Hapur News : रोडवेज बसों की खस्ता हालत की वजह से आए दिन हादसे देखने को मिलते हैं। लेकिन रोडवेज बसों की व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हो रहा है। अगर बस अड्डे पर चले जाएं खटारा बसें मिल ही जाएंगी। मगर अधिकारियों की जांच में सब कुछ सही मिलता है। यह हालत तब है जब डिपो को बसों की मरम्मत के लिए दो करोड़ रुपए मिल रहा है। जबकि किसी बस में शीशे गायब हैं तो किसी एक में आग से बचाव के कोई उपाय नहीं है। कहीं पर मेडिकल किट गायब है। लापरवाही से ही इन बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। जिसमें सैकड़ों यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं।
हापुड़ डिपो की जानलेवा बसें
हापुड़ डिपो की खटारा बसें कब और कहां धोखा दे जाए इसका कोई अंदाजा नहीं हैं और न ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता। किसी बस के टायर घिस चुके हैं, किसी बस के गियर बॉक्स का कवर ही लापता है। किसी की सीटों का बुरा हाल हो रहा है। इसके बाद भी इन बसों में यात्रियों को यात्रा कराई जा रही है। ट्राइसिटी टुडे की टीम ने पड़ताल की तो सच्चाई पता चली
परिवहन निगम के कार्यालय के रजिस्टर में बसों के आने और जाने का ब्यौरा दर्ज किया होता है। इनमें कई कालम बने हुए होते हैं। डीजल टैंक, टूलबॉक्स,फर्स्ट एड बॉक्स,बस की सफाई, वाहनों की सामान्य दशा आदि की जांच कर बसों को रवाना किया जाता है। साथ ही रोडवेज कर्मी की जिम्मेदारी होती है कि वह वर्कशॉप से फिट और बसों को ही रूटों के लिए रवाना करें। लेकिन सच्चाई इससे अलग नजर आती है। ट्राइसिटी टुडे की टीम ने पड़ताल की तो सच्चाई उजागर हुई।
हापुड़ डिपो के एआरएम का बयान
वहीं, हापुड़ डिपो के एआरएम संदीप नायक ने कहा कि यदि कोई बस फिट नहीं होती है। तो उसकी तत्काल मरम्मत कराई जाती है। समय से बसों के टायरों को भी बदलवाया जाता है। चालक और परिचालकों को निर्देश दिए हुए हैं कि बस में कुछ भी कमी आती है तो तत्काल उसे वर्कशॉप में सही कराया जाए।