Hot Topic : नरेंद्र भाटी को बीजेपी में लाकर महेश शर्मा का मास्टर स्ट्रोक, सुरेंद्र नागर हुए बैलेंस, पढ़िए आज की सबसे खास खबर

Tricity Today | डॉ. महेश शर्मा, नरेंद्र भाटी और सुरेंद्र नागर



UP Vidhansabha Chunav 2022 : गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर और गाजियाबाद समेत वेस्ट यूपी की राजनीति में अच्छा-खासा कद रखने वाले समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और विधान परिषद के मेंबर नरेंद्र भाटी बुधवार को साइकिल से उतरकर भारतीय जनता पार्टी के खेमे में शामिल हो गए हैं। उनकी बीजेपी में एंट्री क्या फायदा पहुंचा पाएगी यह तो भविष्य बताएगा लेकिन आज वह हॉट टॉपिक बने हुए हैं। गौतमबुद्ध नगर के लोगों का कहना है कि नरेंद्र भाटी को भाजपा में लाकर डॉक्टर महेश शर्मा ने मास्टर स्ट्रोक चला है। दरअसल, जब से राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर भारतीय जनता पार्टी में आए थे, तब से डॉक्टर महेश शर्मा की ताकत का रह-रहकर आंकलन किया जा रहा था। अब नरेंद्र भाटी के भाजपा में आने से सुरेंद्र नागर पावर बैलेंस में आ गए हैं।

गौतमबुद्ध नगर की राजनीति ने 12 वर्षों में देखे बड़े बदलाव
गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा और पूर्व सांसद सुरेंद्र नागर के बीच राजनीतिक ध्रुवीकरण कोई नया नहीं है। इसकी शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी। डॉ.महेश शर्मा भाजपा के टिकट पर सुरेंद्र सिंह नागर के सामने लोकसभा चुनाव हार गए थे। तब सुरेंद्र सिंह नागर बसपा में हुआ करते थे। वक्त बदला और 2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ.महेश शर्मा ने जीत हासिल की। हालांकि, यह चुनाव सुरेंद्र सिंह नागर ने नहीं लड़ा था। यहां आपको एक खास बात बता दें कि इन दोनों चुनाव में नरेंद्र भाटी, महेश शर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। राजनीति ने एक बार फिर करवट ली। सुरेंद्र सिंह नागर 2009 के आखिर में समाजवादी पार्टी में चले गए। नरेंद्र भाटी वहां पहले से ही थे। लिहाजा, दोनों के बीच राजनीतिक गुटबंदी और टकराव चलता रहा। सुरेंद्र सिंह नागर तेजी से पार्टी में आगे बढ़े। राज्यसभा के सांसद बने और राष्ट्रीय महामंत्री तक बन गए।

दूसरी ओर सपा में एकांकी होते चले गए नरेंद्र सिंह भाटी
समाजवादी पार्टी में जितनी तेजी से सुरेंद्र सिंह नागर शीर्ष की ओर बढ़ते गए, दूसरी ओर शीर्ष पर बैठे नरेंद्र सिंह भाटी पायदान दर पायदान नीचे खिसकते चले गए। सुरेंद्र सिंह नागर को राज्यसभा का टिकट मिला। नरेंद्र भाटी को विधान परिषद से ही संतोष करना पड़ा। सुरेंद्र सिंह नागर राष्ट्रीय महामंत्री बन गए। नरेंद्र सिंह भाटी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य ही रह गए। समाजवादी पार्टी की राजनीति से निकट ताल्लुकात रखने वाले लोगों का कहना है कि जैसे-जैसे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की पकड़ पार्टी पर ढीली पड़ी और अखिलेश यादव मजबूत होते गए, उसके साथ ही नरेंद्र भाटी भी दरकिनार होते चले गए। एक वक्त ऐसा भी आया जब गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर जिला समाजवादी पार्टी में होने वाले फैसलों पर नरेंद्र सिंह भाटी से राय मशवरा लेना भी नेताओं ने बंद कर दिया। कभी नरेंद्र सिंह भाटी आईएएस और आईपीएस अफसरों का तबादला एक फोन कॉल पर करवा दिया करते थे।

महेश शर्मा और सुरेंद्र नागर गले मिले लेकिन दिल नहीं मिल पाए
पिछले 7 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र और उत्तर प्रदेश की राजनीति में छा गई। इसका असर गौतमबुद्ध नगर पर पड़ना लाजमी था। सुरेंद्र सिंह नागर ने एक बार फिर पार्टी बदली। उन्होंने 2020 में सपा में मिले पद और राज्यसभा की कुर्सी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने भी उन्हें राज्यसभा भेज दिया। अब सुरेंद्र सिंह नागर और डॉक्टर महेश शर्मा का आमना-सामना होना लाजमी था। दोनों ने तमाम मौकों पर एक-दूसरे के गले लगकर संदेश देने की कोशिश की कि सब कुछ ठीक है, लेकिन गले तो मिलते रहे दिल कभी नहीं मिल पाए। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डॉ.महेश शर्मा के नोएडा में हुए जन्म दिवस समारोह में सुरेंद्र सिंह नागर को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था।

पंचायत चुनाव से दोनों के बीच गतिरोध खुलकर सामने आया
अब जब महेश शर्मा और सुरेंद्र सिंह नागर एक ही पार्टी में थे तो किसी न किसी मुद्दे पर हितों के टकराव लाजमी थे। पंचायत चुनाव में यह टकराव साफ उभरकर सामने आया। ब्लाक प्रमुख के चुनाव को लेकर सुरेंद्र सिंह नागर, डॉ.महेश शर्मा पर भारी पड़ गए। इसके अलावा संगठन में भी कई नियुक्तियां सुरेंद्र सिंह नागर के दखल के कारण हुईं। ऐसे में कयास लगाए जाने लगे कि डॉक्टर महेश शर्मा भाजपा में कमजोर होते जा रहे हैं। दूसरी ओर सुरेंद्र सिंह नागर को भाजपा में शीर्ष गुर्जर नेता के तौर पर समर्थकों ने प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डॉक्टर महेश शर्मा के परिवार में हुई शादियों में तो शिरकत करने नहीं पहुंचे, लेकिन चंद दिन पहले ही भाजपा में एंट्री हासिल करने वाले सुरेंद्र सिंह नगर की बेटी के विवाह समारोह में शामिल हुए थे। सुरेंद्र सिंह नागर के समर्थकों ने इन सारी बातों का जमकर प्रचार किया।

दुश्मन का दुश्मन होता है दोस्त, इसी बिसात पर चली चाल
राजनीति में एक कहावत है, "दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है।" आज पूरे जिले में यह बात चर्चा का विषय बनी हुई है। लोगों का कहना है, "अब डॉक्टर महेश शर्मा ने इसी राजनीतिक चाल को चरितार्थ किया है।" गौतमबुद्ध नगर की राजनीति में डॉ.महेश शर्मा, सुरेंद्र सिंह नागर और नरेंद्र सिंह भाटी तीन त्रिकोण रहे हैं। भाजपा में आकर सुरेंद्र सिंह नागर, डॉक्टर शर्मा पर भारी पड़ रहे थे। अब डॉक्टर महेश शर्मा ने नरेंद्र भाटी की भाजपा में एंट्री करवाकर इस त्रिकोण को नया आयाम दे दिया है। मतलब, अभी तक तीनों अलग-अलग राजनीतिक दलों में रहकर विरोधी थे। अब भाजपा में ही तीनों विरोधी आमने-सामने खड़े नजर आएंगे। अब देखना यही है कि भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए नरेंद्र भाटी कितना फायदा किसको पहुंचा सकते हैं। कुल मिलाकर डॉ.महेश शर्मा ने सुरेंद्र सिंह नागर के ध्रुव राजनीतिक विरोधी नरेंद्र भाटी को भाजपा में लाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। वह एक बार फिर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।

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