गौतमबुद्ध नगर में स्वतंत्रता से जुड़ी कई कहानियां आज भी हैं जिंदा, भगत सिंह और बिस्मिल ने ली थी शरण

जरा याद करो कुर्बानी : गौतमबुद्ध नगर में स्वतंत्रता से जुड़ी कई कहानियां आज भी हैं जिंदा, भगत सिंह और बिस्मिल ने ली थी शरण

गौतमबुद्ध नगर में स्वतंत्रता से जुड़ी कई कहानियां आज भी हैं जिंदा, भगत सिंह और बिस्मिल ने ली थी शरण

Google Image | स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी निशानियां

Noida News : गौतमबुद्ध नगर के लोगों ने भी स्वतंत्रता दिवस को लेकर अपनी जानों को कुर्बान किया था। इन वीरों की कुर्बानियों के चलते ही 15 अगस्त 2024 को देशवासी अपना 78 स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। आज हम आपको गौतमबुद्ध नगर से आजादी से जुड़ी कुछ कहानियों से रूबरू कराएंगे। 

84 क्रांतिकारियों को दी फांसी 
दादरी जहां के लोगों ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था। दादरी के राव उमराव सिंह समेत आसपास के क्षेत्र के 84 लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति में अहम भूमिका निभाई थी। क्रांतिकारियों ने बुलंदशहर से लालकुआं के बीच के क्षेत्र में अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम कर दिया था। जिस पर अंग्रेजों ने राव उमराव सिंह समेत क्षेत्र के 84 क्रांतिकारियों को बुलंदशहर के काला आम पर फांसी पर लटका दिया था। जिस कारण बुलंदशहर का काला आम आज भी मशहूर है। अंग्रेजी हुकूमत ने क्रांतिकारियों के परिवारों की संपत्ति छीन ली थी। उनके घरों को तोड़ दिया गया था। 

शहीद स्तम्भ पर नाम अंकित
शहीदों की याद में आज भी दादरी तहसील के पासीसर में शहीद स्तम्भ स्थित है। जिस पर 84 क्रांतिकारियों के नाम अंकित हैं। दादरी के मुख्य चौराहे पर राव उमराव सिंह की प्रतिमा लगी हुई है। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को उनकी याद में विभिन्न सामाजिक संगठनों और प्रमुख लोगों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दादरी में स्वतंत्रता सेनानी राव उमराव सिंह की प्रतिमा आज भी देखी जा सकती है। 

राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भगत सिंह ने भी ली थी शरण
ऐतिहासिक दृष्टि से यहां के दनकौर, बिसरख, रामपुर जागीर और नलगढ़ा गांव कई यादें समेटे हुए हैं। 1919 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मैनपुरी षडयंत्र को अंजाम देकर भाग निकले प्रसिद्ध क्रांतिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' ग्रेटर नोएडा के रामपुर जागीर गांव में कुछ समय तक भूमिगत रहे थे। नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित नलगढ़ा गांव में भूमिगत रहते हुए भगत सिंह ने कई बम परीक्षण किए थे। वहां एक बहुत बड़ा पत्थर आज भी सुरक्षित रखा हुआ है। 

गोल्फ कोर्स में मौजूद 200 साल पुराना स्मारक स्थल
नोएडा का गोल्फ कोर्स निर्णायक युद्ध के स्मारक स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां 1803 में अंग्रेजों और मराठों के बीच भीषण युद्ध लड़ा गया था। युद्ध के समय दिल्ली मुगल बादशाह शाह आलम की राजधानी हुआ करती थी। मुगल बादशाह के शाही प्रतिनिधि की जिम्मेदारी मराठा राजा दौलत राव सिंधिया के हाथों में थी। यह युद्ध जनरल गेरार्ड लेक के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों और मराठा सेना के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध के 12 दिन बाद महाराष्ट्र के जालना क्षेत्र में एक और युद्ध हुआ, जिसने सल्तनत के भाग्य का फैसला किया। इन युद्धों को इतिहासकारों ने ब्रिटिश-मराठा युद्ध की संज्ञा दी है। इन युद्धों ने उत्तरी भारत में अंग्रेजों के प्रभुत्व को सामने ला दिया।

अन्य खबरे

Please Wait...!
Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.