बाइक बोट घोटाले में सनसनीखेज खुलासा : ईडी के पूर्व अफसर का नाम सामने आया, जांच बदलने के लिए हुआ था 7 करोड़ रुपए में सौदा!

Google Photo | प्रतीकात्मक फोटो



Greater Noida News : उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा स्कैम अभी तक बाइक बोट घोटाला है। इस घोटाले से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। पिछले कुछ दिनों से आरोपियों से पूछताछ चल रही है। पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपियों ने ईडी (परिवर्तन निदेशालय) के एक पूर्व अधिकारी और कुछ दिग्गज नेताओं के नाम घोटाले में शामिल बताए हैं। इसकी जानकारी मिलने के बाद ना ही केवल ईडी बल्कि अन्य विभागों में हड़कंप मचा हुआ है। अब बड़ी बात यह हो गई है कि जिन लोगों के नाम बताए गए हैं, उनकी सूची बाहर आ गई है। ऐसे में उन लोगों की चिंता बढ़ गई है। जिन्होंने पूर्व अधिकारी और नेताओं के नाम बताए हैं। मामला बड़ा हुआ तो लखनऊ से यह जांच अब दिल्ली ट्रांसफर कर दी गई।

स्कैम में शामिल अफसर नाम बाहर आया
जानकारी के मुताबिक बाइक बोट घोटाले में आरोपियों और गवाहों से पूछताछ की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूछताछ के दौरान ईडी के अधिकारियों ने आरोपियों से कहा था कि वह इस मामले में लिप्त अधिकारी के नाम बता दें तो इसको गुप्त रखा जाएगा। जिस पर लोगों ने एक ईडी के पूर्व अफसर का नाम बता दिया। अब नाम की कॉपी बाहर आ गई है। बयान की कॉपी में अधिकारी का नाम लिखा हुआ है। इसके बाद अब हड़कंप मच गया है। बयान की कॉपी और अन्य दस्तावेज आरोपियों के पास पहुंच गए हैं। मामला बड़ा होने के बाद पूरे मामले की जांच लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर हो गई। 

7 करोड़ रुपए में हुआ था सौदा
मिली जानकारी के मुताबिक आरोपियों और गवाहों ने ईडी के एक पूर्व महिला अधिकारी का नाम लिया है। पूछताछ के दौरान एक व्यक्ति ने बताया कि उस महिला अधिकारी के ही कहने पर उन्होंने अन्य व्यक्ति से मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान अन्य व्यक्ति ने 7 करोड़ रुपए में जांच में राहत दिलाने की बात कही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली कस्टम हाउस और ग्रेटर नोएडा के एक मेट्रो स्टेशन पर यह रकम दी गई थी। यह जानकारी उस व्यक्ति ने दी, जिसने महिला अधिकारी का नाम बताया है।

क्या थी बाइक बोट स्कीम
साल 2010 में संजय भाटी ने कंपनी की शुरुआत की थी। वर्ष 2018 में यह बाइक बोट स्कीम लॉन्च की थी। स्कीम के तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई। इसके तहत एक व्यक्ति से एक मुश्त 62,100 रुपए का निवेश कराया गया था। उसके एवज में एक साल तक प्रतिमाह 9,765 रुपए देने का वादा किया गया था। निवेश करने वालों का आरोप है कि उन्हें पैसे नहीं दिए गए। बाद में संचालक फरार हुआ तो लोगों ने मुकदमे दर्ज कराने शुरू किए थे। आपको बता दें कि घोटाला एक या दो नहीं पूरे 15 हजार करोड़ रुपए का है।

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