गाजियाबाद में बड़े खतरे की घंटी : एक साल के भीतर 123 फीसदी पानी सोख गए ..और गहराएगा जल संकट

गाजियाबाद | 4 महीना पहले | Mayank Tawer

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Ghaziabad News : तेजी से औद्योगिक विकास और बढ़ती आबादी के चलते गाजियाबाद शहर गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार गाजियाबाद ने पिछले साल अपने कुल भूजल संसाधनों का 123% निकाल लिया। जो राज्य के 75 जिलों की औसत निकासी दर 70.8% से काफी ज्यादा है।

नोएडा में क्षमता से ज्यादा जलदोहन
उच्च निकासी दर वाले शहरों में गाजियाबाद नंबर एक पर है। नोएडा और फिरोजाबाद क्रमशः 104.8% और 104.7% की निकासी दर के साथ उसके बाद आते हैं। 48.6 लाख की आबादी और 56,000 से अधिक उद्योगों वाले गाजियाबाद ने पिछले साल 46,191 हेक्टेयर मीटर (HAM) भूजल निकाला। जिसमें औद्योगिक उद्देश्यों के लिए 2,246 HAM और सिंचाई के लिए 36,881 HAM शामिल है।  

बेहद चिंताजनक स्थिति
बेतहाशा निकासी के बावजूद भूजल पुनर्भरण का स्तर चिंताजनक रूप से कम रहा। वर्षा जैसे प्राकृतिक स्रोतों के जरिए गाजियाबाद सिर्फ 41,675 HAM भूजल भर पाया। इस तरह निकासी और पुनर्भरण के बीच बड़ा अंतर देखा गया, खासकर मुरादनगर, लोनी और मोदीनगर जैसे क्षेत्रों में जिन्हें अतिदोहित घोषित कर दिया गया है।

सात साल से बिगड़ते जा रहे हालात
इस स्थिति पर चिंता जताते हुए जलविज्ञानी अंकिता रे ने कहा, "भूजल निष्कर्षण और उसका पुनर्भरण संतुलित होना बेहद जरूरी है। वर्ष 2017-2023 के बीच शहरी इलाकों में जलस्तर 9.5 मीटर तक गिर गया, जिससे बोरवेलों के सूखने की समस्या गंभीर हुई है।"

संरक्षण प्रयासों पर जोर देने की आवश्यकता
पर्यावरणविद् सुशील राघव ने भूजल पर निर्भरता कम करने और संरक्षण प्रयासों पर जोर देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा, "यूपी सरकार को अधिसूचित क्षेत्रों में उद्योगों के लिए एनओसी जारी करने पर पुनर्विचार करना चाहिए और स्थायी जल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"

नगर निगम को ध्यान देने की जरूरत
हालिया दिनों में केंद्र सरकार ने एमएसएमई को भी भूजल निकासी की अनुमति दे दी है, जिससे भविष्य में जल संकट के और गहराने की आशंका है। इस बीच, गाजियाबाद नगर निगम के जल कार्य विभाग के केपी आनंद ने बुनियादी ढांचे के उन्नयन पर जोर दिया, ताकि भविष्य में पानी की कमी से निपटा जा सके।  

वैकल्पिक स्रोतों के इस्तेमाल की मांग
भूजल स्तर में लगातार गिरावट देखते हुए हितधारकों ने स्थायी जल प्रबंधन और सतही जल जैसे वैकल्पिक स्रोतों के इस्तेमाल की मांग की है। अमृत मिशन 2.0 जैसी योजनाओं से गाजियाबाद के जल बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के आसन्न संकट की चेतावनी के बीच, स्थिति सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाना आवश्यक हो गया है।

खोड़ा में पीने को पानी नहीं
गाजियाबाद और नोएड़ा से सटे खोड़ा में लोगों के घरों में पानी की भारी किल्लत हो चुकी है। हजारों घरों में पेयजल और सामान्य पानी नहीं है। लोग टैंकर से पानी ढोने को मजबूर हैं। पिछले दिनों स्थानीय निवासियों ने इसे लेकर जोरदार प्रदर्शन कर जल व्यवस्था सुचारू करने की मांग की थी। लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है। 

 

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