योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को दिए 10 आदेश : नशा तस्करों और भूमाफिया पर एक्शन लें, फाइलों में ना उलझें

Tricity Today | Yogi Adityanath



Greater Noida News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा आए। वह पहले शहर के एक निजी विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में शामिल हुए। इसके बाद राज्य सरकार की गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी (जीबीयू) पहुंचे। उन्होंने पूरे मेरठ मंडल में विकास कार्यों की समीक्षा की। साथ ही क़ानून-व्यवस्था पर विस्तार से जानकारी हासिल की। मुख्यमंत्री के सामने मेरठ की मंडलायुक्त सेलवा कुमारी जे, गौतमबुद्धनगर की पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह और विकास प्राधिकरणों ने प्रजेंटेशन दिए हैं। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा, “नशा तस्करों पर कड़ी कार्रवाई करें। नशा तस्कर आने वाली पीढ़ी बर्बाद कर रहे हैं। नशे का अवैध कारोबार करने वालों को किसी भी सूरत में बख़्शना नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “अवैध अतिक्रमण नासूर बनता जा रहा है। भूमाफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करने की ज़रूरत है।” विकास कार्यों की धीमी रफ़्तार पर मुख्यमंत्री ने नाराज़गी ज़ाहिर की। उन्होंने कहा, “फाइलों में उलझने की ज़रूरत नहीं है। अधिकारी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट, कंसल्टेंट और एजेंसियों के मकड़जाल में नहीं उलझें। ख़ुद अध्ययन करें और विकास योजनाओं को रफ़्तार दें।”

योगी ने इन 10 मुद्दों पर काम करने का आदेश दिया
  1. नशा तस्करों पर कड़ी कार्रवाई करें : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस-प्रशासन और विकास प्राधिकरणों को संयुक्त रूप से मिलकर नशा तस्करी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, "नशा तस्कर आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं। इससे क़ानून व्यवस्था को भी बढ़ा ख़तरा है। नशा तस्करी किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए। नशे का अवैध कारोबार करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की ज़रूरत है। इसके लिए सारे विभाग मिलकर एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करें। एक्शन प्लान बनाकर नशा तस्करों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करें।" मुख्यमंत्री ने ख़ास तौर से पुलिस विभाग को नशा तस्करों के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
  2. ⁠यूपी में बनेगा सबसे अच्छा लिफ्ट एक्ट : समीक्षा बैठक के दौरान लिफ़्ट एक्ट का मुद्दा भी उठाया गया। गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने लगातार हो रहे हादसों की तरफ़ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान आकर्षित किया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, "बीते विधानसभा सत्र में लिफ़्ट एक्ट को पास करवाया जाना था, लेकिन उसमें कुछ कमियां थी। मैंने संबंधित विभागों से प्रजेंटेशन देने के लिए कहा था। अब कमियों को दूर करने का आदेश दिया गया है  उत्तर प्रदेश का लिफ़्ट एक्ट सबसे अच्छा क़ानून बनेगा। हम लिफ़्ट एक्ट अगले विधानसभा सत्र में ज़रूर पास कर देंगे।" मुख्यमंत्री ने नए क़ानून आने तक लिफ़्ट से जुड़े हादसों पर नियंत्रण करने का आदेश विकास प्राधिकरणों को दिया है। साथ ही फ़ायर सेफ़्टी डिपार्टमेंट और पुलिस को भी लिफ़्ट मेंटीनेंस से जुड़े मसलों पर सतर्क रहने का आदेश दिया है। आपको बता दें कि लिफ्ट एक्ट की मांग जेवर के विधायक धीरेन्द्र सिंह ने विधानसभा में उठाई थी। जिसके बाद योगी आदित्यनाथ के लिफ्ट एक्ट का मसौदा तैयार करवाया और अब वही लिफ्ट एक्ट पूरे उत्तर प्रदेश में लागू होगा।
  3. इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर काम हो : मेरठ मंडल की आयुक्त सेल्वा कुमारी जे ने मुख्यमंत्री के सामने एक प्रजेंटेशन दी। उन्होंने बताया कि किस तरह दिल्ली-एनसीआर में पढ़ने वाले उत्तर प्रदेश के ज़िलों में इंटीग्रेटेड ट्रैफ़िक सिस्टम को विकसित करने की योजना है। इस पर मुख्यमंत्री ने सभी विकास प्राधिकरणों और ज़िम्मेदार विभागों के अफ़सरों को आदेश दिया है कि ट्रांसपोर्ट सिस्टम में ग़ैर परंपरागत वाहनों और योजनाओं को छोड़ने की कोशिश करें। बिजली, बैटरी और ग़ैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से चलने वाले वाहनों पर ज़ोर दिया जाए। मुख्यमंत्री ने पॉड टैक्सी जैसे विकल्पों पर काम करने का सुझाव दिया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि यातायात के साधन सार्वजनिक होने चाहिए, जिनकी लागत कम होनी चाहिए। कम लागत से आम आदमी पर कम भार पड़ेगा। योजनाओं को तेज़ी से विकसित किया जा सकता है। कम लागत वाले सार्वजनिक वाहनों में किराया भी कम होता है, जिससे आम आदमी को सीधा लाभ मिलता है।
  4. फाइलों में अटकने और भटकने की ज़रूरत नहीं है : योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा कि फाइलों के मकड़जाल से बाहर निकलने की ज़रूरत है। अधिकारी विकास योजनाओं के बारे में ख़ुद अध्ययन करें और अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करके योजनाओं को आगे बढ़ाए। सामान्य रूप से देखा जा रहा है कि विजिबिलिटी रिपोर्ट, डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट, फाइनेंसियल रिपोर्ट, बेड डॉक्यूमेंट टेंडर और तमाम दूसरी प्रक्रियाओं में विकास योजनाएं उलझ कर रह जा रही है। किसी प्रोजेक्ट को पूरा करने में साल दो साल लगते हैं, प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से पहले ही लंबा समय इन औपचारिकताओं को पूरा करने में निकल रहा है। मुख्यमंत्री ने ख़ास तौर से गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों को यह व्यवस्था बदलने की हिदायत दी है।
  5. बिल्डर-बायर विवाद तेज़ी से सुलझाया जाए : गौतमबुद्ध नगर की सबसे पुरानी समस्या बिल्डरों और फ़्लैट खरीदारों के विवाद है। इस पर भी मुख्यमंत्री ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी मांगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीनों प्राधिकरणों को आदेश दिया है कि बिल्डरों और खरीदारों के विवादों को तेज़ी से सुलझाया जाए। क़ानूनी प्रक्रियाओं में मसलों को उलझाने की आवश्यकता नहीं है। उन रास्तों पर काम किया जाए, जिससे समस्याएं सुलझ सके। खरीददार परेशान है और लगातार सरकार से संपर्क कर रहे हैं। सरकार समस्याओं को सुलझाने के लिए लगातार प्राधिकरणों को आदेश दे रही है, लेकिन समाधान नहीं निकल पा रहा है। इससे आम आदमी में नाराज़गी बढ़ती है।
  6. अब अतिक्रमण और भूमाफ़िया को ख़त्म करें : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा कि अतिक्रमण और भूमाफ़िया, विकास योजनाओं की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। जिन क्षेत्रों में नई विकास योजनाओं की घोषणा होती है, वहां काम शुरू होने से पहले ही बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण कर लिया जाता है। भूमाफ़िया क़िस्म के लोग विकास योजनाओं की राह में रोड़ा बनकर खड़े हो जाते हैं। शुरुआती दौर में बोहोत सारी वज़हों के चलते हैं। ज़िम्मेदार अफ़सर अवैध अतिक्रमण पर ध्यान नहीं देते हैं। जिसकी वजह से बाद में नुक़सान उठाना पड़ता है। विकास योजना लटक जाती है और बड़ी संख्या में मुक़दमे शुरू हो जाते हैं। मुख्यमंत्री ने अवैध अतिक्रमण पर कड़ाई से नियंत्रण करने का आदेश सभी विकास प्राधिकरणों, पुलिस और प्रशासन को दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमाफ़िया के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाए। भूमाफ़िया पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
  7. किसानों से ज़मीन लेने के बाद ही उद्योगों को दें : योगी आदित्यनाथ ने एक और बड़ी समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए विकास प्राधिकरणों को संजीदगी बरतने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य तौर पर विकास प्राधिकरण उद्योगों को ज़मीन आवंटित कर रहे हैं। जबकि वह ज़मीन किसानों के मालिकाना हक़ में है। ज़मीन का अधिग्रहण नहीं किया गया है या सीधे किसान से ख़रीदी नहीं गई है। इससे विवाद उत्पन्न होता है। एक तरफ़ उद्योग लगाने वाले को परेशानी होती है तो दूसरी तरफ़ किसान की नज़र में सरकार और विकास प्राधिकरण की छवि ख़राब होती है। इस तरह की व्यवस्था को बदलने की आवश्यकता है। पहले किसानों को उनका हक़ देकर ज़मीन लें और फिर उद्योगों को आवंटित करें। किसान इससे ज़मीन लिए बिना किसी भी उद्योग को आवंटित नहीं की जाए। 
  8. नोएडा में क्राइम नहीं होना चाहिए : योगी आदित्यनाथ नोएडा और ग्रेटर नोएडा में होने वाले अपराधों के प्रति बेहद संवेदनशील नज़र आए। मुख्यमंत्री ने पुलिस कमिश्नर और तीनों विकास प्राधिकरणों को हिदायत दी है कि गौतमबुद्ध नगर में क्राइम नहीं होना चाहिए। गौतमबुद्ध नगर अंतरराष्ट्रीय शहर है। यहां होने वाला छोटे से छोटा अपराध पूरी दुनिया की नज़रों में बहुत जल्दी आ जाता है। गौतमबुद्ध नगर में मीडिया हब है, हर ख़बर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाई देती है। नोएडा में रहने वाले लोग पढ़े लिखे हैं और सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय हैं। अगर किसी को परेशानी होती है तो वह अपनी बात खुलकर सोशल मीडिया पर कहता है। लिहाज़ा यहां होने वाले अपराध रोकने की आवश्यकता है। आम आदमी की परेशानी को संवेदनशीलता से सुलझाने की ज़रूरत है।
  9. गौतमबुद्ध नगर के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाए : मुख्यमंत्री ने नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी को आदेश दिया है कि पूरे ज़िले में हर बिंदु पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की ज़रूरत है। इस प्रोजेक्ट में आने वाले ख़र्च का वहन तीनों विकास प्राधिकरण करें। सीसीटीवी कैमरे लगाकर नहीं छोड़ दिए जाए, वह नियमित रूप से चलने चाहिए। सीसीटीवी सिस्टम का रख-रखाव व्यवस्थित रूप से किया जाना चाहिए। अगर गौतमबुद्ध नगर में सीसीटीवी कैमरे नियमित रूप से काम करेंगे तो अपराधियों को पकड़ने में पुलिस को मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने अब तक लगाए जा चुके सीसीटीवी कैमरों को तुरंत दुरुस्त करने का आदेश दिया है। ज़िले के जिन हिस्सों में अब तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लग पाए हैं, वहां जल्दी से जल्दी लगाने का आदेश दिया है।
  10. थानों और तहसीलों में आने वाली समस्या महत्वपूर्ण : योगी आदित्यनाथ ने मेरठ के मंडलायुक्त को कहा है कि सभी जिलाधिकारी थानों और तहसीलों में आने वाली समस्याओं पर नज़र रखें। पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी नियमित रूप से इन शिकायतों की समीक्षा करें। सामान्य तौर पर देखा जाता है कि थानों और तहसीलों में जब समस्या का समाधान नहीं होता है तो वह बड़ी परेशानी बन जाती है। आम आदमी अपनी समस्याएं लेकर इधर-उधर भटकता है और अफ़सर ध्यान नहीं देते हैं। जिसकी वजह से अपराध बढ़ते हैं। सभी ज़िलों के डीएम-एसएसपी इस पर गंभीरता से काम करेंगे।

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