जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों की एक हजार से अधिक कार्यकत्रियों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए सरकार के साथ समाज के संयुक्त प्रयासों को प्रोत्साहित करना था।

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