Greater Noida News : उत्तर प्रदेश के नोएडा में उपभोक्ताओं के साथ की गई मनमानी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। जिला उपभोक्ता विवाद नियामक आयोग ने ऐसे 10 बिल्डरों के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी किए हैं, जिन्होंने आदेश के बावजूद उपभोक्ताओं की रकम वापस नहीं की। ये बिल्डर बायर्स को पजेशन नहीं देने के आरोप में फंसे हुए थे। आयोग ने इन बिल्डरों के खिलाफ आरसी जारी करने के साथ-साथ संबंधित जिलाधिकारी और कमिश्नर को नोटिस जारी कर तत्काल भुगतान की वसूली के आदेश दिए हैं।
आयोग के आदेश पर कार्रवाई
वर्तमान में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के उपभोक्ताओं के मामलों में काफी वृद्धि देखी जा रही है। जनवरी 2024 से जुलाई 2024 तक पीड़ित होम बायर्स से संबंधित मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसी संदर्भ में सोमवार को आयोग ने उपभोक्ता मामलों में धनराशि को वापस न देने वालों के खिलाफ आरसी जारी की।
जारी की गई आरसी की राशि
मॉफियस डिवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड : 4,33,706 रुपये
एमएक्स इन्फॉर्मेशन सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड : 31,023 रुपये
रुद्रा बुलड़बैल होम्स प्राइवेट लिमिटेड : 10,55,210 रुपये
रुद्रा बुलड़बैल होम्स प्राइवेट लिमिटेड : 11,09,410 रुपये
अमेजॉन रिटेल प्राइवेट लिमिटेड : 32,085 रुपये
एमएक्स इन्फॉर्मेशन सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड : 24,650 रुपये
अमेजॉन गुरुग्राम : 19,800 रुपये
मैसर्स जेपी ग्रीन्स स्पोर्ट्स सिटी : 2,50,000 रुपये
अंसल हाईटेक टाउनशिप लिमिटेड : 3,43,644 रुपये
न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड : 2,30,000 रुपये
मैसर्स कृष्णा इन्फ्रा होम्स प्राइवेट लिमिटेड : 5,75,084 रुपये
यूपी टाउनशिप इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड : 5,54,700 रुपये
अंसल हाईटेक टाउनशिप लिमिटेड : 10,32,125 रुपये
मैसर्स सामिया इंटरनैशल बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड : 12,11,271 रुपये
अयोग के अध्यक्ष का बयान
अयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर ने बताया कि 13 फर्मों के खिलाफ वसूली के नोटिस जारी किए गए हैं। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को सात आरसी, गाजियाबाद के जिलाधिकारी को एक, महाराष्ट्र के कमिश्नर को एक, दिल्ली के दो और गोवा के एक मामले में आरसी जारी की गई है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक आरसी बिल्डर प्रबंधन से संबंधित मामलों में जारी की गई हैं, इसके बाद हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी और एक ऑनलाइन ऐप के मामले में भी आरसी जारी की गई हैं। इस कार्रवाई से उम्मीद जताई जा रही है कि उपभोक्ताओं को उनकी कड़ी मेहनत की कमाई का वाजिब हक मिलेगा और बिल्डरों पर नकेल कसी जा सकेगी।