बड़ी खबर : सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को बड़ा झटका, कोर्ट ने नहीं दी जमानत, 27 हजार फ्लैट बायर्स को सता रहा डर

Tricity Today | चेयरमैन आरके अरोड़ा



Greater Noida/New Delhi : सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को बड़ा झटका, कोर्ट ने नहीं दी जमानत, 27 हजार फ्लैट बायर्स को सता रहा डर नहीं दी है। अभी आरके अरोड़ा को जेल में रहना पड़ेगा। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरके अरोड़ा को 24 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। दरअसल, बीते सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरके अरोड़ा को 12 दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने पर अदालत में पेश किया था। सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश देवेंदर कुमार जांगला ने उनको झटका दिया। अब आरके अरोड़ा को आगामी 24 जुलाई तक जेल में रहना पड़ेगा। 

27 हजार फ्लैट बायर्स को सता रहा डर
दूसरी तरफ आरके अरोड़ा के गिरफ्तार होने के बाद सुपरटेक ग्रुप पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो 27 हजार फ्लैट बायर्स को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले शहर के कई बड़े बिल्डरों आम्रपाली, जेपी इंफ्राटेक और यूनिटेक के दिवालिया होने से परेशानी बढ़ी हैं। हालांकि, आम्रपाली के प्रॉजेक्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरे किए जा रहे हैं। लिहाजा, आम्रपाली के बायर्स को राहत मिल रही है। जेपी इंफ्राटेक के फाल्ट खरीदारों को ज्यादा कष्ट उठाना पड़ा है। इसमें छह साल का समय सिर्फ यह तय करने लग गया कि इस कंपनी के अधूरे प्रॉजेक्ट कौन पूरा करेगा? आपत्तियों और सुनवाई का सिलसिला अभी जारी है। एक समय देश की नंबर दो रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक की बात करें तो चार साल पहले कोर्ट ने कंपनी का बोर्ड भंग कर दिया था। नए बोर्ड को जिम्मेदारी दी। चार साल की प्रोग्रेस जीरो है। अभी तक संशोधित नक्शा पास नहीं हो पाया है।

अब सुपरटेक बिल्डर का क्या होगा?
अब एक और बड़ी रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक डूबने के कगार पर पहुंच गई है। सवाल है कि वेंटिलेटर पर पहुंचे सुपरटेक ग्रुप के बायर्स को घर कैसे मिलेंगे? गौतमबुद्ध नगर में प्रॉपर्टी मामलों के जानकार एडवोकेट मुकेश शर्मा का कहना है, "यदि कंपनी दिवालिया हुई तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। पिछले सप्ताह सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि इसमें फंसे 27 हजार बायर्स का भविष्य क्या होगा? क्या यह कंपनी अन्य कंपनियों की तरह दिवालिया हो सकती है। सुपरटेक की हालत बिल्कुल वैसी होती जा रही है, जैसी चार साल पहले यूनिटेक की हुई थी।" रियल एस्टेट मामलों के जानकार और थ्री-सी ग्रुप की कंपनी में आईआरपी रह चुके मनीष अग्रवाल का कहना है, "यदि एक-दो झटके और लगे तो दिवालिया होने से सुपरटेक समूह को बचा पाना मुश्किल होगा। ऐसे में बायर्स के लिए ही संघर्ष बढ़ेगा। उसके बाद फंड का नए सिरे से इंतजाम करना और प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की जिम्मेदारी किसकी होगी? यह तय होने में लंबा वक्त निकल जाएगा।"

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