दहेज उत्पीड़न और विवाहिता को जिंदा जलाने की कोशिश के एक मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। घटना वर्ष 2013 की है। इस मामले में गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय ने ससुराल पक्ष के पांच लोगों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। केस की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) पवन प्रताप सिंह ने की। सभी आरोपियों ने महिला को जिंदा जलाने की कोशिश की थी। इसमें महिला का पति भी शामिल है। पुलिस ने सभी अपराधियों को जेल भेज दिया है।
जिला शासकीय अधिवक्ता ब्रह्मजीत सिंह भाटी ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में वादी तौहीद ने रबूपुरा कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया था। वादी की तहरीर के मुताबिक उसने वर्ष 2004 में अपनी बहन की शादी मसूरी, गाजियाबाद निवासी मेहताब के साथ की थी। शादी के कुछ दिनों के बाद से ही ससुराल पक्ष के लोगों ने उसकी बहन को दहेज के लिए उत्पीड़ित करना शुरू कर दिया। दहेज में गाड़ी और नगदी की मांग को लेकर वर्ष 2013 में ससुराल पक्ष के लोगों ने उसकी बहन को जिंदा जलाने की कोशिश की थी।
पड़ोसियों ने बड़ी मुश्किल से उसकी बहन की जान बचाई थी। इस मामले में पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। केस में सुनवाई के दौरान अदालत ने विवाहिता के पति मेहताब, ससुर रियाजुल, सास कुरेशा, देवर जुबेर और ननद शबाना को दोषी ठहराया। अदालत ने सभी को विवाहिता को जिंदा जलाने की कोशिश के मामले में सात-सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा दहेज उत्पीड़न में भी आरोपियों को दोषी पाया गया है। सभी दोषियों पर पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना जमा नहीं करने पर आरोपियों को एक-एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।