घर या फ्लैट खरीदने से पहले बस करना होगा ये काम, रजिस्ट्री दिलाने में जिला प्रशासन और राज्य सरकार देगी साथ 

होम बायर्स के हित में यमुना प्राधिकरण की नई पहल : घर या फ्लैट खरीदने से पहले बस करना होगा ये काम, रजिस्ट्री दिलाने में जिला प्रशासन और राज्य सरकार देगी साथ 

घर या फ्लैट खरीदने से पहले बस करना होगा ये काम, रजिस्ट्री दिलाने में जिला प्रशासन और राज्य सरकार देगी साथ 

Tricity Today | सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह

Greater Noida News : यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) ने होम बायर्स के हितों की रक्षा के लिए एक नया प्लान पेश किया है। यमुना अथॉरिटी के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह ने इस योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कई होम बायर्स मात्र ₹100 के स्टांप पेपर पर फ्लैट या प्लॉट खरीद लेते हैं, जिसके कारण उन्हें अपनी संपत्ति पाने में 10 से 15 साल तक का समय लग जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए, अथॉरिटी ने एक नया तरीका विकसित किया है। यह नया प्लान होम बायर्स के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है। जिला प्रशासन और राज्य सरकार की जिम्मेदारी 
इस नए प्लान के अनुसार, जब कोई बायर कोई संपत्ति खरीदेगा, चाहे वह फ्लैट हो, प्लॉट हो, या कमर्शियल, इंस्टीट्यूशनल या ऑफिस स्पेस हो, तो 10% पेमेंट करने के बाद उसे एग्रीमेंट टू सेल दिया जाएगा। इसके साथ ही, बायर को 5% स्टांप ड्यूटी देनी होगी। यह एग्रीमेंट एक त्रिपक्षीय समझौता होगा, जिस पर अथॉरिटी के अधिकारी भी हस्ताक्षर करेंगे। इस नई व्यवस्था से न केवल अथॉरिटी की जिम्मेदारी बढ़ेगी, बल्कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार की भी भागीदारी सुनिश्चित होगी। एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाएगा कि कितने समय में पैसा देना है और कब तक प्रोजेक्ट पूरा होना है। देरी होने पर पेनल्टी का भी प्रावधान होगा।

खुद प्रोजेक्ट को पूरा करेगी ऑथोरिटी 
डॉ अरुणवीर सिंह ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य बिल्डरों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी को रोकना है। वर्तमान में, जब कीमतें बढ़ती हैं, तो बिल्डर उन लोगों के प्लॉट या फ्लैट रद्द कर देते हैं जिनकी एक भी किस्त बाकी होती है, और फिर उन्हें अधिक कीमत पर दूसरों को बेच देते हैं। नई व्यवस्था में यह संभव नहीं होगा। यह एग्रीमेंट टू सेल पूरी परियोजना अवधि के लिए वैध रहेगा, न कि केवल 60 या 70 दिनों के लिए। इससे खरीदारों के अधिकार सुरक्षित होंगे और उनका टाइटल क्लियर रहेगा। अथॉरिटी का लक्ष्य है कि अगर बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा नहीं करता, तो वे खुद प्रोजेक्ट को पूरा करेंगे और बायर्स के हितों की रक्षा करेंगे।

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