Greater Noida : यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) ने डिफॉल्टर बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है कौड़ियों के भाव में 100-100 एकड़ जमीन लेकर आराम से बैठे बिल्डरों पर यह कार्रवाई की गई है। इनके भूखंड आवंटन रद्द कर दिए गए हैं और प्राधिकरण में अब तक जमा किया गया पैसा भी जब्त कर लिया गया है। अथॉरिटी ने इस दौरान 14 बिल्डरों को टाउनशिप के लिए अलॉट किए गए 14 भूखंडों के आवंटन रद्द किए हैं। बताया जाता है कि इन सभी बिल्डरों को पहले बहुजन समाज पार्टी और फिर समाजवादी पार्टी की सरकारों के दौरान रेवडियों की तरह हजारों एकड जमीन आवंटित की गई थी। दस-दस वर्ष बीतने के बावजूद यह बिल्डर प्राधिकरण का पैसा नहीं चुका रहे थे। जैसे ही यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी अथॉरिटी के अधिकारियों ने इन बिल्डरों पर चाबुक चलाना शुरू कर दिया। इसी बात का नतीजा है कि सन 2019 से लेकर अगस्त 2022 तक यमुना अथॉरिटी 14 बिल्डरों के सौ-सौ एकड की बड़ी-बड़ी टाउनशिप के लिए अलॉट किए गए प्लॉट का आवंटन कैंसल कर चुकी है।
बिल्डरों का पैसा अथॉरिटी ने जब्त किया
पिछले 4 वर्षों के दौरान यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने जिन 14 बिल्डरों की हाउसिंग परियोजना रद्द की हैं, उनकी ओर से जमा किया गया पैसा भी जब्त कर लिया गया है। इसके अलावा जो बाकी बचे बिल्डरों के प्लॉट हैं, उनकी जांच चल रही है। यह 14 प्लॉट ऐसे हैं, जिनकी जमीन बिल्डरों ने कौड़ियों के भाव खरीदी थी। लेकिन आज तक किसी भी प्लॉट पर फ्लैट बनाना तो दूर की बात अथॉरिटी से नक्शा तक पास नहीं कराया है। यमुना अथॉरिटी से मिली जानकारी के अनुसार बिल्डर सौ-सौ एकड जमीन अलॉट करवाकर बैठे हुए थे। बिल्डर अथॉरिटी से नक्शा पास नहीं करवा रहे थे। आवंटन का पैसा भी जमा नहीं कर रहे थे। यमुना अथॉरिटी ने प्रॉजेक्ट, प्लानिंग और बिल्डर विभाग से जांच करवाने के बाद मौके का मुआयना किया। वहां खाली खेत पड़े हैं। इसके बाद बिल्डरों का आवंटन रदद करना शुरू कर दिया।
प्रॉपर्टी डीलिंग करना था इनका मकसद
यमुना अथॉरिटी से मिली जानकारी के अनुसार अभी और कई बिल्डर बचे हुए हैं, जिन पर आवंटन रद्द होने की गाज गिरनी तय है। अथॉरिटी इन बिल्डरों की पूरी जानकारी खंगालने में लगी हुई है। वरिष्ठ पत्रकार सत्यवीर नागर का कहना है, "मायावती शासन काल के दौरान नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी की भूखंड आवंटन नीति व्यापक रूप से बदल दी गई थी। महज 5% रजिस्ट्रेशन अमाउंट और 5% अलॉटमेंट अमाउंट देकर बड़े-बड़े भूखंड बिल्डरों के नाम आवंटित कर दिए गए। बाकी 90% धनराशि जमा करने के लिए भी तमाम तरह की रियायत दे दी गई थीं। जिसका फायदा छोटे-छोटे ठेकेदारों और प्रॉपर्टी डीलरों ने जमकर उठाया। सही मायने में इन लोगों का मकसद रियल एस्टेट प्रोजेक्ट लाना नहीं था, यह लोग मामूली निवेश करके अरबों रुपए की जमीन बेचकर प्रॉपर्टी डीलिंग करना चाहते थे। जिससे इन्हें मोटी कमाई होती।"
सत्यवीर नागर आगे कहते हैं, "लेकिन रियल एस्टेट में वैश्विक मंदी और फिर राज्य-केंद्र सरकारों में बदलाव होने के कारण उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। यही वजह है कि यह सारे आवंटी आज तक बड़ी-बड़ी जमीनों को लेकर बैठे हुए हैं। इन लोगों ने ना तो कोई प्रोजेक्ट लांच किया और ना ही इन्वेस्टमेंट किया है। यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पिछले 4 वर्षों में ऐसे डिफॉल्टर आवंटियों के खिलाफ कार्रवाई की है। यह लगातार जारी रहनी चाहिए।"