Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने मजिस्ट्रियल इंक्वायरी का आदेश दिया
Greater Noida : ट्राईसिटी टुडे के ऑपरेशन रसूखदार से जुड़ी बड़ी खबर है। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा ने इस मामले में मजिस्ट्रियल इंक्वायरी का आदेश दिया है। गौतमबुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) नितिन मदान जांच करेंगे। आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी को जेल से लाकर ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में डेढ़ महीने से रखा गया है। इस पूरे मामले में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है।
कैलाश को क्या बीमारी? पता लगाएगा मेडिकल बोर्ड
ऑपरेशन रसूखदार को लेकर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा से बात हुई। उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) नितिन मैदान करेंगे। कैलाश भाटी को किस आधार पर जेल से राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान लाया गया? उसे क्या बीमारी थी? उसका क्या उपचार किया जा रहा था? इस सबका पता लगाने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। दूसरी ओर जिलाधिकारी ने जिम्स के डायरेक्टर से भी जवाब मांगा है।
कैलाश भाटी को दी जा रहीं सारी लग्जरी सुविधाएं
रसूखदार कैलाश भाटी की ऐश के हालात कुछ इस कदर ट्राईसिटी टुडे के कैमरे में कैद हुए हैं कि वीडियो के दर्शक कह रहे हैं, "यह व्यक्ति जेल में बंद है या किसी फाइव स्टार होटल में है।" वातानुकूलित कमरा, कोल्ड ड्रिंक्स, बाहर से लाया हुआ खाना, महिलाए और मिलने वालों का जमावड़ा कैलाश भाटी को किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने देता है। वहीं, जेल से उपचार के लिए आए दूसरे कैदी प्रवीण की निगरानी के लगे हुए पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद कैमरे में कैद हुए है। आपको बता दें कि कैदी प्रवीण की उपचार के दौरान रविवार को मौत हो चुकी हैं। लेकिन प्रवीण की निगरानी के लिए लगे दोनो पुलिसकर्मी ट्राईसिटी टुडे के कैमरों में 14 व 15 अप्रैल को आईसीयू वार्ड के बाहर मुस्तैदी से ड्यूटी करते हुए कैद हुए है।
पुलिस वालों को कैलाश भाटी से कोई मतलब नहीं
कैलाश भाटी की निगरानी के लिए लगाए गए दोनों पुलिसकर्मी कमरा नंबर 3006 से दूर एक अन्य कमरे 3162 में बैठे रहते हैं। पुलिस वाले दिनभर आराम से लेटे रहते हैं। यह सारे नजारे ट्राईसिटी टुडे के कैमरे में कैद हुए हैं। पुलिसकर्मियों की निगरानी होने के बावजूद कैलाश भाटी के कमरे में आने-जाने वालों की भीड़ लगी रहती है। कैलाश भाटी खुलेआम फोन का उपयोग करता है। कैलाश के लिए बाहर से खाना और पीने के पदार्थ मंगाए जाते हैं।
ऑपरेशन रसूखदार से कैलाश भाटी पर खड़े हुए सवाल
कैलाश भाटी की यह ऐश कई सवाल खड़े करती है। पहला सवाल, क्या कैलाश भाटी खुलेआम मोबाइल का इस्तेमाल कर सकता है?
दूसरा सवाल, क्या कैलाश भाटी को जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड में एयर कंडीशनर, कोल्ड ड्रिंक्स, बाहर का खाना और ऐशोआराम मिल सकता है?
तीसरा सवाल, क्या बिना रोकटोक और दिन-रात कैलाश भाटी को लोगों से मिलने की इजाजत दी सकती है?
चौथा सवाल, कैलाश भाटी को ऐसी कौन सी बीमारी है, जिसके इलाज के लिए वह डेढ़ महीने से जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड की ऐश ले रहा है?
पांचवां सवाल, कैलाश भाटी की निगरानी के लिए जिन पुलिस वालों की ड्यूटी लगी है, वे इस सब से बेदार क्यों हैं?
जिला कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर कैलाश भाटी किस जुर्म के लिए जेल गया और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका क्यों खारिज कर दी। कैलाश भाटी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में बतौर मैनेजर लंबे अरसे तक कार्यरत रहा है। इसी दौरान तुस्याना गांव में अरबों रुपये का भूमि घोटाला हुआ। इस घोटाले के मास्टरमाइंड राजेंद्र सिंह को फायदा पहुंचाने के लिए कैलाश भाटी ने जालसाजी की। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने कैलाश को पिछले साल 16 नवंबर को गिरफ्तार किया था। उस पर आईपीसी की धाराओं 406, 420, 467, 468, 471 और 120-B के तहत चार्जशीट दाखिल की गई। पहले गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
कैलाश भाटी को हाईकोर्ट ने इसलिए नहीं दी जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2023 को यह कहते हुए कैलाश भाटी की जमानत याचिका ख़ारिज की, "आरोपी ऊंचे पद पर कार्यरत और रसूखदार है। शिकायत करने वाले ने अपनी जान को खतरा बताया है। मामले की जांच और ट्रायल के दौरान गवाहों व सबूतों को प्रभावित कर सकता है। मामले की खूबियों या खामियों पर कोई राय व्यक्त किए बिना यह न्यायालय आवेदक को जमानत देने के लिए अच्छा आधार नहीं पाता है। लिहाजा, जमानत अर्जी खारिज की जाती है। "कुल मिलाकर साफ़ है, अदालत में भले ही कैलाश भाटी का रसूख काम नहीं आया, लेकिन उसने जेल से बाहर फाइव स्टार सहूलियतें हासिल करने का इंतजाम कर लिया।