Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सीईओ को नोटिस जारी किया गया है। यह पूरा मामला एक व्यक्ति से जुड़ा है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति ने 26 साल पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में एक 2500 वर्ग मीटर का औद्योगिग भूखंड लिया था। लेकिन प्राधिकरण ने उसे आवंटित नहीं किया। करीब 26 साल बाद उसे 1000 वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित किया गया है। फैसले से संतुष्ट न होने पर उपभोक्ता ने एक बार फिर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में मदद की गुहार लगाई। इस पर आयोग ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को नोटिस जारी किया है।
जानिए पूरा मामला
शिकायतकर्ता महेश मित्रा ने बताया कि वर्ष 2000 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने प्रगति मैदान में 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर भूखंड योजना लांच की थी। उन्होंने 500 से 1000 वर्ग मीटर के लिए आवेदन किया था। आवंटन न होने पर महेश ने वर्ष 2005 में जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। वर्ष 2006 में जिला फोरम ने प्राधिकरण को आवंटी की आवश्यकता के अनुसार 1000 वर्ग मीटर से लेकर 2500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित करने के आदेश जारी किए थे। जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की थी। उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ता आयोग से 750 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 2500 वर्ग मीटर औद्योगिक भूखंड दिलाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की थी। आवंटन के लिए 20 हजार रुपये जमा कराए गए, लेकिन पैसा देने के बाद भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को कब्जा नहीं दिया गया।
आदेश से संतुष्ट न होने पर अपील की दायर
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और उपभोक्ता महेश मित्रा के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए 21 जून को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को 1000 वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित करने के आदेश दिए थे। इस आदेश से संतुष्ट न होने पर उपभोक्ता ने लखनऊ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपील दायर कर नियमानुसार 1000 वर्ग मीटर के स्थान पर 2500 वर्ग मीटर का भूखंड उपलब्ध कराने की मांग की।
अब 24 दिसंबर को होगी सुनवाई
मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य आयोग ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को नोटिस जारी कर 15 नवंबर तक मामले से संबंधित जवाब दाखिल करने और 24 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में उपस्थित होने को कहा है। आयोग ने चेतावनी दी है कि सुनवाई में कोई उपस्थित नहीं हुआ तो एकतरफा फैसला सुनाया जाएगा।