गैंगस्टर भू-माफिया यशपाल तोमर को बड़ा झटका : ट्रायल कोर्ट ने जमानत अर्जी फिर खारिज की, चिटहेरा भूमि घोटाले में जनवरी 2022 से जेल में बंद

Tricity Today | गैंगस्टर भू-माफिया यशपाल तोमर



Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के गांव चिटहेरा में दलित-पिछड़े किसानों, विधवा महिलाओं और बच्चों की जमीन हड़पने वाले अंतरराज्यीय भू-माफिया गैंगस्टर यशपाल तोमर को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। गौतमबुद्ध नगर की ट्रायल कोर्ट ने यशपाल तोमर की जमानत अर्जी एक बार फिर खारिज कर दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही यशपाल तोमर की जमानत याचिका ख़ारिज कर चुका है। यशपाल ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके जमानत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत नहीं दी थी और ट्रायल कोर्ट (अपर जिला एवं सेशन जज विशेष न्यायधीश एससी-एसटी) से जमानत मांगने का आदेश दिया था। आपको बता दें कि आपके पसंदीदा न्यूज पोर्टल 'ट्राईसिटी टुडे' ने चिटहेरा भूमि घोटाले का खुलासा किया है।

क्या है पूरा मामला
यशपाल तोमर के ख़िलाफ किसानों की तरफ से अदालत में मुकदमे की पैरवी कर रहे एडवोकेट विनीत शर्मा ने अदालत को बताया कि दादरी थाने में यशपाल तोमर और उसके साथियों के ख़िलाफ जिलाधिकारी के आदेश पर यह मुकदमा दर्ज करवाया गया है। जिसमें प्रशासन का आरोप है कि चिटहेरा गांव की भूमि प्रबंधन समिति ने अगस्त 1997 में दलितों, पिछड़ों और भूमिहीन लोगों को पट्टा आवंटन के जरिए ज़मीन दी थी। दादरी के उपजिलाधिकारी ने पट्टा आवंटन रद्द कर दिया था। यशपाल तोमर और उसके सहयोगियों कर्मवीर, बेलू और कृष्णपाल ने पट्टों वाली सैकड़ों बीघा जमीन किसानों से हड़प ली। यशपाल ने पूरी जमीन पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए अपने नौकर मालू को ट्रांसफर करवा दी। इस पूरे गोरखधंधे में दादरी तहसील के प्रशासनिक अधिकारी यशपाल तोमर का सहयोग कर रहे थे।

विनीत शर्मा ने बताया कि चिटहेरा गांव में हुए पट्टों को गौतमबुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी न्यायलय ने भी ख़ारिज कर दिया था। इसके खिलाफ एक अपील दायर की गई। यह अपील यशपाल तोमर ने दायर करवाई। गौतमबुद्ध नगर में सुनवाई नहीं हो, इसके लिए मुकदमे को हापुड़ के अपर जिलाधिकारी न्यायालय में ट्रांसफर करवाया गया। वहां पट्टों को बहाल करने का आदेश हुआ। बाद में दादरी के एसडीएम ने 110 पट्टों को संक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिया। इस तरह पूरी जमीन यशपाल तोमर ने अपने गुर्गों के नाम ट्रांसफर करवा दी। गांव के किसानों ने इसका विरोध किया तो उन पर फर्ज़ी मुकदमे दर्ज करवाए गए। कई किसानों को दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, और राजस्थान की जेलों में बंद करवाया गया। किसानों ने मजबूर होकर यशपाल तोमर और उसके गुर्गों के नाम अपनी जमीनें ट्रांसफर कर दीं। बड़ी बात यह है, जिस समय यह घोटाला अंजाम दिया जा रहा था, उस वक़्त मेरठ के एडिशनल कमिशनर ने पट्टों की बहाली पर स्थगन आदेश पारित कर रखा था। इस स्थगन आदेश की दादरी तहसील के अफसरों को जानकारी थी, लेकिन रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया। साज़िशन पट्टा आवंटियों को संक्रमणीय घोषित किया गया। उनकी जमीन यशपाल तोमर के गुर्गों के नाम ट्रांसफर की गई।

"अफसरों को बचाया गया, यशपाल बना बली का बकरा"
दूसरी तरफ यशपाल तोमर के वक़ील ने अदालत को बताया कि यशपाल तोमर पर धोखाधड़ी, जालसाजी और किसानों के साथ अत्याचार करने के सारे आरोप झूठे हैं। यशपाल के ख़िलाफ एफआईआर में झूठे आरोप लगाए गए हैं। वक़ील ने अदालत को बताया कि चिटहेरा गांव में पट्टों का आवंटन 1997 में हुआ था और यशपाल तोमर के ख़िलाफ दादरी थाने में 20 मई 2022 को दर्ज करवाई गई। दूसरी एफआईआर 22 मई 2022 को दर्ज करवाई गई। एफआईआर दर्ज करवाने में करीब 25 साल की देरी की गई है। यशपाल पर लगाए गए आरोपों का आधार उसके ड्राइवर मालू का बयान है। यशपाल के ख़िलाफ कोई सबूत उपलब्ध नहीं है। पहली एफआईआर चिटहेरा गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद ने दर्ज करवाई थी। उस एफआईआर को जिला प्रशासन ने दूसरी एफआईआर में मर्ज करवाया। दूसरी एफआईआर शीतला प्रसाद को भी आरोपी बनाया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों ने एक छोटे कर्मचारी को बलि का बकरा बनाया है। बड़े अफ़सरों को बचा लिया गया है। इस पूरे मामले में दादरी के एसडीएम और हापुड़ के तत्कालीन एडीएम की मिलीभगत की बात की जा रही है, लेकिन उनके ख़िलाफ कोई जांच नहीं की गई है। उन्हें छोड़ दिया गया है। यशपाल तोमर पर एफआईआर दर्ज करके पूरे घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश की गई है। यशपाल के वक़ील ने अदालत को आगे बताया कि उसके ख़िलाफ चार्जशीट बनाने के लिए दस्तावेजों को तोड़ा-मरोड़ा गया है।

यशपाल तोमर के वक़ील ने अदालत को बताया कि इस मुकदमे में सह अभियुक्त कर्मवीर ने यशपाल तोमर की साली के ख़िलाफ वर्ष 2021 में पंचायत चुनाव लड़ा था। जिससे साफ होता है कि करमवीर और यशपाल तोमर की आपस में कोई मिलीभगत नहीं है। यशपाल तोमर के वकील ने दादरी थाने में दर्ज की गई एफआईआर संख्या 278/2022 और 280/2022 को मर्ज़ करने पर भी आपत्ति ज़ाहिर की। वक़ील ने बताया कि इस मुकदमे में अन्य आरोपियों खचेरमल संत, सरस्वती देवी, एम भास्करन, अनिल राय, साधना राय, गिरीश वर्मा और मालू को हाईकोर्ट पहले ही जमानत दे चुकी है। ऐसे में यशपाल तोमर को भी जमानत दी जानी चाहिए।

किसानों के वकील ने जमानत का पुरजोर विरोध किया
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता और किसानों की पैरवी कर रहे वक़ील विनीत शर्मा ने यशपाल तोमर को जमानत देने का पुरज़ोर विरोध किया। दोनों वकीलों ने अदालत को बताया कि यशपाल तोमर बेहद साधन सम्पन्न व्यक्ति है। वह इस मुकदमे से जुड़े दस्तावेजों, साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इस मामले के शिकायतकर्ताओं को प्रभावित कर सकता है। सह-अभियुक्त करमवीर, कृष्णपाल और बैलू के फर्ज़ी दस्तावेज़ तैयार करवाए थे। जिनके जरिए उन्हें चिटहेरा गांव का निवासी घोषित किया गया था। इन ही फर्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर इन तीनों को चिटहेरा का मतदाता भी बनवाया था। दोनों वकीलों ने यह सारे दस्तावेज अदालत के सामने पेश किए। एडवोकेट विनीत शर्मा ने कहा, "जब यशपाल तोमर जिला प्रशासन और राजस्व विभाग में इतनी भीतर तक दखल रखता है तो उसके लिए इस मुकदमे से जुड़े साक्ष्यों को प्रभावित करना कोई बड़ी बात नहीं है। लिहाज़ा, यशपाल तोमर को किसी भी सूरत में ज़मानत नहीं दी जानी चाहिए।"

अदालत ने माना यशपाल को जमानत देना जोखिम भरा
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) विजय कुमार हिमांशु ने दोनों तरफ के वकीलों की बहस सुनने के बाद यशपाल तोमर की जमानत अर्ज़ी ख़ारिज कर दी है। अदालत ने लिखा है कि चिटहेरा गांव में 260 पट्टे भूमिहीनों, दलितों, पिछड़ों और गरीबों को आवंटित किए गए थे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यशपाल तोमर और उससे जुड़े लोगों ने रेवेन्यू रिकॉर्ड में व्यापक हेर-फेर किया है। पट्टों का आवंटन भले ही पर 1997 में किया गया था, लेकिन वर्ष 2022 में यह ख़ुलासा हुआ कि यशपाल तोमर और उसके सहयोगियों ने ग़ैर क़ानूनी ढंग से इन ज़मीनों पर क़ब्ज़ा किया है। किसानों को प्रताड़ित किया गया है। चिटहेरा के गरीब और भूमिहीनों का शोषण किया गया है। यह बात सामने आने के बाद यह एफआईआर दर्ज करवाई गई है। सारे दस्तावेजों और साक्ष्यों को देखने से यह साफ हो जाता है कि यशपाल तोमर ने अपने मुखौटों का इस्तेमाल करके गैरकानूनी ढंग से जमीन हासिल की है। अवैध ढंग से लाभ हासिल किया है। इतना ही नहीं, पीड़ित किसानों ने यशपाल तोमर और उसके सहयोगियों के ख़िलाफ लगातार शिकायतें की हैं। आरोपी ने राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर करके लाभ उठाया है। हाईकोर्ट ने 16 मई 2023 को यशपाल तोमर की क्रिमिनल अपील पर सुनवाई की और पाया कि उसे जमानत नहीं दी जा सकती है। अगर उसे जमानत दी गई तो वह साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है। आरोपी भूमाफिया और गैंगस्टर है। उसका लंबा आपराधिक इतिहास है। वह बहुत सारे लोगों के ख़िलाफ अलग-अलग तरह के अपराध कर चुका है। अपर जिला जज ने अपने आदेश में आगे लिखा है कि इन सारे तथ्यों के प्रकाश में यह माना जा सकता है कि यशपाल तोमर को अगर जमानत दी गई तो वह साक्ष्यों को ख़त्म करने की कोशिश करेगा। गवाहों को धमकी भी देगा। वह जमानत के माध्यम से मिलने वाली स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर सकता है। इस मामले में यशपाल तोमर का अपराध गरीबों, वंचितों, भूमिहीनों और अनुसूचित जाति से ताल्लुक़ रखने वाले समुदाय के ख़िलाफ है। उसके अपराध की गंभीरता बहुत ज़्यादा है। ऐसे में उसे बेल नहीं दी जा सकती है। इस तरह अदालत ने यशपाल तोमर की जमानत अर्ज़ी ख़ारिज कर दी है।

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