अच्छी खबर : जानिए प्रदेश के किस प्राचीन शिव मंदिर में चढ़े हुए फूलों को लेकर होगा यह बड़ा निर्णय

कानपुर | 4 साल पहले | Testing

Tricity Today | प्राचीन शिव मंदिर



प्रदेश के प्राचीन शिव मंदिर में चढ़े हुए फूलों को लेकर एक बड़ा फैसला किया जाना है। इस फैसले के पहले मंदिर की ओर से अखाड़े से भी सहमति लेनी होगी। लगभग 500 साल पुराने प्राचीन शिव मंदिर में रोजाना भक्तों की ओर से 300 से 500 किलो तक फूल चढ़ाए जाते हैं। पर्व काल के दौरान फूलों की चढ़ाई जाने वाली यह संख्या 1000 किलो तक पहुंच जाती है।

कानपुर के प्राचीन आनंदेश्वर महादेव मंदिर (परमट मंदिर) में महादेव पर चढ़े हुए फूलों के प्रबंधन के लिए योजना बनाई जा रही है। योजना के तहत यह व्यवस्था लागू किए जाने का प्रस्ताव है कि मंदिर में चढ़ाए जाने वाले फूलों को व्यवस्थित कर उन्हें खाद के रूप में भविष्य में इस्तेमाल में लाया जाए। इसके अलावा मंदिर में चढ़े हुए फूल अगरबत्ती या फिर ऐसे ही किसी अन्य उत्पाद के लिए भी सुरक्षित स्थान पर रखे जाए।

फिलहाल मंदिर में चढ़ाए जाने वाले फूल सफाई कर हटवा दिए जाते हैं। इसे लेकर मंदिर के व्यवस्थापक और महंत ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। मंदिर की ओर से यह प्रस्ताव अखाड़े को भेजा जाएगा। अखाड़े में विचार के बाद प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद इसे मंदिर में लागू किया जा सकेगा। मंदिर के व्यवस्थापक और महंत का मानना है कि इस प्रस्ताव में मंदिर के फूलों के साथ ही मंदिर की गौशाला में मौजूद गाय के गोबर का भी खाद बनाए जाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  1. गौशाला का भी होगा इस्तेमाल : परमट मंदिर के अलावा मंदिर की गौशाला में गाय के गोबर को भी खाद बनाए जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने की योजना प्रस्तावित है। मंदिर के महंत इच्छागिरी महाराज जी ने जानकारी दी कि कि बड़े स्तर पर यह प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। प्रस्ताव में मंदिर की ओर से लगाए जाने वाले सेवक और बढ़ने वाली खाद को किस तरह उपयोग में लाया जाएगा इसका भी खाका खींचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अखाड़े की अनुमति मिलने के बाद इसे मंदिर में पूरी तरह से लागू किया जा सकेगा। जल्द ही शहर से यह प्रस्ताव अखाड़े को भेजे जाने की तैयारी है।
  2. भक्तों को जल्द मिलेगी यह सुविधाएं :  मंदिर में भक्तों की सुविधाओं को देखते हुए गर्भ गृह में नवीनीकरण का कार्य किया जा रहा है। इस कारण में जल्द ही भक्तों को शिवलिंग के आसपास नई फर्श और अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। मंदिर की फर्ज को बनाते समय इस बात का ख्याल रखा गया है कि उसकी डेढ़ फीट खुदाई के बाद फर्श बिछाई जा रही है। जानकारी दी गई कि गंगा के ठीक किनारे बसे इस मंदिर में गंगा की धारा की वजह से पानी और सीलन रहती थी जो अब काफी हद तक नहीं रहेगी।

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