ग्रेटर नोएडा वेस्ट का गजब बिल्डर निकला फ्यूजन ग्रुप : फ्लैट पर कब्जा देने से पहले मांगने लगा वसूली, नहीं देने पर दी धमकी

Tricity Today | फ्लैट पर कब्जा देने से पहले मांगने लगा वसूली



Greater Noida West : हाल ही में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित फ्यूजन ग्रुप के मल्टी-यूज रिजिडेंशियल प्रोजेक्ट 'ufairia' को लेकर बिल्डर और खरीदारों के बीच विवाद उठा है। यह प्रोजेक्ट अभी अधूरा है, लेकिन फिर भी बिल्डर ने खरीदारों को मकान के कब्जे की पेशकश भेजी है, जिसका खरीदारों ने विरोध किया है। खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर उन पर अनौपचारिक और अनुचित शुल्क लगा रहा है, जिनका बायर एग्रीमेंट में कोई उल्लेख नहीं है। उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि इसमें बिल्डर और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत है।

हैंडओवर ना लेने पर जुर्माना लगाने की धमकी
दीपक ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रोजेक्ट साइट का निरीक्षण करने पर पता चला है कि अभी भी बहुत से काम बाकी हैं और इनको पूरा करने में कम से कम 6 महीने लगेंगे। फिर भी बिल्डर ने एक अगस्त से पहले भुगतान न करने और हैंडओवर ना लेने पर 10 रुपये प्रति वर्गफुट का जुर्माना लगाने की धमकी दी है।

अधूरे प्रोजेक्ट का पूरा भुगतान मांग रहा
सेंथिल कुमार का कहना है कि खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर अधूरे प्रोजेक्ट में भी पूरा भुगतान की मांग कर रहा है, जिससे वे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि बिल्डर को पहले प्रोजेक्ट पूरा करना चाहिए, फिर ही हैंडओवर करना चाहिए। आधे-अधूरे में हैंडओवर लेना उचित नहीं है। बिजली आपूर्ति के लिए छोटे स्थान के लिए बिल्डर 5 केवी की मांग कर रहा है, जबकि खरीदार केवल 3 केवी पर ही सहमत हैं।

अपने वादों से पीछे हटा बिल्डर
आलोक कुमार सिंह ने बताया कि बायर एग्रीमेंट में 2 साल के लिए अग्रिम रखरखाव शुल्क का कोई उल्लेख नहीं है, लेकिन बिल्डर इसकी भी मांग कर रहा है। इसके अलावा, दुकानों और कार्यालयों के आकार को भी बढ़ा दिया गया है। जब बिल्डर से इस बारे में बात की गई तो उसने कहा कि यह कंपनी की नीति है।

बिल्डर और निवासी हुए आमने-सामने
रवि शर्मा का कहना है कि मुख्य विवाद अधूरे प्रोजेक्ट में जबरन हैंडओवर करने को लेकर है। बिल्डर का कहना है कि सभी सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करने में 6-8 महीने लगेंगे, लेकिन फिर भी वह खरीदारों से 3 महीने के भीतर हैंडओवर लेने और सभी भुगतान करने की मांग कर रहा है। ऐसा न करने पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। यह स्थिति बिल्डर और खरीदारों के बीच गंभीर विवाद पैदा कर रही है और दोनों पक्ष इस मामले पर अड़े हुए हैं।

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