जनपद गौतमबुद्ध नगर में किशोर न्याय बोर्ड ने बालात्कार की एक घटना को अंजाम देने वाले एक नाबालिग बलात्कारी को करीब 19 साल बाद आरोप सिद्ध किया है। इस पर 5 हजार रुपये का अर्थदण्ड लगाया है। उसे 3 साल की सजा भी सुनाई है। किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट वीरेश चंद्रा और सदस्य अनीत कुमार बघेल ने किशोर को विशेष गृह इटावा भेजने का आदेश दिया है। वहीं, अर्थदण्ड न भरने पर आरोपी को एक महीने की अतिरिक्त सजा का प्रावधान किया है।
आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा के थाना दादरी में 28 जून 2002 को बलात्कार की घटना का मुकद्दमा दर्ज करवाया गया था। जिसके बाद पुलिस ने अपनी जांच के साथ कार्यवाही करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। लेकिन उस दौरान आरोपी को हिरासत में लेने के तीन महीने बाद जमानत पर छोड़ दिया गया। उस समय आरोपी की उम्र करीब साढ़े 17 साल थी। जिसके कुछ महीनों बाद आरोपी ने दूसरी महिला से शादी कर ली थी।
दादरी पुलिस ने जुलाई 2002 में नाबालिग को हिरासत में लिया था। पीड़िता के परिवार को 5 महीने बाद गर्भावस्था के बारे में पता चला। अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई। लड़की ने रेप की जानकारी दी और रेप करने वाले का नाम बताया। बताया कि उसने उसके साथ बलात्कार किया था। जब वह घर पर अकेली थी।
इस मामले को उसी साल अगस्त में किशोर न्याय बोर्ड गौतमबुद्ध नगर ने मामले को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जिला सत्र अदालत में स्थानांतरित कर दिया। वहां अदालत को यह तय करने में पांच साल लग गए कि आरोपी वास्तव में नाबालिग था। अंततः उसे मेरठ में किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) में स्थानांतरित कर दिया गया था। जब 2012 में गौतमबुद्ध नगर में किशोर न्याय बोर्ड का गठन किया गया तो क्षेत्राधिकार का भी मुद्दा उठा। इसके बाद यह यह मामला गौतमबुद्ध नगर के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। हालांकि, इस केस में कार्यवाही होने में समय लगा और बीते मंगलवार को फैसला सुनाया गया।
किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट वीरेश चंद्र और सदस्य अनित बघेल ने आरोपी को दोषी ठहराया। अभियोजन अधिकारी अमित उप्पल ने बताया कि आरोपी को इटावा में स्थित विशेष किशोर गृह में भेजा गया है। क्योंकि, वह पहले 3 महीने का कारावास काट चुका है। लिहाजा, इस सजा की अवधि से समय काटा जाएगा। अमित उप्पल ने बताया कि अभियोजन ने आरोपी की वैवाहिक स्थिति की पुष्टि करने के साथ उसे बच्चे होने का भी जिक्र किया, लेकिन बलात्कार के बाद पीड़िता की गर्भावस्था के बारे में कुछ भी पुष्टि नहीं कर सका।
फैसला आने में देरी के बारे में उप्पल ने कहा, "कई मामले ऐसे हैं, जो सालों से लंबित हैं। कभी-कभी गवाह उपलब्ध नहीं होते हैं। अन्य समय में अदालत काम नहीं करती हैं। पुलिस अधिकारी किसी कारण से उपस्थित नहीं हो पाते हैं। कुछ तारीखों पर न्यायाधीश अवकाश पर हो सकते हैं। बलात्कार के मामलों में, विशेष रूप से पीड़ितों और गवाहों का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।"
वहीं, किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट वीरेश चंद्रा व सदस्य अनीत कुमार बघेल ने सभी तथ्य, गवाह और सबूतों के आधार पर बीते मंगलवार को सजा सुनाते हुए कहा कि बलात्कार की घटना के समय नाबालिक पीड़िता होने के साथ आरोपी करीब साढ़े 17 साल का था करीब 19 साल बाद अदालत ने आरोपी को 5 हजार का अर्थदण्ड से दंडित करते हुए 3 साल के लिए विशेष गृह इटावा उत्तर प्रदेश में भेजने का आदेश सुनाया है। साथ ही ये भी आदेश किया कि अगर आरोपी अर्थदण्ड नही भरता है तो आरोपी को एक महीने की अतिरिक्त सजा काटनी पड़ेगी।