ग्रेटर नोएडा में अवैध PG और गेस्ट हाउस का जाल : प्राधिकरण के जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी

Tricity Today | Greater Noida



Greater Noida News : किसानों को आबादी विस्तार के लिए दिए गए छह प्रतिशत प्लॉटों के दुरुपयोग का मामला नॉलेज पार्क-3 में सामने आया है। जिन किसानों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से आबादी विस्तार के तहत छह प्रतिशत आबादी प्लॉट दिए गए थे। अब उनमें से कई प्लॉटों पर बहुमंजिला PG, गेस्ट हाउस, होटल और ओयो रूम्स बन गए हैं। इन अवैध भवनों के लिए प्राधिकरण से न तो किसी प्रकार की NOC ली गई है और न ही नक्शा पास कराया गया है। 

अवैध निर्माण का बढ़ता कारोबार
नॉलेज पार्क-3 में 100 से अधिक अवैध PG, गेस्ट हाउस, होटल और हॉस्टल निर्माण किए गए हैं। ये सभी भवन अनाधिकृत रूप से निर्मित हैं। जिससे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को रोज़ाना लाखों रुपए का राजस्व घाटा हो रहा है। हालांकि, प्राधिकरण इन भवनों को सड़क, नाली और सफाई जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। लेकिन किसी भी भवन स्वामी ने न तो संपत्ति कर का भुगतान किया है और न ही प्राधिकरण को बिजली के शुल्क का भुगतान किया गया है। 

सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिम
इन अवैध PG और गेस्ट हाउसों में सुरक्षा मानकों की भी घोर अनदेखी की गई है। ग्रेटर नोएडा समाज सुधार सेवा समिति के अध्यक्ष हरिओम सिंह ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 12 मंजिला तक बने इन भवनों में फायर सेफ्टी सिस्टम तक नहीं है। जिससे किसी भी समय बड़ी दुर्घटना का खतरा बना रहता है। उन्होंने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र भेजा है। जिसमें इन अवैध भवनों की जांच कर कार्रवाई की मांग की गई है। 

नोटिस जारी किया गया था, लेकिन...
हरिओम सिंह का कहना है कि ये अवैध भवन बिना किसी अधिकृत नक्शे के बनाए गए हैं और केवल एक बार प्राधिकरण की ओर से नोटिस जारी किया गया था। उसके बाद से बिना किसी रुकावट के ये अवैध निर्माण जारी हैं। बिना पुलिस वेरीफिकेशन के इन भवनों में कौन रह रहा है। इसकी जानकारी तक नहीं है जो कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय है। 

प्राधिकरण की अनदेखी

इन अवैध भवनों से उत्पन्न कचरे को साफ करने के लिए भी प्राधिकरण के स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है, जबकि भवन स्वामियों द्वारा कोई टैक्स नहीं दिया जा रहा है। हरिओम सिंह के पत्र में मांग की गई है कि इन भवनों की न केवल जांच कर उन्हें अवैध घोषित किया जाए बल्कि भविष्य में इस तरह के निर्माण पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि किसी बड़ी घटना को रोका जा सके।

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