Greater Noida West : ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित कासा ग्रीन-1 हाउसिंग सोसाइटी में विनोद कुमार सिंह ने एक फ्लैट बुक किया था। विनोद कुमार को फ्लैट पर कब्जा 2017 में दिया जाना था लेकिन बिल्डर ने नोटबंदी का बहाना बनाते हुए कहा कि अभी फ्लैट का कार्य पूरा नहीं हुआ है। जिसके बाद उन्हें फ्लैट पर कब्जा 2018 में दिया जाना था। उसके बावजूद भी अभी तक विनोद कुमार को फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया गया है। जिसके खिलाफ उन्होंने यूपी रेरा में शिकायत की लेकिन यूपी रेरा के कहने के बाद भी बिल्डर उन्हें फ्लैट पर कब्जा नहीं दे रहा है। विनोद कुमार ने बताया कि इस मामले में बिल्डर का कहना है कि बिल्डर ने यूपी रेरा के आदेश को मना करते हुए लखनऊ कोर्ट में चैलेंज करने को कहा है।
यह है पूरा मामला
विनोद कुमार सिंह ने 5 सितंबर 2016 को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के कासा ग्रीन-1 में एक फ्लैट बुक किया था। फ्लैट बुक करते समय विनोद कुमार ने 10 प्रतिशत डाउन पेमेंट का भुगतान किया था। उसके बाद बिल्डर द्वारा लोन कराए जाने पर 85 प्रतिशत धनराशि जमा कराई। जिसके बाद विनोद कुमार द्वारा पूरे फ्लैट का 95 प्रतिशत पेमेंट जमा कर दी गई। बाकी की 5 प्रतिशत बची हुई पेमेंट के लिए बिल्डर ने बोला कि जब आपके फ्लैट पर कब्जा दिया जाएगा, तब आपको बाकी की पेमेंट करानी होगी।
सारा पैसा देने के बावजूद भी नहीं मिला फ्लैट
विनोद कुमार को 2017 में फ्लैट पर कब्जा दिया जाना था लेकिन बिल्डर ने नोटबंदी की वजह से कार्य ने पूरे न होने का कहकर कुछ समय बाद फ्लैट पर कब्जा देने के लिए कहा। 2018 में विनोद कुमार को ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (Occupation Certificate) प्राप्त किया गया। जिसके प्राप्त होने के बाद विनोद कुमार से बाकी के 5 प्रतिशत धनराशि को जमा करने को कहा गया। उन्होंने तुरंत ही बाकी के 5 प्रतिशत धनराशि को जमा करा दिया लेकिन इसके बाद भी विनोद कुमार को फ्लैट पर कब्जा नहीं दी गया। फ्लैट का कार्य भी पूरा हो चुका है। विनोद कुमार ने बताया कि बिल्डर द्वारा उनसे अतिरिक्त धनराशि की मांग की जा रही है।
विनोद कुमार सिंह ने की यूपी रेरा में शिकायत
विनोद कुमार के फ्लैट पर कब्जा मांगे जाने के बाद बिल्डर ने उनसे अतिरिक्त धनराशि की मांग की। अतिरिक्त धनराशि की मांग के बाद विनोद कुमार सिंह ने 15 फरवरी 2019 को यूपी रेरा में इसके खिलाफ शिकायत की। जिसमें उन्होंने यूपी रेरा को बताया कि वे बिल्डर को 47,20,529 लाख रुपए की धनराशि का भुगतान कर चुके हैं। बिल्डर से हस्ताक्षर अनुबंधन पत्र में उन्हें 2019 तक फ्लैट पर कब्जा दिया जाना था लेकिन अभी तक उन्हें फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया गया है। इसके अलावा बिल्डर द्वारा उनसे अतिरिक्त धनराशि मांगी जा रही है। विनोद कुमार ने यूपी रेरा से फ्लैट पर कब्जा लेने, अतिरिक्त धनराशि की मांग में छूट और प्रतिकार दिलाए जाने की याचिका दाखिल की।
याचिका पर बिल्डर ने दिया यह है जवाब
याचिका का जवाब देते हुए बिल्डर ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा चीजों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है। बिल्डर ने बताया कि कासा ग्रीन-1 परियोजना का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और फ्लैट बायर्स को बहुत ही जल्द कब्जा प्राप्त कराए जाने की पूर्ण संभावना है। बिल्डर ने बताया कि ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट 20 जुलाई 2018 में दिया जा चुका है।
बिल्डर ने कहा- हम सबसे लेंगे अतिरिक्त धनराशि
बिल्डर ने कहा कि हमने अतिरिक्त धनराशि की मांग मेंटेनेंस चार्ज, पावर बैकअप मीटर, इंस्टॉलेशन चार्ज, वॉटर और सीवरेज चार्ज ऑप्टिकल नेटवर्क टर्मिनल के संबंध में की। जो शिकायतकर्ता द्वारा जमा कराए जाने अनिवार्य है। बिल्डर ने बताया कि यह धनराशि हर किसी को जमा करानी अनिवार्य है। फ्लैट बायर्स द्वारा जमा की गई सभी धनराशि विकास कार्य में खर्च हो चुकी है। इसलिए धन वापस किया जाना संभव नहीं है।
बिल्डर ने किया यूपी रेरा के आदेश को मानने से मना
विनोद कुमार ने कहा, "यूपी रेरा के आदेश मिलने के बाद जब उन्होंने बिल्डर से फ्लैट पर कब्जा मांगा तो बिल्डर ने कहा कि हम कब्जा नहीं देंगे। बिल्डर ने यूपी रेरा के आदेशों को मानने से मना कर दिया। बिल्डर ने उनसे कहा है कि हम यूपी रेरा के आदेशों को नहीं मानते। हमने अपनी तरफ से कोई गलती नहीं करी है।" अब बिल्डर ने यूपी रेरा के फैसले को लखनऊ कोर्ट में चैलेंज करने को कहा है।
घर खरीदार पर बनाया दवाब
विनोद कुमार ने कहा कि बिल्डर ने उनसे धोखे से 3 अक्टूबर 2019 के अनुबंधन पत्र पर साइन कर आए थे। बिल्डर द्वारा ब्रोकर के माध्यम से उनपर फ्लैट की धनराशि वापस लेकर फ्लैट को छोड़ने का दबाव भी बनाया जा रहा है। ब्रोकर ने उनसे कहा कि आप अपनी दी गई धनराशि से कुछ पैसे ज्यादा लेकर अपने फ्लैट को छोड़ दें लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उनका कहना है कि हमें हमारा फ्लैट वापस चाहिए, हम अपने फ्लैट को नहीं छोड़ेंगे। विनोद कुमार जब बिल्डर से मिलने जाते हैं तो उनसे बोल दिया जाता है कि अभी वे यहां पर नहीं है या कहीं बाहर गए हुए हैं। बिल्डर उनसे मुलाकात नहीं करता और ना ही उन्हें फ्लैट पर कब्जा दे रहा है।