खास ख़बर : हाईकोर्ट का बड़ा आदेश- रिहायशी इलाकों में आवारा कुत्तों को खाना नहीं खिलाएंगे

देश | 3 साल पहले | Pankaj Parashar

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Chandigarh News : चंडीगढ़ के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने आवारा कुत्तों को लेकर हुए विवाद में एक परिवार को अग्रिम जमानत दी, लेकिन निर्देश दिया कि वे रिहायशी इलाके में आवारा कुत्तों को खाना नहीं खिलाएं। दरअसल, आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वालों और इन कुत्तों के हमलों से घायल होने वाले लोगों के बीच विवाद लगातार बढ़ रहे हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर में भी ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।

आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर दो पड़ोसियों के बीच हुआ विवाद
याचिकाकर्ताओं मंदीप सिंह, उनकी पत्नी बलबीर कौर और उनकी बेटी लवप्रीत कौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने, मारपीट कर घायल करने और आपराधिक धमकी देने के आरोपों में आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस परिवार के इन तीनों सदस्यों को अग्रिम जमानत दे दी। इन तीनों पर गली के कुत्तों को लेकर हुए विवाद के बाद मामला दर्ज किया गया था। अब हाईकोर्ट ने आदेश दिया है, "वे आवासीय इलाके में आवारा कुत्तों को खाना नहीं खिलाएंगे, क्योंकि इससे उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा और आवारा कुत्ते रिहायशी इलाके में घूमेंगे।

शिकायतकर्ता ने धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप भी लगाया
याचिकाकर्ताओं, मंदीप सिंह, उनकी पत्नी बलबीर कौर और उनकी बेटी लवप्रीत कौर के खिलाफ एक पड़ोसी की शिकायत पर कपूरथला जिले के सतनामपुरा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। इन पर आरोप लगाया कि मनदीप सिंह ने 8-9 आवारा कुत्तों को रखा है, जो अक्सर सड़क पर गंदगी करते हैं। शिकायतकर्ता और गांव के अन्य निवासियों ने परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

कपूरथला पुलिस ने परिवार के तीन सदस्यों पर एफआईआर दर्ज की
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि कुत्तों ने उसके लहसुन के पौधों को भी नष्ट कर दिया। अब 24 नवंबर, 2019 को बलबीर कौर और लवलीन कौर शिकायतकर्ता के घर के बाहर आईं और उसके साथ मारपीट की। उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।

याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी, जांच में सहयोग करेंगे
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि आवारा कुत्तों से संबंधित इलाके में एक मुद्दा उत्पन्न होता है। जबकि याचिकाकर्ताओं के मन में जानवरों के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर था। शिकायतकर्ता उनके खिलाफ था। आगे यह भी कहा गया कि यह साधारण चोट पहुंचाने का मामला है। बाल खींचने या धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित आरोप मनगढ़ंत हैं। वकील ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता खुद चाहते हैं कि कुत्तों को रिहायशी इलाके से दूर किसी सुरक्षित जगह पर रखा जाए और इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उनका एकमात्र हित यह है कि आवारा कुत्ते भूख से न मरें या बीमार न हों। किसी भी तरह से इलाज किया जाए।

कोर्ट ने कहा- आरोपी रिहायशी इलाके में कुत्तों को खाना नहीं खिलाएंगे
राज्य के वकील ने जवाब में कहा कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हो गए हैं और उन्हें किसी हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। इस पर न्यायमूर्ति गुरविंदर सिंह गिल की पीठ ने निर्देश दिया, "याचिकाकर्ता संबंधित अधिकारियों के संपर्क में रहेंगे। आवारा कुत्तों को किसी नामित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए ताकि वे इलाके के निवासियों की सुरक्षा या संपत्ति के लिए कोई खतरा पैदा न करें। याचिकाकर्ताओं को आगे निर्देश दिया जाता है वे उक्त आवारा कुत्तों को आवासीय इलाके में खाना नहीं खिलाएंगे। क्योंकि इससे उन्हें आवासीय क्षेत्र में घूमने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। हालांकि, जब तक नगर पालिका अधिकारियों द्वारा जानवरों को किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित नहीं किया जाएगा या कोई अन्य व्यवस्था न हो, तब तक याचिकाकर्ता कुत्तों को एक सुरक्षित स्थान पर खिला सकते हैं, जो आवासीय इलाके से बहुत दूर है।"

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