Hapur News : HPDA क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग में मंजूर नहीं, उपाध्यक्ष ने दिए मुकदमा दर्ज करने के आदेश

हापुड़ | 12 महीना पहले | Shahrukh Khan

Google Image | हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण



Hapur News : अवैध निर्माण, अवैध प्लाटिंग की शिकायतों को लेकर हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नितिन गौड़ गंभीर है। आज शनिवार को एक बार फिर अवैध प्लाटिंग की सूचना पर उपाध्यक्ष मौके पर पहुंच गए। प्राधिकरण के अफसरों ने बताया कि इस अवैध प्लाटिंग को प्राधिकरण की टीम पूर्व में ध्वस्त कर चुकी, इसके बाद भी फिर से प्लाटिंग कराई जा रही थी। उपाध्यक्ष ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए।

क्या है पूरा मामला
हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नितिन गौड़ द्वारा खसरा संख्या- 216/ 980 ग्राम पिलखुवा देहात, तहसील धौलाना में प्रोपर्टी डीलर राजेश कुमार गौतम निवासी गाजियाबाद द्वारा अवैध रूप से की जा रही प्लाटिंग की शिकायत प्राप्त होने पर स्वयं मौके का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मौके पर अवैध प्लांटिंग पाई गई।

मुकदमा दर्ज करने के दिए निर्देश
प्राधिकरण के अवर अभियंता देशपाल सिंह द्वारा उपाध्यक्ष को बताया गया कि इस अवैध प्लाटिंग का ध्वस्तीकरण पूर्व में भी किया गया था और दोबारा से अवैध प्लाटिंग कर ली गई है। इस पर प्राधिकरण (HPDA) के उपाध्यक्ष ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए निर्देश दिए कि ध्वस्तीकरण के बावजूद पुनः अवैध प्लाटिंग करने वाले अनाधिकृत विकासकर्ता के विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज कराई जाए।

अनाधिकृत प्लाटिंग किसी भी दशा में न हो
उपाध्यक्ष द्वारा यह भी निर्देश दिए गए कि प्राधिकरण विकास क्षेत्र के अन्तर्गत कहीं भी अनाधिकृत प्लाटिंग किसी भी दशा में न होने दी जाए और अनाधिकृत प्लाटिंग प्रारम्भ होते ही उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत तत्काल प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाए। यदि अनाधिकृत विकासकर्ता द्वारा ध्वस्तीकरण रोके जाने के बावजूद अवैध प्लाटिंग/कालोनी पुनः विकसित करने का प्रयास किया जाता है तो उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाए।

जन-सामान्य से की गई अपील
उपाध्यक्ष ने अपील करते हुए कहा कि अनाधिकृत प्लाटिंग/कालोनी में भूखण्ड/प्लाट न खरीदें और प्राधिकरण विकास क्षेत्र के अन्तर्गत भूखण्ड-प्लाट खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि कालोनी का ले-आउट प्राधिकरण से स्वीकृत हो, ताकि बाद में होने वाली आर्थिक और मानसिक परेशानी से बच सकें।

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