Noida News : भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत बुधवार को नोएडा पहुंचे। जहां नोएडा मीडिया क्लब में चल रहे फोटो प्रदर्शनी में हिस्सा लिया। इस दौरान उत्तर प्रदेश टाइम्स में दिए इंटरव्यू में सरकार को घेरने का प्रयास किया। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में कूच के वक्त अगर किसान ट्रैक्टर लेकर लाल किला के बजाय संसद चले गए होते तो उसी दिन भारत में बांग्लादेश जैसा हालात हो जाता। उन्होंने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देकर देश से भाग जाने का उदाहरण देते हुए चेतावनी दी।
25 लाख किसान मौजूद थे : राकेश टिकैत
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का हिस्सा रहे राकेश टिकैत ने कि उस दिन 25 लाख किसान मौजूद थे, इसलिए अगर वे संसद भवन की ओर बढ़ जाते, तो उस दिन ही पूरा मामला सुलझ जाता। यह एक चूक रह गई है। उउन्होंने आगे कहा कि इस देश में जो अगला आंदोलन होगा, उसमें आमने-सामने की भिड़ंत होगी। यह आमना-सामना किसानों के मुद्दे को लेकर होगी। जिसमें देश भर के ट्रैक्टर पहुंचेंगे। इस देश की जान ट्रैक्टर ही बचाएगा। टिकैत के इन बयानों पर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है।
"भाव बढ़ाने के लिए देते हैं बयान"
राकेश टिकैत से जब राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "उन पर आम आदमी ने भरोसा किया था। किसानों, गरीबों और युवाओं को लगा था कि वह उनकी आवाज़ बनेंगे। वह सरकार में हिस्सेदार बन गए। अब तो हालात ऐसे हैं कि कोई उनकी टांग पकड़कर भी सरकार से बाहर खींचे तो भी वह अपने लालच की वजह से वहीं पड़े रहेंगे।" जब उनसे पूछा गया कि जयंत चौधरी और चिराग पासवान ने तो कई मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के ख़िलाफ बयान दिए हैं, तो राकेश टिकैत ने कहा, "यह पूरा पोलिटिकल गेम है। अपने भाव बढ़ाने के लिए सरकारों के ख़िलाफ बयानबाजी करते हैं। ऐसे बयान देने से बड़ा फ़ायदा होता है। अगर उन्हें आम आदमी की इतनी ही चिंता है तो सरकार में शामिल क्यों हुए? जयंत चौधरी और चिराग पासवान तो लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार के ख़िलाफ लड़ाई लड़ रहे थे।"
सरकार पांच साल चलेगी पर पीएम बदल जाएंगे
एक अन्य सवाल के जवाब में राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, "यह सरकार कहीं नहीं जाएगी। केंद्र सरकार पूरे 5 साल चलेगी, लेकिन प्रधानमंत्री बदले जाएंगे। आख़िर चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, जयंत चौधरी और चिराग पासवान जैसे सरकार के हिस्सेदार कब तक अपनी विचारधारा के ख़िलाफ मोदी के नाम पर पर टिके रहेंगे। जैसे ही राज्यों के चुनाव नजदीक आएंगे, ये लोग अपनी जमीन बचाने के लिए भागना शुरू कर देंगे।"