चाइल्ड पीजीआई में बाहर से मंगवाई दवाइयां, मरीजों का हो रहा शोषण

नोएडा से बड़ी खबर : चाइल्ड पीजीआई में बाहर से मंगवाई दवाइयां, मरीजों का हो रहा शोषण

चाइल्ड पीजीआई में बाहर से मंगवाई दवाइयां, मरीजों का हो रहा शोषण

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Noida News : नोएडा में सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर मरीजों ने आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों के परिजनों से बाहर महंगी दवाइयां, सर्जिकल उपकरण और इम्प्लांट मंगवाए जा रहे हैं। मरीजों की शिकायत पर अस्पताल की तरफ 9 सितंबर को इसकी रिपोर्ट प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को भेजी गई।

स्टोर के लिए दवा खरीदने से रोका 
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि निजी स्वार्थ के लिए दूसरे मेडिकल स्टोर को फायदा पहुंचाया जा रहा है। यह पत्र चाइल्ड हॉस्पिटल एंड पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट के ही एक विभाग की ओर से प्रमुख सचिव और निदेशक को भेजा गया है। इस विभाग से कई सवाल पूछे गए, जिसके जवाब में कई खुलासे हुए। भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि दवा स्टोर में स्टॉक लगभग शून्य होने के बावजूद दवा खरीदने से मना कर दिया गया है। इसके लिए मीटिंग और टेंडर बुलाने का बहाना बनाया गया, जिससे मरीजों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं, जबकि अस्पताल की फार्मेसी में मिलने वाली दवाएं अमृत फार्मेसी और दूसरे मेडिकल स्टोर से आधी कीमत पर मिल जाती हैं। 

चार डॉक्टरों पर लगे आरोप 
पत्र में लिखा गया है कि चिकित्सा विभाग के अलग-अलग विभागाध्यक्षों डॉ. उमेश कुमावत, डॉ. अंकुर अग्रवाल, डॉ. मुकुल जैन और डॉ. नीता राधाकृष्णन पर कई आरोप लगाए गए हैं। पत्र में बताया गया है कि जीवन रक्षक और आवश्यक दवाओं, सर्जिकल आइटम की खरीद से संबंधित कई फाइलें 15 दिनों से लंबित हैं, जबकि इन दवाओं का स्टॉक शून्य है। इनकी तत्काल जरूरत है। दवाओं की कमी के कारण अस्पताल सीधे अमृत फार्मेसी से महंगी दवाएं खरीद रहा है, जिससे उसे आर्थिक नुकसान हो रहा है। इससे पहले भी उच्चाधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

कैंसर की नहीं मिल रही दवाएं 
पत्र में कार्डियोलॉजी, पीडियाट्रिक हीमेटो-ऑन्कोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स आदि विभागाध्यक्षों पर आरोप लगाया गया है कि दोनों विभागों में लाखों रुपए की दवाएं और सर्जिकल आइटम बाहर से खरीदे जा रहे हैं। 20 अगस्त को कैंसर ग्रिड के तहत दवाओं का मांग पत्र जारी किया गया था, इसके बावजूद अब तक दवाएं नहीं मिली हैं।

50 हजार रुपये मांगने का आरोप 
पत्र में लिखा गया है कि ऑर्थोपेडिक बेड की इंस्टॉलेशन रिपोर्ट देते समय वेंडर पर कॉन्फ्रेंस के नाम पर आर्थिक मदद मांगने का आरोप है। वहीं एचआरएफ के अध्यक्ष ने एकेडमिक कॉन्फ्रेंस के नाम पर 50 हजार रुपये लिए। नियमानुसार सरकारी डॉक्टर इतनी रकम नहीं ले सकते।

ऑपरेशन थियेटर तक दलालों की पहुंच
दवा, इंप्लांट और अन्य सामान के सप्लायरों की पहुंच ऑर्थोपेडिक्स विभाग के ऑपरेशन थियेटर तक बताई जाती है। इसलिए ऑपरेशन थियेटर में जाने वाले लोगों के लिए रजिस्टर बनाया गया था। इसके बाद लोगों की आवाजाही तो बंद हो गई, लेकिन उनका सामान मरीज के बेड पर रखकर भेज दिया गया, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। 

क्या कहते हैं जिम्मेदार 
चाइल्ड पीजीआई के निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि इस मामले से संबंधित रिपोर्ट अभी तक मुझे नहीं मिली है। कई इम्प्लांट उपलब्ध नहीं हैं, जिन्हें बाहर से मंगवाना पड़ रहा है। जल्द ही दवाइयों व अन्य सामान के लिए टेंडर जारी होने वाला है। किसी से कोई राशि नहीं ली गई है।

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