अच्छी खबर : गाजियाबाद में उगाए जा रहे‌ हिमालयन रेंज के औषधीय पौधे 

गाजियाबाद | 3 महीना पहले | Dhiraj Dhillon

Tricity Today | प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते पीसीआईएमएच के अध्यक्ष डा. रमन मोहन सिंह व अन्य




Ghaziabad News : भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी भेषज स‌ंहिता आयोग (पीसीआईएमएच)  गाजियाबाद में हिमालय पर उगने वाले दुर्लभ औषधीय पौधे उगा रहा है। दुर्लभ औषधीय पौधों को विलुप्त होने से बचाने के लिए यह प्रयास विशेष प्रकार के पॉली हाऊस का निर्माण कर किया गया है। पौधों की तासीर के हिसाब से तापमान उपलब्ध कराने के लिए पॉली हाऊस के निर्माण पर 25 लाख रुपए खर्च हुए हैं। पॉली हाऊस का तामपान 5 से 15 डिग्री के बीच रहेगा। इतना ही नहीं जरूरी नमी बनाए रखने के लिए भी पॉली हाऊस में व्यवस्था की गई है। कमला नेहरू नगर में स्थित आयोग के परिसर में उगाए जा रहे पौधों पर प्रयोगशाला में प्रयोग किए जाएंगे ताकि इनके औषधीय गुणों की जानकारी जुटाई जा सके। यह भी व्यवस्था की जाएगी कि भविष्य में इन विशेष औषधीय पौधों की प्रजाति विलुप्त होने से बचाई जा सकें।

बुग्गयाल पर पनपते हैं दुर्लभ औषधीय पौधे
भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी भेषज संहिता आयोग की प्रबंधक गुणवत्ता एवं प्रभारी डॉ. जयंति ए. ने आयोग द्वारा औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए किए जा रहे विशेष प्रयास की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमालय रेंज के ग्लेशियर और मैदानों के बीच एक प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। इस मिट्टी को बुग्गयाल कहा जाता है। इस खास मिट्टी में ही दुर्लभ औषधीय पौधे पनपते हैं। आयुर्वेद और सिद्धा जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में इन औषधीय पौधों का इस्तेमाल किया जाता है। कायदे में यही औषधीय पौधे वो जड़ी बूटियां हैं जिनका हमारे पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। इन औषधीय पौधों में जटिल बीमारियों के उपचार की क्षमता है।

गढ़वाल यूनिवर्सिटी का लिया जा रहा सहयोग
हिमालय की रेंज में उगने वाले विशेष औषधीय पौधों को गाजियाबाद में उगाने के लिए गढ़वाल यूनिवर्सिटी का सहयोग लिया जा रहा है। आयोग की प्रयोगशाला में बनाए गए पॉली हाऊस में हिमालय जैसा वातावरण उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी भेषज संहिता का यह प्रयोग सफल रहा तो मैदानी मिट्टी में पौधों को विकसित कर बड़े पैमाने पर पैदावार की जा सकेगी। बतौर विज्ञानी तैनात डा. ललित ने बताया कि इस विशेष प्रयोग की शुरूआत 27 औषधीय पौधों से की गई है। यह प्रयोग सफल रहा तो भारतीय चिकित्सा में बड़ा क्रांतिकारी साबित होगा। उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रयास पहले भी हो चुके हैं लेकिन मैदानी मिट्टी में पहाड़ी पौधे चल नहीं पाते, पिछले प्रयोगों से भी हमने कुछ सीख लेने का प्रयास किया है।

औषधीय पौधों को विलुप्त होने से बचाने की चुनौति
डा. ललित का कहना है कि दुर्लभ औषधीय पौधों को विलुप्त होने से बचाना हमारा लिए बड़ी चुनौति है। अपने प्राकृतिक गुणों के कारण औषधीय पौधों का दोहन किया जा रहा है। इसलिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि औषधीय गुणों वाले पौधों की दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित किया जा सके। पहाड़ी मिट्टी में पैदा होने वाले पौधे मेदानी मिट्टी में पल बढ़ सकें इसके लिए विशेष रूप से तैयारी गई है। केवल जैविक खाद का प्रयोग किया गया है। पौधों को निर्धारित तापमान उपलब्ध कराने के लिए पॉली हाऊस में फ्रीजर लगाए गए हैं। पांच डिग्री से कम तापमान में उगने वाले पौधों के लिए विशेष कोल्ड रूम तैयार किया गया है। फिलहाल उगाए जा रहे 27 औषधीय पौधों में से अधिकांश तीन से चार हजार मीटर की ऊंचाई पर पनपते हैं।

प्रयोग सफल हुआ तो लगाएंगे प्रदर्शनी 
पीसीआईएमएच के अध्यक्ष डा. रमन मोहन सिंह बताते हैं कि यह प्रयोग बड़ा चुनौति भरा है। इस प्रयोग के सफल होने पर हम प्रदर्शनी का आयोजन कर जानकारी प्रसारित करने का प्रयास करेंगे। आम आदमी को भी इन पौधों को देखने और इनके बारे में समझने का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि विशेष रूप से तैयार किए गए पॉली हाऊस में 28 जून को 27 प्रजातियों के औषधीय पौधे लगाए गए थे। अब तक पौधों की बढ़वार अच्छी चल रही है। पौधशाला पूरी तरह से ‌विकसित होने के बाद आमजनों को विजिट कराया जाएगा और आमतौर पर घर में भी पैदा किए जा सकने वाले अच्छे औषधीय पौधों की जानकारी दी जाएगी।
 

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