Greater Noida News : जिसकी वजह से सैकड़ों किसान कई महीनों से परेशान है, उस समस्या का समाधान यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने चुटकियों में कर दिया है। ग्रेटर नोएडा में 237 आबादी प्रकरण मामलों में जो अभी तक की जांच की गई है, उसको खारिज कर दिया गया है। अब इस मामले में दोबारा से जांच की जाएगी। इसलिए किसानों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। अभी तक मार्केट में जो रिपोर्ट घूम रही है, वह तत्काल प्रभाव से खारिज कर दी गई है। इस मामले की खुफिया जांच सीईओ डॉक्टर अरुणवीर सिंह खुद करेंगे। इसके अलावा उन अधिकारी के खिलाफ एक्शन होगा, जो किसानों को परेशान कर रहे हैं।
सीईओ ने कहा- मार्किट वाली रिपोर्ट शासन को नहीं भेजूंगा
यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने कहा, "जो मार्केट में फाइल उपलब्ध है, मैं उसे शासन को नहीं भेजूंगा। मैं इस मामले में अब दोबारा जांच करुंगा। मैं किसी भी किसान के साथ गलत नहीं होने दूंगा। किसान के अलावा प्राधिकरण के साथ भी गलत ना हो, इसका भी मुझे पूरा ध्यान रखना है। अब उत्तर प्रदेश शासन में जो फाइनल रिपोर्ट भेजी जाएगी, उसकी खुफिया जांच मैं खुद करूंगा।" इस तरीके से डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने उस समस्या को एक झटके में खत्म कर दिया, जिसकी वजह से ग्रेटर नोएडा के सैकड़ों किसान परेशान थे। किसान सोच रहे थे कि उनकी आबादी प्रकरण मामले में जो गलत जांच हुई है, वही रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
क्या है पूरा मामला
ग्रेटर नोएडा में किसानों की 237 आबादी प्रकरण मामले को निरस्त कर दिया गया था। उसके बाद किसानों ने आंदोलन किया और दोबारा से जांच शुरू हुई। यह जांच खुफिया था और यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह को सौंपी गई थी। अब इस जांच रिपोर्ट के हाईकमान पहुंचेने से पहले ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुछ अफसरों ने लीक कर दिया। आरोप है कि प्राधिकरण के कुछ अफसरों ने पूरी आबादी को ठीक बताते हुए किसानों से मोटी रकम मांगी और सभी मामले ठीक बता दिए। जबकि जांच अभी तक पूरी नहीं हुई। इस मामले को लेकर किसान यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह के पास पहुंचे। मामले की खुफिया जांच कर रहे डॉ.अरुणवीर सिंह ने केस की गंभीरता समझी और तत्काल बड़ा एक्शन लिया।
इस प्रकार करवानी थी जांच
डॉ.अरुणवीर सिंह ने बताया, "ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को एक जिम्मेदारी दी गई थी। ग्रेटर नोएडा में 237 आबादी प्रकरण के मामले हैं। इस मामले में खुफिया जांच के आदेश मिले थे। इसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को किसानों की आबादी के मामले में पूरी जांच करने के आदेश दिए गए थे कि किसानों ने कब जमीन छोड़ी, क्या लिख कर छोड़ा गया है, किसने की जमीन सैटेलाइट इमेज में है या नहीं है? इन सभी सवालों के जवाब प्राधिकरण से मांगे गए थे, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इस मामले में मुझे अभी तक कोई भी प्रारूप नहीं दिया।"
किसानों ने सीईओ को बताई सच्चाई
सीईओ ने आगे कहा, "मुझसे खैरपुर गुर्जर समेत कई गांव के किसान इस मुद्दे पर मिलने के लिए आए थे। उन्होंने कुछ कागज मुझे दिखाए, जिसमें दिखाया गया था कि रिपोर्ट बनाकर तैयार हो गई है और कुछ ऐसे कानून उसमें मैंने देखे, जो हमने कहे नहीं रहे। शायद वह कानून किसानों को डराने के लिए जोड़े गए होंगे। जब मैं उसको पढ़ तो मुझे लगा कि इन सब में नियम तो वह है, जो मैंने कभी बोल भी नहीं और उसकी आवश्यकता भी नहीं है। लोगों का आरोप था कि यह सभी फाइलों को बाजारों में भेजा जा रहा है। किसानों तक यह फाइल पहुंच चुकी है। कुछ अधिकारी किसानों से कह रहे हैं कि आप अपनी आबादी के मामले को ठीक करवा लीजिए। इसको मैंने ध्यानपूर्वक समझा और गंभीरता से लिया। इसके बाद मैंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि कुमार एनजी को कॉल किया और पूरे मामले को अवगत करवाया।
तत्काल जिम्मेदार कर्मचारियों को नौकरी से हटाया
सीईओ ने आगे बताया, "किसानों ने दो लोगों के नाम बताए थे, जो फिलहाल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कार्य कर रहे हैं। जिसके बाद सीईओ रवि कुमार एनजी ने तत्काल एक्शन लिया और दो एसीईओ मेरे पास भेजे। उन्होंने मुझे बताया कि सीईओ के आदेश पर दोनों कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है। इसकी मैंने पूरी जांच करवाने के आदेश दिए।" सीईओ का कहना है, "अब बड़ा सवाल यह है कि पूरा मामला खुफिया था। उसके बावजूद किसानों के बीच कैसे फाइल पहुंच गई।"