सैकड़ों बिल्डरों को लगेगा झटका, 400 प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाएंगे, जानिए पूरा मामला

यूपी रेरा का बड़ा फैसला : सैकड़ों बिल्डरों को लगेगा झटका, 400 प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाएंगे, जानिए पूरा मामला

सैकड़ों बिल्डरों को लगेगा झटका, 400 प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाएंगे, जानिए पूरा मामला

Tricity Today | UP Rera Office

Greater noida/Lucknow News : उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उन परियोजनाओं को ‘अबेएन्स’ की श्रेणी में रखने का निर्णय लिया है। जिनके प्रोमोटर्स द्वारा परियोजना की भूमि और मानचित्र के आवश्यक दस्तावेज रेरा के पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए हैं। यह निर्णय यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में 152वीं बैठक में लिया गया। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि कई परियोजनाओं के प्रोमोटर्स द्वारा बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद भी परियोजना से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज जैसे भू-स्वत्व और मानचित्र रेरा के पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए हैं। ये दस्तावेज किसी भी परियोजना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इन्हें देखकर ही आवंटी अपनी निवेश योजना बनाते हैं। 

इसलिए लिया यह फैसला
यूपी रेरा द्वारा किए गए गहन परीक्षण के दौरान यह पाया गया कि लगभग 400 परियोजनाओं के प्रोमोटर्स ने या तो परियोजना के मानचित्र या भू-स्वत्व से जुड़े दस्तावेज अपलोड नहीं किए हैं या उनमें से एक दस्तावेज़ पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। यह परियोजनाएं रेरा के प्रारंभिक दिनों में पंजीकृत कराई गई थीं और 2018 से ही इन्हें बार-बार आगाह किया जा रहा था कि वे अपने सभी दस्तावेज़ अपलोड कर दें। हालांकि, 57 प्रोमोटर्स ने रेरा की हालिया नोटिस का उत्तर प्रस्तुत किया है। इनमें से 03 परियोजनाओं को कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) मिल चुका है, जबकि 04 अन्य परियोजनाओं ने सीसी के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा 25 परियोजनाओं के प्रोमोटर्स ने पोर्टल पर अभिलेख अपलोड करने के लिए एडिटिंग की सुविधा की मांग की है।

‘अबेएन्स’ की श्रेणी में रखने का निर्णय
रेरा के पोर्टल पर उपलब्ध परियोजना की जानकारी से आवंटी यह तय कर सकते हैं कि वे किस परियोजना में निवेश करें। यदि सभी आवश्यक दस्तावेज़ पोर्टल पर उपलब्ध नहीं होते हैं, तो होम बायर्स धोखा खा सकते हैं और किसी ऐसी परियोजना में निवेश कर सकते हैं, जिसकी स्वीकृतियां पूरी नहीं हैं। रेरा ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए इन परियोजनाओं को ‘अबेएन्स’ की श्रेणी में रखने का निर्णय लिया है, ताकि आवंटी सावधान रहें और समझदारी से निवेश करें।

ऐसे होता है धोखा
संजय भूसरेड्डी ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि रेरा का यह प्रयास है कि आवंटियों को पोर्टल से परियोजना से संबंधित सही और पूरी जानकारी प्राप्त हो। उन्होंने यह भी कहा कि प्रोमोटर्स द्वारा परियोजना के विज्ञापनों और विक्रय प्रस्तावों में केवल रेरा की पंजीकरण संख्या का उल्लेख करके अपनी जिम्मेदारी समाप्त कर दी जाती है, जिससे सामान्य आवंटी धोखे का शिकार हो सकता है। 

नोटिस देने के बावजूद बाज नहीं आ रहे बिल्डर
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह परियोजनाएं रेरा के प्रारंभिक दिनों में पंजीकृत कराई गई थीं, लेकिन बार-बार समय और नोटिस देने के बावजूद भी प्रोमोटर्स द्वारा दस्तावेज़ दुरुस्त न करना एक गंभीर समस्या है। ऐसे प्रोमोटर्स को चेतावनी दी जा रही है कि वे बिना किसी विलंब के परियोजना की स्वीकृतियां और भू-अभिलेख रेरा के पोर्टल पर अपलोड कर दें, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भूसरेड्डी ने आवंटियों से भी अपील की है कि वे ‘अबेएन्स’ में रखी गई परियोजनाओं में निवेश करने से बचें।

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