BIG BREAKING : धीरेन्द्र सिंह के पत्र पर सीएमओ ने सारे प्राइवेट हॉस्पिटल को भेजा नोटिस, तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी

Tricity Today | धीरेंद्र सिंह (जेवर विधायक)



Noida News : गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.दीपक ओहरी (CMO Noida) ने जिले के सभी प्राइवेट अस्पतालों को एक नोटिस भेजा है। अस्पतालों से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। यह नोटिस जेवर से भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह (Dhirendra Singh BJP) की चिट्ठी के आधार पर भेजा गया है। आपको बता दें कि 19 मई को धीरेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को पत्र भेजा था। जिसमें प्राइवेट अस्पतालों की इस महामारी के दौर में गैर जिम्मेदार गतिविधियों पर नियंत्रण करने की मांग की गई है। सीएमओ ने नोटिस के साथ विधायक का पत्र संलग्न करते हुए सभी प्राइवेट अस्पतालों को भेजा है। तीन दिनों में जवाब भेजने को कहा है।

गौतमबुद्ध नगर के जेवर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने 19 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मार्मिक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कोरोना वायरस के इस भयावह कालखंड में निजी अस्पतालों की निष्ठुरता पर प्रहार किया। विधायक ने लिखा है कि यह ऐसा वक्त है, जब निजी अस्पतालों को उनके कर्तव्यों का बोध कराया जाए। इसके लिए सरकार का सहयोग भी जरूरी है। इस पत्र के जरिए उन्होंने निजी अस्पतालों की कार्यशैली और उनके जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही पर ध्यान आकर्षित किया है। 

दरअसल, कोरोना वायरस महामारी की दूसरे लहर में पूरे देश भर से प्राइवेट हॉस्पिटल्स के मनमाने रवैयों के मामले जगजाहिर हुए हैं। निजी अस्पतालों ने खूब लूट-खसोट की है। यूपी की शान और आर्थिक राजधानी गौतमबुद्ध नगर के कई बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। जबकि इन अस्पतालों ने जनकल्याण के कार्यों में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखाई है। कोई ऐसा वाकया सामने नहीं आया है, जिसमें यह पता चला हो कि किसी प्राइवेट हॉस्पिटल ने किसी लाचार और मजदूर वर्ग के मरीज का निशुल्क या कम पैसे में इलाज किया हो। 

जिम्मेदारियों की समीक्षा हो
अपनी चिट्ठी में विधायक धीरेंद्र सिंह ने लिखा है कि, “कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी एक ऐसा शब्द है, जो सुनने में बेहद अच्छा लगता है। नियमों के मुताबिक अधिकांश निजी कंपनियां व निजी अस्पताल अपनी आमदनी का लगभग 2 फ़ीसदी सामाजिक दायित्व का निर्वहन करने के लिए खर्च करने की पॉलिसी बनाते हैं। लेकिन व्यवहार में  कंपनियां क्या अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन उस मकसद के लिए कर रही हैं, जो उनके द्वारा तय किए जाते हैं? या केवल यह दिखावा मात्र होता है? लेकिन अब समय आ गया है कि हम सभी को इस विषय में निजी कंपनियों व निजी अस्पतालों द्वारा निर्धारित किए जाने वाले सामाजिक दायित्वों को नियमों के दायरे में लाना चाहिए।”

जिनकी जमीन पर बने हॉस्पिटल उनको ही नहीं मिला इलाज
उन्होंने आगे लिखा है, “क्या यह अजीब नहीं लगता कि जिन किसानों की जमीन पर यह निजी अस्पताल बने होते हैं, जरूरत पड़ने पर बीमारी के समय उन्हीं किसानों को उन अस्पतालों में दाखिला नहीं मिल पाता। उस परिवार के लोग उस वक्त क्या सोचते होंगे, यह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। आज कोरोना जैसी भीषण महामारी ने पूरी मानव सभ्यता के लिए एक संकट खड़ा किया है। अब जरूरी हो गया है कि भविष्य में हम इस बीमारी को रोकें। इस दिशा में जन जागरण के साथ-साथ निजी अस्पतालों के नज़रिए को भी बदलने का प्रयास करें। यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि देश के विकास और संसाधनों को विकसित करने में इन निजी कंपनियों व अस्पतालों के योगदान को दरकिनार नहीं किया जा सकता।” 

हॉस्पिटल का भी ख्याल रखा जाए
धीरेंद्र सिंह ने लिखा है, “यह भी कहना समीचीन होगा कि जो कंपनियां अपने जीवन भर की कमाई से एक उद्योग को खड़ा करने में पूंजी निवेश करती हैं, उनके हित भी सुरक्षित रहें। लेकिन मेरा आशय केवल इतना है कि इनके द्वारा निर्धरित किये गए सामाजिक दायित्व देश के उन करोड़ों लोगों के काम आयें, जो सही मायने में इसके पात्र हैं। जहां तक मैंने बड़े-बड़े निजी अस्पतालों की कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के मकसद को जाना है, उनका सार मुख्यत: तीन बिंदुओं से परिलक्षित होता है। सरकार को इन तीनों बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करना चाहिए। क्या सही मायने में जिस मकसद के लिए निजी अस्पताल कागजों में अपने सोशल दायित्व के लिए नियम बनाते हैं, वह नियम सही से लागू किए जा रहे हैं? इसके लिए एक मॉनिटरिंग व्यवस्था सरकार को बनानी चाहिए।”

मजबूरों के लिए कोई कदम नहीं उठाया
भाजपा विधायक ने उदाहरण के लिए गौतमबुद्ध नगर के अस्पतालों में आमजन को होने वाली असुविधा का हवाला दिया है। उन्होने लिखा है, “उदाहरण के लिए मैं अपने जनपद गौतमबुद्ध नगर और प्रदेश के कुछ अस्पतालों के वह चर्चे आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं, जो जनता के माध्यम से मुझे ज्ञात हुए। जनपद गौतमबुद्ध नगर में निजी अस्पतालों को कोरोना काल में सरकार व प्रशासनिक प्रयास से अनेक  मेडिकल उपकरण और सुविधाएं इसलिए उपलब्ध कराई गई थीं, ताकि वह जरूरत पर जनता के काम आ सकें। लेकिन अनेक उदाहरण ऐसे हैं, जहां निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन के लिए भी जमानत राशि गरीब लोगों से जमा कराई गई। क्या कोई ऐसा उदाहरण भी इन अस्पतालों ने प्रस्तुत किया, जहां किसी दिहाड़ी मजदूर का इलाज हुआ हो? जिसकी आमदनी 6 हज़ार रुपये प्रति माह से भी कम हो? मुझे नहीं लगता कि ऐसा कोई प्रयास इन निजी अस्पतालों के द्वारा इस आपदा के समय किया गया है। क्योंकि इनके यहां तो दाखिला ही 50,000 से 2 लाख के बीच में जमा कराने के बाद हो पाता है।”

ऑक्सीजन समाप्त होने का संदेश प्रसारित किया
ऑक्सीजन की किल्लत का हवाला देते हुए ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने लिखा है, “इतना ही नहीं, अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध होते हुए भी इन निजी अस्पतालों ने ऐसा संदेश बाहर प्रसारित किया, जिससे जनता में अफरा तफरी का माहौल बना। हर जगह कहा जाने लगा कि ऑक्सीजन की भारी कमी है। यद्यपि जनपद के मूल निवासी इन अस्पतालों में अपना इलाज करा ही नहीं पाए। उन्हें हरियाणा प्रांत या फिर आसपास के अन्य जनपदों में अपनी जान बचाने के लिए शरण लेनी पड़ी। क्योंकि निजी अस्पताल सिर्फ उन्हीं मरीजों पर ध्यान आकृष्ट किए हुए थे, जिनकी जेब पैसों से भरी हुई हों। ऐसे समय पर इन अस्पतालों के इस रवैये ने मुझे आपसे इनके सामाजिक दायित्वों के निर्धारण किए जाने की बात कहने के लिए मजबूर किया है। हम यह नहीं कहते कि इन अस्पतालों पर सरकार सख्त कार्रवाई करे, लेकिन इतना अवश्य कहेंगे कि इनकी दूषित मानसिक सोच में बदलाव लाए जाने के लिए इन पर सख्त नजर अवश्य रखें।”     

सभी निजी अस्पतालों का ऑडिट होना चाहिए
 अस्पतालों पर सवाल उठाते हुए विधायक ने कहा है, “मुझे नहीं लगता कि मेरे जनपद और प्रदेश में कोई निजी अस्पताल अपने सामाजिक जिम्मेदारी के लक्ष्यों पर अमल कर रहा हो? इसलिए इनका सामाजिक दायित्व निर्धारण किए जाने का और उस पर प्रभावी पर्यवेक्षण करने की जरूरत है। साथ ही मैं यह भी प्रार्थना करता हूं कि जिस तरीके से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निजी अस्पतालों द्वारा गरीब और लाचार जनता का इस आपदा के समय शोषण किया गया है, उस पर एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाते हुए इन सभी निजी अस्पतालों का ऑडिट होना चाहिए। यह निर्धारण होना चाहिए कि भविष्य में यह अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाते हुए समाज के प्रति अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करें और नैतिकता को भी समाज के सम्मुख रखें। प्रदेश व देश में अनेक ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जहां पर्याप्त मात्रा में इमारत बनी हुई है। लेकिन जरूरत है उसमें नर्सिंग व अन्य मेडिकल स्टाफ की।”

जन भावनाएं लिख रहा हूं
आखिर में उन्होंने लिखा है, “क्या यह निजी अस्पताल उन अस्पतालों को गोद लेकर उनका संचालन नहीं कर सकते? जिनसे देश व प्रदेश के करोड़ों लोगों का भला हो सकता है। निश्चित तौर से इन निजी अस्पतालों को सरकार की मदद के लिए आगे आना चाहिए। आशा है आप मेरी भावनाओं से अवगत हो गए होंगे। मैं जो लिख रहा हूं, यह जन भावनाएं हैं। इन्हें मैं सरकार और व्यवस्था तक पहुंचाना अपना कर्तव्य समझता हूं।”

अब इस मामले में गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.दीपक ओहरी ने जिले के सभी प्राइवेट अस्पतालों को एक नोटिस भेजा है। जिसके साथ विधायक धीरेंद्र सिंह के पत्र को सम्मिलित किया गया है। सीएमओ ने प्राइवेट अस्पतालों से अगले 3 दिनों में धीरेंद्र सिंह की ओर से उठाए गए मुद्दों पर रिपोर्ट तलब की है। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नोएडा दौरे के वक्त सभी प्राइवेट अस्पतालों को मुहैया करवाई गई ऑक्सीजन का ऑडिट करने का आदेश दिया था। इसके लिए छह अफसरों की एक कमेटी बनाने का आदेश मुख्यमंत्री ने दिया था।

 

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