Greater Noida News : बाइक बोट घोटाले में अब आगे की लड़ाई लड़ने के लिए पीड़ितों ने फैसला लिया है कि चंदा इकट्ठा करके न्याय की जंग लड़ेंगे। जिसको लेकर काफी लोगों ने चंदा इकट्ठा कर लिया है। बताया जा रहा है कि अभी तक 457 पीड़ितों ने चंदे में पैसा दिया है और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोई व्यक्ति ₹5000 तो कोई व्यक्ति ₹3000 चंदे के रूप में दे रहा है। इन पैसों से सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा जा रहा है। आपको बता दें कि बाइक बोट घोटाले के माध्यम से देशभर के 16 से ज्यादा राज्यों के लोगों से लाखों रुपए की ठगी हुई है। हजारों पीड़ित पिछले 5 साल से अपना धन वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब उनका यह संघर्ष 18 से अधिक जांच एजेंसियों से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
सुरेश भट्ट कर रहे नेतृत्व
जम्मू निवासी सुरेश भट्ट इस मामले में बाइक बोट पीड़ितों को साथ लेकर हाईकोर्ट, ईडी और सुप्रीम कोर्ट में संघर्ष कर रहे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट में भी जांच एजेंसियों और बाइक बोट कंपनी को पार्टी बनाकर दो केस लड़ रहे हैं। सुरेश भट्ट ने को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही कानूनी लड़ाई के लिए अभी तक 457 लोगों ने तीन-तीन हजार रुपए का चंदा दिया है। इन सभी लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में हैं। अभी उनके पास चंदा देने के लिए और पीड़ित भी आ रहे हैं। उनका दावा है कि कुछ ही दिनों में यह संख्या हजारों में होगी।
इन राज्यों में हुई सबसे ज्यादा ठगी
अभी तक उनके साथ यूपी के अलावा जम्मू कश्मीर, असम, बंगाल, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित 14 राज्यों के लोग जुड़ गए हैं, जिन्हें बाइक बोट कंपनी ने ठगा है। उन्होंने ईडी और अन्य जांच एजेंसियों को भी सुप्रीम कोर्ट में पार्टी बनाते हुए मांग की है कि इन जांच एजेंसियों द्वारा बाइक बोट की, जो संपत्ति जब्त की गई है, उसे नीलाम कर उनका पैसा वापस दिलाया जाए।
क्या थी बाइक बोट स्कीम
साल 2010 में संजय भाटी ने कंपनी की शुरुआत की थी। वर्ष 2018 में यह बाइक बोट स्कीम लॉन्च की थी। स्कीम के तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई। इसके तहत एक व्यक्ति से एक मुश्त 62,100 रुपए का निवेश कराया गया था। उसके एवज में एक साल तक प्रतिमाह 9,765 रुपए देने का वादा किया गया था। निवेश करने वालों का आरोप है कि उन्हें पैसे नहीं दिए गए। बाद में संचालक फरार हुआ तो लोगों ने मुकदमे दर्ज कराने शुरू किए थे।